मुगल तकनीक से चलेंगे लाल किले के फव्वारे
पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने लाल किले में मुगलकालीन तकनीक को पुनर्जीवित करने की पहल की है। किले में खुदाई के पहले चरण के दौरान मेहताब बाग के जलाशय और फव्वारे मिले थे। अब इसकी भूमिगत जल संचरण प्रणाली...
पुरातत्व विभाग (एएसआई) ने लाल किले में मुगलकालीन तकनीक को पुनर्जीवित करने की पहल की है। किले में खुदाई के पहले चरण के दौरान मेहताब बाग के जलाशय और फव्वारे मिले थे। अब इसकी भूमिगत जल संचरण प्रणाली (वाटर चैनल्स) और वह कुआं मिल गया है, जिससे वाटर चैनल्स में पानी की आपूर्ति होती थी। लगभग 400 साल पहले इस्तेमाल की गई इस तकनीक से ही अब किले के 230 फव्वारों को चलाया जाएगा।
क्या है योजना: विश्व विरासत दिवस की पूर्व संध्या पर एएसआई ने बताया कि किले को मूल स्वरूप में लाने की योजना पर दो साल से काम चल रहा है। इसी कड़ी में मेहताब बाग की खुदाई का काम गत वर्ष अक्टूबर में शुरू किया गया था।
खुदाई में बाग के जलाशय की जलसंचरण प्रणाली भी मिल गई है। साथ ही मिट्टी की 10 इंच व्यास वाली पाइपलाइनों को भी सुरक्षित निकाल लिया गया है। इनसे जलाशयों में पानी जाता था।
पहल का लाभ: एक अधिकारी ने बताया कि सन 1645 में निर्मित मेहताब बाग को दबाकर अंग्रेजों ने इसके ऊपर पोलो ग्राउंड बनाया था। मेहताब और हयातबख्श बाग के जलाशयों की पाइपलाइनें जुड़ी हैं। शाह बुर्ज और नेहर बिश्त के लगभग 200 फब्बारों को मेहताब बाग से पानी की आपूर्ति होती थी।
जिस तरह इस बाग को सुधारा जा रहा है, उसी तरह अन्य एतिहासिक बागों पर भी जल्द काम होगा।
बीआर मणि, प्रवक्ता पुरातत्व विभाग