दाल और गुड़ से पुराने स्वरूप में लौटेगा शाही झरना
महरौली में हौज-ए-शम्शी के पास स्थित शाही झरने के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम अंतिम चरण में है। इमारत को पुराना स्वरूप देने के लिए उदड़ की दाल और गुड़ का उपयोग किया जा रहा है। इमारत के जीर्णोंद्धार...
महरौली में हौज-ए-शम्शी के पास स्थित शाही झरने के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम अंतिम चरण में है। इमारत को पुराना स्वरूप देने के लिए उदड़ की दाल और गुड़ का उपयोग किया जा रहा है।
इमारत के जीर्णोंद्धार का काम देख रहे इंटेक दिल्ली चेप्टर के निदेशक (परियोजना) अजय कुमार ने बताया कि बारिश की वजह से काम में कुछ देरी हुई है। हालांकि इसे मई मध्य तक पूरा कर लिया जाएगा।
पारंपरिक सामग्री का हो रहा इस्तेमाल: अजय ने बताया कि जीर्णोद्धार में उदड़ की दाल, गुड़, बेल (फल), चूना, शीरा, सुरखी का इस्तेमाल हो रहा है। इमारत को वास्तविक स्वरूप देने के लिए हमने सीमेंट की जगह पुराने समय में इस्तेमाल होने वाली सामग्री प्रयोग की।
पेंट को हटाने में लगा समय: झरने की इमारत पर एक से दो इंच तक सफेद पेंट था। इस पेंट को हटाने के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों का सहारा लिया गया। इसमें काफी समय लग गया। इमारत पर फूल वालों की सैर के मेले के दौरान हर साल सफेद पेंट कर दिया जाता था। इस पेंट की मोटाई दो इंच तक पहुंच गई थी।
ऐतिहासिक महत्व: हौज-ए-शमशी को 1230 में शमसुद्दीन इल्तुत्मिश ने बनवाया था। इसके पानी को काफी पवित्र माना जाता था।