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मुंबई हमले को गुनाहगारों को अभी तक सजा नहीं

छह साल पहले मुंबई शहर पर हुए भीषण आतंकी हमले के सभी गुनाहगारों को आज भी सजा नहीं दिलाई जा सकी है। भारत ने मुंबई हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार...

मुंबई हमले को गुनाहगारों को अभी तक सजा नहीं
Tue, 25 Nov 2014 11:25 PM
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छह साल पहले मुंबई शहर पर हुए भीषण आतंकी हमले के सभी गुनाहगारों को आज भी सजा नहीं दिलाई जा सकी है। भारत ने मुंबई हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, इस हमले का मास्टरमाइंड पाकिस्तान में जमात-उद-दावा का प्रमुख हाफिज सईद है। लेकिन पाकिस्तान ने अब तक हाफिज सईद पर किसी भी तरह का फैसला नहीं लिया है। पुलिस ने इस मामले में 11,500 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था। उसमें 38 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस आरोप पत्र में पाकिस्तान सेना के दो अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं।

26 नवंबर 2008 को आतंकियों ने मुंबई को अपना निशाना बनाया था। हमले में शामिल 10 आतंकियों में से नौ मारे गए, जबकि एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब को पकड़ा गया था।

पाकिस्तान में चल रहा मुकदमा
मुंबई हमलों के आरोप में पाकिस्तान में 7 संदिग्धों पर मुकदमा चल रहा है। इनमें लश्कर-ए-तैयबा का सरगना जकीउर रहमान लखवी शामिल है। लेकिन कभी आतंकी डर की वजह से, तो कभी जज के छुट्टी पर चले जाने के कारण इस मामले की सुनवाई टलती जा रही है।

हेडली को 35 साल की सजा
आतंकियों की मदद को लेकर अमेरिका के शिकागो में डेविड हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा पर भी मुकदमा चुलाया गया। 24 जनवरी 2013 को अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमन हेडली को 35 साल की सजा मिली। 17 जनवरी 2013 को तहव्वुर हुसैन राणा को भी 14 साल की सजा सुनाई गई।

कसाब को हुई फांसी
एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब पर 25 फरवरी 2009 को आरोप तय हुए। तीन मई 2010 को उसे दोषी करार दिया गया। छह मई 2010 को कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई। 21 नवबंर 2012 को सुबह साढ़े सात बजे उसे फांसी पर लटका दिया गया।

हथियार नीति की समीक्षा करे सरकार : हाईकोर्ट
मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को हर तीन साल पर अपनी हथियार नीति की समीक्षा करने सलाह दी है। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान कुछ आला अधिकारियों को इस वजह से जान गंवानी पड़ी क्योंकि उनके पास अच्छे हथियार नहीं थे।
न्यायमूर्ति वीएम कणाडे और अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने यह टिप्पणी 26/11 की घटना की छठी बरसी से एक दिन पहले की है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार को हर तीन साल पर हथियारों की खरीद की अपनी नीति की समीक्षा करनी होती है पर अफसोस कि 2010 के बाद से यह समीक्षा नहीं की गई है। पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि तुरंत एक विशेष समिति गठित कर नियमित आधार पर हथियार नीति की समीक्षा की जाए।
    
                    

 

 

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