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वाजपेयी की मिसाल देकर गतिरोध तोड़ें मोदी: कांग्रेस

धर्मान्तरण के मुद्दे पर राज्यसभा में पांचवें दिन शुक्रवार को भी गतिरोध कायम रहा जिसके चलते सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका। इस बीच, जम्मू कश्मीर चुनावों से लौटे विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गतिरोध...

वाजपेयी की मिसाल देकर गतिरोध तोड़ें मोदी: कांग्रेस
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 19 Dec 2014 07:13 PM
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धर्मान्तरण के मुद्दे पर राज्यसभा में पांचवें दिन शुक्रवार को भी गतिरोध कायम रहा जिसके चलते सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका। इस बीच, जम्मू कश्मीर चुनावों से लौटे विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गतिरोध को तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री से आगे आने की अपील की।

उन्होंने नसीहत दी कि इस सदन की इज्जत के लिए यदि वे जवाहरलाल नेहरू की मिसाल नहीं लेना चाहें तो अटल बिहारी वाजपेयी की मिसाल लें जो सदन में एक आदर्श रहे हैं।

संसदीय कार्यवाही के मध्य में प्रधानमंत्री मोदी ने सदस्यों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के पेशावर में हुए नरसंहार को हर उस आदमी के लिए दर्दसार करने वाला बताया, जिसमें मानवीयता के तत्व हैं। उन्होंने सदन से भी संसदीय गतिरोध को खत्म कर लोगों के भले के लिए कदम उठाने और निर्णय प्रक्रिया को बेहतर करने में योगदान देने में मदद करने का आग्रह किया।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही शून्यकाल के दौरान फिर धर्मान्तरण पर चर्चा और उस दौरान प्रधानमंत्री को सदन में बुलाए जाने का मुद्दा फिर उठा। आजाद ने कहा कि यह मामला अब सदन तक सीमित नहीं है बल्कि गांव-गांव तक फैल गया है। उन्होंने अखबार में यहां तक पढ़ा है कि अमेरिका इस घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है।

आजाद ने कहा कि संविधान के तहत धर्मान्तरण पर रोक नहीं है। लेकिन प्रलोभन देकर, राशन कार्ड या अन्य सुविधाएं देकर या धमकी देकर धर्मान्तरण करना आपराधिक कृत्य है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जब विदेश जाते हैं तो उनका इसलिए स्वागत होता है क्योंकि वह 125 करोड़ की बहु धार्मिक आबादी वाले देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन पर कुछ अरसे के लिए संदेह थे, इसलिए लोगों ने उन्हें यह इज्जत नहीं दी। यही कारण है कि 10-12 सालों तक उन्हें कई देशों में जाने की अनुमति भी नहीं मिली।  

आजाद ने कहा कि धर्मान्तरण के मुद्दे पर उन्हीं को जवाब देना चाहिए क्योंकि दर्द उन्हीं ने दिया है तो दवा भी वही देंगे। मोदी ने चुनाव के दौरना देश की जनता को आश्वासन दिया था कि वह उनके मुद्दों के प्रति जवाबदेह होंगे। कांग्रेस नेता ने यह भी कटाक्ष किया कि मोदी ने पार्टी के लिए नहीं अपने लिए वोट मांगे थे। आजाद ने कहा कि यह सदन प्रधानमंत्री का घर है और जवाब देने के लिए आदर्श जगह है।

इस पर पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने विपक्ष के नेता को सुझाव दिया कि उन्होंने जो भी बोला है, उससे चर्चा की शुरुआत मानकर आगे बढ़ना चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने फिर दोहराया कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन जवाब कौन देगा यह विपक्ष नहीं बल्कि सरकार तय करेगी। लेकिन कांग्रेस के साथ-साज जदयू, सपा, तृणमूल आदि ने प्रधानमंत्री को सदन में बुलाने की मांग फिर दोहराई और इस मुद्दे को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी।

इससे पूर्व सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि नियम 267 के तहत सभापति चर्चा का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री को निर्देश दे सकते हैं। लेकिन उप सभापति पी.जे. कुरियन ने इसे खारिज करते हुए कहा कि सदन की परंपरा है कि चर्चा का जवाब संबंधित मंत्री देता है लेकिन यदि सदन जवाब से संतुष्ट नहीं होता है तो इसे जाहिर करने के लिए एक प्रक्रिया है। लेकिन यहां प्रश्न पहले यह है कि चर्चा तो शुरू हो।

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