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आरएमएल में आम नहीं 'खास' मरीजों का विशेष ध्यान रखने का आदेश

राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आम मरीज नहीं बल्कि खास मरीजों का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा गया है। इस बावत जारी एक आदेश में चिकित्सा अधीक्षक ने इस बात का हवाला दिया कि लंबे समय इमरजेंसी और ओपीडी में...

आरएमएल में आम नहीं 'खास' मरीजों का विशेष ध्यान रखने का आदेश
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 27 Jul 2015 06:56 PM
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राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आम मरीज नहीं बल्कि खास मरीजों का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा गया है। इस बावत जारी एक आदेश में चिकित्सा अधीक्षक ने इस बात का हवाला दिया कि लंबे समय इमरजेंसी और ओपीडी में मौजूद चिकित्सक वीआईपी मरीजों के इलाज में लापरवाही बरत रहे हैं। दो महीने से जारी इस आदेश के बाद आम मरीजों का इंतजार बढ़ गया है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन आने वाले राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और निदेशक डॉ. एके गडपई ने इस नोटिस जारी करते हुए सभी सीनियर और जूनियर चिकित्सक सहित ओटी नर्स और विभागाध्यक्षों को ऐसे मरीजों का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा है जो वीआईपी कोटे या फिर वीआईपी का रेफरेंस से आते हैं। 21 मई को जारी इस आदेश में स्पष्ट रूप से ऐसे मरीजों के इलाज में प्रमुखता बरतने के लिए कहा गया है।

हालांकि निदेशक के इस ऑफिस ऑर्डर की चिकित्सक ही निंदा कर रहे हैं। इमरजेंसी में तैनात एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि इमरजेंसी में रोजाना 150 मरीज आते हैं, जिसमें बीस प्रतिशत मरीज वीआईपी रेफरेंस से आते हैं। इस लिहाज से चिकित्सकों के लिए खुद आम मरीजों को इलाज देना मुश्किल हो जाता है। वहीं 500 मरीजों की रोज की ओपीडी में भी दस प्रतिशत मरीज वीआईपी कोटे का हवाला लेकर आते हैं।

वीआईपी मरीजों को पहले देखने का आदेश मानने में आम मरीजों को इंतजार कराना मजबूरी हो जाता है। मालूम हो कि रविवार शाम को जंगपुरा से आए एक "आम"  मरीज को तीन घंटे के इंतजार के बाद वेंटिलेटर मिला। डीपीएस मथुरा के पूर्व प्रधानाचार्य सुरेश पाठक को दिल में घाव होने के कारण इलाज कराने के लिए पहुंचे बेटी इन्दिरा को तीन घंटे इमरजेंसी में इंतजार करना पड़ा। इन्दिरा ने बताया कि एक घंटे तक इमरजेंसी में भी किसी चिकित्सक ने उनके पापा को नहीं देखा। निजी एम्बुलेंस लेकर अस्पताल पहुंची इन्दिरा को तीन घंटे के इंतजार के बाद भर्ती किया गया।

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