ग्लोबल वॉर्मिंग से गरीबी की लड़ाई पड़ सकती है कमजोर: विश्व बैंक
विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट के जरिए चेतावनी देते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन विश्व भर में गरीबी को हराने के लिए किए जा रहे प्रयासों को कमजोर कर सकता है। ग्लोबल वॉर्मिंग के...
विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट के जरिए चेतावनी देते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन विश्व भर में गरीबी को हराने के लिए किए जा रहे प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभाव पर आई इस नई रिपोर्ट में बैंक ने कहा कि तापमान में तेज वृद्धि के कारण कई इलाकों में फसलों के उत्पादन और जल आपूर्ति में भारी कमी आएगी और यह संभवत: लोगों को गरीबी के चक्र से मुक्त कराने के लिए किए जा रहे प्रयासों को कमजोर करेगा।
रिपोर्ट में कहा गया, जलवायु परिवर्तन विकास प्रगति के समक्ष एक प्रबल और तीव्र खतरा पेश करता है। यह गरीबी मिटाने और साक्षी समृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
यदि कोई मजबूत और त्वरित कार्रवाई नहीं की जाती है तो तापमान में डेढ़ से दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है। इसके परिणामों से दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में गरीबी के और भी बुरे प्रभाव हो सकते हैं।
बैंक ने कहा कि पहले ही औसत तापमान में औद्योगिकरण के पहले के स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की आशंका है। इसकी वजह बीते समय और मौजूदा समय में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन है। इसका अर्थ यह है कि अत्यधिक गर्मी, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और चक्रवातों के जल्दी-जल्दी आने का खतरा बढ़ेगा।
लेकिन किसी ठोस कार्रवाई के अभाव में असली खतरा यह है कि औसत वैश्विक तापमान में इस शताब्दी के अंत तक चार डिग्री की वृद्धि हो सकती है। बैंक ने इसे बढ़े हुए खतरों और वैश्विक अस्थिरता वाला भयावह विश्व बताया।
विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा, गरीबी को खत्म करना, वैश्विक समृद्धि को बढ़ाना और वैश्विक असमानता को कम करना पहले ही मुश्किल है। तापमान में दो डिग्री की और अधिक वृद्धि हो जाने से यह और भी अधिक मुश्किल हो जाएगा। लेकिन इस बात में गंभीर संदेह है कि चार डिग्री की वृद्धि हो जाने पर ये लक्ष्य पूरे भी किए जा सकते हैं या नहीं।
टर्न डाउन द हीट: कंफ्रंटिंग द न्यू क्लाइमेट नॉर्मल नामक नई रिपोर्ट का मुख्य ध्यान गर्मी के विशेष क्षेत्रीय प्रभावों पर है। दो डिग्री की वृद्धि ब्राजील की सोयाबीन फसल का उत्पादन 70 प्रतिशत तक कम कर सकती है। पिघलते ग्लेशियर एंडीज के आसपास के शहरों के लिए खतरा बन सकते हैं और पश्चिमी तट पर रहने वाले समुदायों की मत्स्य आपूर्ति क्षीण हो सकती है।
दो डिग्री की वृद्धि से मकदूनिया में मक्का, गेहूं और अंगूर की फसलों के उत्पादों में 50 प्रतिशत की कमी आ सकती है। उत्तरी रूस में इसके कारण बर्फ से ढके क्षेत्र में लगातार पिघलन होगा। इसके कारण नुकसानदायक मेथेन के उत्सर्जन में वृद्धि होगी, जिसके चलते उष्मण के चलन में वृद्धि होगी।
विश्व बैंक ने अत्यधिक गरीबी को वर्ष 2030 तक मिटाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। किम का कहना है कि यह तभी किया जा सकता है जब उष्मण को महज दो डिग्री तक सीमित रहे।