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गर्भवती महिलाओं का रखना होगा ऑनलाइन रिकॉर्ड

बिगड़े लिंग अनुपात को सुधारने के लक्ष्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अब नई कार्यप्रणाली शुरू कर दी है, ताकि भ्रूण हत्या पर पूर्णतया अंकुश लग सके। विभाग ने क्षेत्र की एएनएम व आशा वर्करों को इस कार्य पर...

गर्भवती महिलाओं का रखना होगा ऑनलाइन रिकॉर्ड
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 31 Jan 2015 06:51 PM
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बिगड़े लिंग अनुपात को सुधारने के लक्ष्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अब नई कार्यप्रणाली शुरू कर दी है, ताकि भ्रूण हत्या पर पूर्णतया अंकुश लग सके। विभाग ने क्षेत्र की एएनएम व आशा वर्करों को इस कार्य पर निगरानी व गर्भवती महिलाओं का लेखाजोखा रखने का कार्य सौंपा है। इस रिकॉर्ड को अस्पताल के कर्मी ऑनलाइन करेंगे। हाल ही में अधिकारियों की बैठक में इस सरकारी योजना को लागू करने पर चर्चा हुई।

ये है योजना:- स्वास्थ्य विभाग ने आशा वर्करों को इस योजना को लागू करने के लिए जानकारी दी है। इस योजना के तहत पात्र दंपति व 50 गर्भवती महिलाओं का पंजीकृत आरसीएच रजिस्टर लगाया जाएगा। इस कार्य को करने के लिए 500 की आबादी पर एक रजिस्टर लगाकर आशा वर्कर व एएनएम घर-घर पहुंचकर पात्र दंपति व गर्भवती महिलाओं के नाम दर्ज करेंगी। इतना ही नहीं जिनका नाम दर्ज किया जाएगा उनका हर महीनें प्रेग्नेंसी टेस्ट भी होगा।

संतान पैदा करने के इच्छुक दंपति से यह वर्कर लगातार संपर्क में रहेगी। साथ ही गर्भधारण होने की जानकारी विभागीय पोर्टल में शामिल करेंगी। प्रसव तक विभागीय टीम महिला के घर जाकर जांच करेगी। इससे लिंग जांच व गर्भपात आदि पर अंकुश लगेगा। एक एएनएम को 12 सप्ताह के अंदर महिलाओं की एंटी नैटल चैकअप (एएनसी) दर्ज करनी होगी। साथ में प्रसव पूर्व महिला को निर्धारित अंतराल में टीकाकरण व अन्य सुविधाएं करवाई जाएगी।

आपातकाल में घर पर होगी डिलीवरी:- विभाग के मुताबिक आपात स्थिति में तुरंत उपचार नहीं मिलने पर प्रसव पीड़िता को जानलेवा खतरा रहता है। उनकी सुविधा के लिए अस्पतालों से एंबुलेंस, प्रशिक्षित स्टाफ नर्स व अन्य सुविधाएं घर पर ही दी जाएंगी। विभाग के मुताबिक प्रधानमंत्री के आह्वान पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के लक्ष्य को लेकर सरकार ने यह मुहिम चलाई है।

केन्द्र व प्रदेश स्वास्थ्य मंत्रालय ने पोर्टल पर रिकॉर्ड दर्ज करने के निर्देश दिए है। इस विषय पर आशा वर्करों व एएनएम की बैठक लेकर निर्देश दिए गए हैं। लिंगानुपात रोकने व भ्रूण हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए विभाग गंभीर हो गया है। विभाग के नए निर्देशों से मातृ-शिशु मूत्यु दर में भी कमी आएगी।
डॉ. लोकवीर सिंह
डिप्टी सीएमओ, पलवल

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