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दो दशक की गैंगवार में 30 मौतें देख चुका है नजफगढ़

बाहरी दिल्ली यानि दिल्ली के बचे हुए गांवों का इलाका। जमीनों की आसमान छूती कीमतों ने इस क्षेत्र को गैंगवार की आग में झोंक दिया है। बीते दो दशक में इस इलाके ने क्या सहा है उसकी पड़ताल करती दिनेश वत्स...

दो दशक की गैंगवार में 30 मौतें देख चुका है नजफगढ़
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 01 Apr 2015 12:56 PM
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बाहरी दिल्ली यानि दिल्ली के बचे हुए गांवों का इलाका। जमीनों की आसमान छूती कीमतों ने इस क्षेत्र को गैंगवार की आग में झोंक दिया है। बीते दो दशक में इस इलाके ने क्या सहा है उसकी पड़ताल करती दिनेश वत्स की रिपोर्ट

नजफगढ़ की कहानी दिलचस्प है। समय के साथ यहां गैंग के नाम और शूटरों के चेहरे बदलते रहे, लेकिन 22 साल बाद भी गैंगवार जारी है। गैंग्स ऑफ नजफगढ़ अब तक 30 लोगों को मौत की नींद सुला चुकी हैं। पश्चिम दिल्ली और बाहरी दिल्ली के नजफगढ़, मित्राऊं, ढिचॉऊ कलां, मुंडका ऐसे गांव हैं जो गैंगवार के लिए आज भी सुर्खियों में हैं।

1993 में भरत सिंह के बड़े भाई किशन पहलवान का पार्टनर और टॉप शूटर राजेश नाहरी यहां दबदबा बनाए हुए थे। तब इस गैंग के प्रतिद्वंद्वी नरेंद्र-बलराज गैंग थे। दोनों गैंग अवैध कमाई में लगे हुए थे। जून, 1993 में तेल का कारोबार करने वाले सुरेश व उसके भाई की नजफगढ़ में गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के बाद व्यापारियों में दशहत का माहौल रहा और कई दिन तक बाजार बंद रहे। दोहरे हत्याकांड में शक की सुई दोनों ही गिरोह पर जा रही थी, इसलिए उस समय पश्चिम जिला के पुलिस उपायुक्त दीपक मिश्रा थे, जो वर्तमान में स्पेशल सीपी (लॉ एंड ऑर्डर) हैं। उन्होंने अपने एसीपी और इंस्पेक्टरों की दो टीमें बनाई। इसमें एक को किशन पहलवान- राजेश नाहरी को पकड़ने के लिए तो दूसरी टीम को नरेंद्र के पीछे लगाया गया। करीब एक माह की भाग दौड़ के बाद दोनों गैंग्स पुलिस की गिरफ्त में थे। पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई कि व्यापारी भाईयों की हत्या में नरेंद्र-बलराज गिरोह का हाथ था। हत्या रंगदारी को लेकर की गई थी। नरेंद्र-बलराज ने राजस्थान के चिडम्वा में जबकि किशन ने मुजफ्रनगर में अपना ठिकाना बनाया हुआ था। गैंग में राजेश के अलावा अन्य सदस्य थे।

घटना क्रम
3 अप्रैल 1998:
बलराज की हत्या हुई, आरोप किशन पहलवान और कपिल पर लगा।
12 जुलाई 1998: अनूप सिंह ने कपिल के पिता बलवान सिंह की हत्या कर दी। साथ ही एक-एक करके किशन पहलवान और कपिल से जुड़े छह और लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
8 अगस्त 1998: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कृष्ण पहलवान को गिरफ्तार किया।
13 सितंबर 1999: अनूप सिंह ने कपिल के भाई कुलदीप को भी मार दिया।
13 सितंबर 1999: कपिल ने अनूप के भतीजे यशपाल बबलू को मौत के घाट उतार डाला।
25 मई 2000: स्पेशल सेल ने कपिल के मामला षिपाल को मार गिराया।
10 अगस्त 2000: स्पेशल सेल ने मोदी नगर में कपिल को मार दिया।

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