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शंकराचार्य-उमा भारती में जुबानी जंग, बर्खास्तगी की मांग

साईं बाबा मामले को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद, हरिद्वार के संत और उमा भारती के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। संतों ने उमा भारती को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है। उधर, उमा भारती ने...

शंकराचार्य-उमा भारती में जुबानी जंग, बर्खास्तगी की मांग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 29 Jun 2014 11:36 PM
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साईं बाबा मामले को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद, हरिद्वार के संत और उमा भारती के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। संतों ने उमा भारती को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है। उधर, उमा भारती ने रविवार देर शाम शंकराचार्य को फैक्स से भेजे पत्र में साईं बाबा पर अपने बयान पर कायम करने की बात दोहरायी है।

उमा भारती ने शनिवार को हरिद्वार में कहा था कि वे साई बाबा की पूजा करती हैं। उनके इस बयान के बाद रविवार सुबह शंकराचार्य स्वरूपानंद ने उमा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि, साईं बाबा की पूजा करने वाली उमा भारती रामभक्त नहीं हो सकतीं।

इसके बाद देर शाम शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कनखल स्थित आश्रम में भारत साधु समाज की केंद्रीय कार्य समिति की बैठक बुलायी। इस बैठक में संतों ने उमा के बयान का विरोध करते हुए उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की। बैठक में महामंडलेश्वरों में स्वामी विवेकानंद,  स्वामी दिव्यानंद महाराज, स्वामी श्यामसुंदर दास शास्त्री समेत स्वामी गंगादास, महंत जन्मेजय शरण, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, स्वामी सच्चिदानंद, स्वामी कपिल मुनि महाराज, स्वामी ज्ञानानंद, महंत कमलदास महाराज, स्वामी हरिचेतनानंद महाराज आदि उपस्थित थे।

मुस्लिम और ईसाई क्यों नहीं मानते साई बाबा को?
संतों की बैठक में शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा कि हिन्दुओं को अपने महान धर्म शास्त्रों और परंपराओं के संरक्षण के लिए उन्हें सावधान रहना होगा। शंकराचार्य ने कहा कि किसी भी मुस्लिम और इसाई ने साईं बाबा को अपना देवता नहीं माना। लेकिन हजारों हिन्दू उन्हें भगवान मानने लगे हैं। साईं बाबा के प्रचार के लिए विदेश से अरबों रुपये भारत पहुंच रहे हैं।

गंगा बचानी है तो बांधों पर रोक लगाए उमा
बैठक में अंत में शंकराचार्य ने उमा के गंगा लेकर अभियान चलाने की बात पर कहा कि जब तक बांध बनते रहेंगे, गंगा अविरल नहीं बह सकती। उमा भारती गंगा को बचाना चहती है तो सबसे पहले बांधों पर अंकुश लगाए।  

पांच सूत्रीय कार्यक्रम चलाने का निर्णय
हरिद्वार। भारत साधु संत समाज की बैठक में धर्माचार्यों व महामंडलेश्वरों ने एक स्वर में पंच सूत्रीय राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया। धार्मिक जीवन और धर्म स्थान संरक्षण धर्मस्थानों एवं मठाधीशों के अधिकारों की स्वायत्तता की रक्षा, बिहार, गुजरात व ओडिशा में धर्मादा ट्रस्ट कानून में संशोधन कर यूपी, पंजाब, हरियाणा में भूमि हदबंदी कानून में छूट देने की मांग की गई।

उमा ने कहा, मैं अपने रुख पर अडिग
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने रविवार की शाम को फैक्स से जगदगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को एक पत्र भेजा है। पत्र में उमा भारती ने कहा है कि हरिद्वार की पत्रकार वार्ता में जो कुछ उन्होंने कहा उस पर वह कायम हैं। वे स्वयं साईं बाबा को बहुत मानती हैं और सभी संत परंपराओं का बहुत सम्मान करती हैं।

उमा पर क्या कहा संत समाज ने

एक तरफ उमा भारती शंकराचार्य को पिता तुल्य बता रही हैं तो दूसरी ओर उनकी कही बात को न मानकर उनका अपमान कर रही हैं। उमा भारती को केंद्रीय मंत्री मंडल में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए।
महामंडलेश्वर प्रेमानंद महाराज

रावण की भी सोने की लंका व सोने का विमान था। लेकिन न लंका रही न वि विमान। आध्यात्म की रक्षा के लिए संत समाज जनजागरण चलायेगा।
स्वामी हरिनारायण नंद, भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री

हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सभी लोगों को अपनी आध्यात्मिक शक्ति संगठित करनी होगी। जिससे भौतिक व आध्यात्मिक विचार करके अपने धर्म की रक्षा की जा सके।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, राष्ट्रीय मंत्री भारत साधु समाज

जैसे गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चलाया गया है। ऐसे ही धर्म को भी प्रदूषण से मुक्त करना जरूरी है। साईं इसी तरह के एक प्रदूषण हैं।
डा. अजय गौतम, राष्ट्रीय प्रवक्ता हिन्दू सभा

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