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सिर्फ पढ़ाई ही नहीं स्कूलों में दबंगई भी कर रहे हैं बच्चे

स्कूल की यादों को किसी जमाने में लोग सहेज कर रखना चाहते थे, लेकिन आजकल के स्कूली बच्चे अपेक्षाकृत पहले से अधिक आक्रामक को गए हैं। जिसकी वजह से ‘स्कूल बुलिंग’ एक नई समस्या बन गई...

सिर्फ पढ़ाई ही नहीं स्कूलों में दबंगई भी कर रहे हैं बच्चे
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 29 Aug 2014 10:07 AM
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स्कूल की यादों को किसी जमाने में लोग सहेज कर रखना चाहते थे, लेकिन आजकल के स्कूली बच्चे अपेक्षाकृत पहले से अधिक आक्रामक को गए हैं। जिसकी वजह से ‘स्कूल बुलिंग’ एक नई समस्या बन गई है।

‘स्कूल बुलिंग’ को लेकर दिल्ली एनसीआर के स्कूलों में किए गए सर्वेक्षण की अगर मानें तो आपसी झगड़े की हर क्लास में रोजाना दो से तीन शिकायतें आती हैं, जिसे लेकर शिक्षक प्रिंसिपल के पास पहुंच रहे हैं। इनमें शामिल अधिकांश छात्र 13-17 वर्ष की उम्र के बीच के हैं। फोर्टिस नेशनल मेंटल हेल्थ कार्यक्रम के तहत किए गए अध्ययन में एनसीआर के 300 अध्यापकों से ‘स्कूल बुलिंग’ की समस्या के संदर्भ में 17 बिंदुओं पर सवाल किए गए।

मेंटल हेल्थ और व्यवहार विज्ञान के निदेशक डॉं. समीर पारीख ने बताया कि लंबे समय से माता-पिता बच्चों के आक्रामक व्यवहार की समस्या को लेकर ओपीडी में पहुंच रहे थे। इस बीच देखा गया कि एनसीआर के लगभग सभी स्कूलों में बुलिंग एक आम समस्या हो गई, जिसमें कई बार बच्चों का झगड़ा इतना अधिक बढ़ जाता है कि माता-पिता तक शिकायत पहुंचती है। हालांकि ऐसे मामलों की शिकायत पुलिस में नहीं की जाती। डॉं. समीर ने बताया कि सही समय पर बच्चों की काउंसलिंग और शिक्षकों की मदद से बुलिंग को कम किया जा सकता है। लेकिन ऐसे बच्चों के व्यवहार को बदलने के लिए सजा की सलाह नहीं दी जाती।

कई बार एक दूसरे सहपाठियों के सामने सजा मिलने पर बच्चे और भी अधिक आक्रामक हो जाते हैं। शिक्षक और काउंसलर के सुझावों को मानते हुए अब स्कूलों में ‘स्टॉप बुलिंग’ के पोस्टर भी लगाए गए हैं। अध्ययन में दिल्ली एनसीआर के 50 शिक्षक जूनियर क्लास के, 150 मध्यवर्ती क्लास के और 100 शिक्षक सीनियर सेकेंड्री स्कूल के शामिल किए गए।

व्यवहार में बदलाव क्यों
स्कूलों में बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ रही है
67 प्रतिशत बच्चे एक दूसरे को खुद से बेहतर और प्रभावी मानते हैं
इसके पीछे अहम वजह माता या पिता का अच्छे ओहदे पर होना है

अध्ययन के परिणाम
96 प्रतिशत
शिक्षकों ने माना, स्कूलों में बढ़ रही है बुलिंग
55 प्रतिशत शिक्षकों के अनुसार, बुलिंग की वजह से स्कूली बच्चे स्कूल आने से कतराते हैं
61 प्रतिशत शिक्षकों ने माना, बीते एक महीने में 75 प्रतिशत बच्चों को क्लास और कॉरिडोर में झगड़ते देखा
93 प्रतिशत इस बात पर सहमत दिखे की स्कूल में बुलिंग की समस्या बच्चों को तनाव दे सकती है
56 प्रतिशत ने माना कि बुलिंग की अधिक शिकायत का सीधा असर पढ़ाई पर पड़ेगा
60 प्रतिशत शिक्षकों ने सुझाव दिया कि स्कूलों में बुलिंग प्रीवेंशन सेंटर बढ़ाए जाने चाहिए

मनोचिकित्सक डॉं. समीर पारीख के अनुसार, इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट की आसान पहुंच से बच्चों के व्यवहार पर साइबर बुलिंग का असर भी पड़ रहा है। फेसबुक पर अपनी आईडी बनाने वाले 8-12 साल के ऐसे कई बच्चे बुलिंग के फुटेज अपलोड भी करते हैं। 74 प्रतिशत शिक्षकों ने माना कि साइबर बुलिंग का स्कूली बुलिंग में अहम रोल है, जबकि 24 प्रतिशत शिक्षकों ने माना कि बच्चों के अपने व्यक्तिगत व्यवहार की वजह से सहपाठियों से झगडते हैं।

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