सफदरजंग अस्पताल में खुला देश का पहला स्किन बैंक
दान में मिलने वाली मानव त्वचा का इस्तेमाल अब आग के शिकार लोगों के इलाज में किया जाएगा। इसके लिए सफदरजंग अस्पताल में देश का पहले स्किन बैंक एनओटीटीओ (नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन)...
दान में मिलने वाली मानव त्वचा का इस्तेमाल अब आग के शिकार लोगों के इलाज में किया जाएगा। इसके लिए सफदरजंग अस्पताल में देश का पहले स्किन बैंक एनओटीटीओ (नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन) शुरू कर दिया गया है। अब तक अन्य अंगों को दान करने के लिए एम्स के आरबो बैंक की भूमिका अहम मानी जाती थी, लेकिन त्वचा बैंक की मदद से अंगदान दान के लिए एक नेटवर्क तैयार किया जाएगा। केवल त्वचा ही नहीं टिश्यू बैंक की मदद से हड्डी, कार्निया और अन्य कोशिकाओं को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
सोमवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉं. हर्षवर्धन ने बैंक की औपचारिक शुरूआत की। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजपाल ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की मदद से शुरू होने वाले केन्द्र को आईसीएमआर के संरक्षण में स्थापित किया गया है। आईसीएमआर के पैथोलॉजी रिसर्च सेंटर के चौथे तल पर टिश्यू बैंक की जगह का चयन किया गया है। फिलहाल यह सेंटर मॉडल आर्गन प्रोसिजर ईएनटी एंड डिस्ट्रीब्यूशन (एमओपीडीओ) नाम से संचालित किया जा रहा था। सफदरजंग के बर्न यूनिट की मदद से इस केन्द्र को राष्ट्रीय स्तर के टिश्यू बैंक के रूप में विकसित किया गया है। त्वचा बैंक की तकनीकि कमेटी के सदस्य और बर्न यूनिट के प्रो. आरपी नारायण ने बताया कि दिल्ली में बैंक का मुख्य केंद्र होगा, जिसे देशभर की अंगदान करने वाली संस्थाओं अन्य छह राज्यों के केन्द्रों से जोडम जाएगा। एनओटीटीओ द्वारा सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद संचालन शुरू किया गया।
ऐसे होगा त्वचा का संरक्षण
अंग दान के जैसे ही फार्म में त्वचा और हड्डियां दान करने का भी विकल्प होगा। डॉं. आरपी नारायण कहते हैं कि टिश्यू बैंक एम्स के आरबो से पूरी तरह अलग होगा। टिश्यू बैंक में एक निर्धारित समय तक अंगों को संरक्षित किया जाएगा। एक सामान्य व्यक्ित की संरक्षित त्वचा को छह महीने से दो साल के भीतर प्रयोग में लाया जा सकेगा जबकि हड्डी का इस्तेमाल दो से तीन साल के अंदर किया जा सकेगा।
इन लोगों को होगा फायदा
70 प्रतिशत जले कुछ मरीज त्चचा न आने के कारण वह सामान्य जीवन नहीं जी पाते। जले हुए भाग पर हालांकि कुछ समय बाद प्राकृतिक त्वचा आती है, लेकिन त्वचा का ऊपरी हिस्सा पहले जैसा नहीं हो पाता। दान की गई त्वचा में इस हिस्से को बदलकर पहले जैसा बनाया जा सकेगा। इससे पहले पैथोलॉजी रिसर्च केन्द्र लैबोरेटरी में इस पर शोध कर रहा था, लेकिन स्किन बैंक पर सहमति बन गई।
कॉल सेंटर बनाया जाएगा
अंगदान के लिए राज्यस्तरीय नेटवर्किंग स्टेशन के रूप में काम करने के लिए नाटो में एक कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा। कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़, गुवाहटी सहित अन्य छह राज्यों के आर्गन बैंक से कॉल सेंटर को जोड़ा जाएगा। कॉल सेंटर की मदद से अंगदान के प्रति लोगों में अधिक जागरूकता बढ़ेगी और बेवजह की औपचारिकताएं कम होंगी। इससे अंगदान बढ़ेगा।