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उत्तर प्रदेश में कांग्रेस इस बार सिर्फ भाग्य भरोसे

गांधी परिवार से नजदीकियों की वजह से ब्लैक कैट कमांडो कमल किशोर ने 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बहराइच से परचम लहरा दिया। ऐसे ही एक वयोवृद्ध नेता थे, जो दूसरे के लिए टिकट की सिफारिश...

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस इस बार सिर्फ भाग्य भरोसे
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 25 Mar 2014 11:05 AM
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गांधी परिवार से नजदीकियों की वजह से ब्लैक कैट कमांडो कमल किशोर ने 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बहराइच से परचम लहरा दिया। ऐसे ही एक वयोवृद्ध नेता थे, जो दूसरे के लिए टिकट की सिफारिश करने गए थे लेकिन तोहफे के तौर पर उन्हें ही टिकट मिल गया और वह चुनावी वैतरणी पार भी कर गए।

यूपी में कांग्रेस के अन्य 19 उम्मीदवारों की जीत भी आश्चर्य से कम नहीं थी। पार्टी ने तब 80 में से 21 सीटें और 18 फीसदी वोट हासिल किए। लेकिन इस बार पार्टी के कट्टर समर्थकों को भी यकीन नहीं है कि पार्टी करिश्मा दोहरा पाएगी। सपा और भाजपा के धुआंधार प्रचार की तुलना में कांग्रेस का चुनावी अभियान बेहद फीका है। लखनऊ से दोबारा मैदान में उतरीं रीता बहुगुणा जोशी भी पार्टी की कामयाबियों की बजाय भाजपा में मतभेदों को गिनाकर वोट मांग रही हैं। वर्ष 2009 में कांग्रेस ण मुक्ति योजना, मनरेगा, आरटीआई जैसे हथियारों से लैस थी, यूपीए के दूसरे कार्यकाल में भी कुछ अहम बिल पास हुए हैं लेकिन इस बार ये मजबूत सत्ता विरोधी लहर को थामने में कामयाब होते नहीं दिख रहे। महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने का कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का वादा, सिर्फ चुनिंदा सीटों से महिलाओं को टिकट देने के साथ खोखला साबित हो रहा है। जातिगत दांव खेलते हुए प्रतापगढ़ की रैली में राहुल गांधी के नाम के साथ पंडित लगाकर ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश की गई। यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने उसी दिन युवा ब्राह्मण को कृषि मंत्री बना जवाब दिया।

इस बार राज्य में धर्मनिरपेक्षता बनाम सांप्रदायिकता का कार्ड भी फेल होते दिख रहा है। गोरखपुर के अजीज अहमद का कहना है कि अल्पसंख्यक एक राष्ट्रीय पार्टी को वोट देना चाहते हैं जो भाजपा के लिए तगड़ी चुनौती पेश करे। इलाहाबाद के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का तो कहना है कि शायद हम किसी चमत्कार की आस लगाए बैठे हैं। वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद ने वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 2009 की रणनीति दोहराने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम रहे। राज्यसभा में गए कांग्रेस नेता संजय सिंह की पत्नी की जीत की राह भी आसान नहीं दिख रही। बेनी प्रसाद वर्मा दरियाबाद विधानसभा सीट से अपने बेटे को नहीं जिता सके।

खतरे की घंटी
2009 में कांग्रेस की जीतीं 21 सीटों में से 15 पर बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस के वोट बैंक में इस बार भी सेंध का खतरा।
2009 में मायावती द्वारा यूपी में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कुल 80 सीटों में से बसपा के 46 प्रत्याशी दूसरी पायदान पर रहे।

उम्मीदें और चुनौतियां
भोजपुरी अभिनेता रविकिशन (जौनपुर), क्रिकेटर मोहम्मद कैफ(फूलपुर), अभिनेत्री नगमा (मेरठ) को दिखाए जा रहे काले झंडे स्टारडम को धुंधला रहे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री फैजाबाद में घिरे, 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां की पांचों विधानसभा सीटों पर पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी।
गोंडा से कांग्रेस सांसद बेनी प्रसाद वर्मा भी अपने संसदीय क्षेत्र की पांचों सीटें सपा से नहीं बचा सके। बेनी मुलायम को अपने सबसे बड़ा राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बताते हैं।
केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद आप के निशाने पर हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद बुरी तरह हारकर पांचवें नंबर पर रही।

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