फोटो गैलरी

Hindi News‘केजरीवाल भी जल्द थामेंगे भाजपा का साथ’

‘केजरीवाल भी जल्द थामेंगे भाजपा का साथ’

अल्पसंख्यक और झुग्गीबस्ती वासियों के कांग्रेस के पारंपरिक वोटबैंक में आप सेंधमारी को रोकने के लिए कांग्रेस ने भाजपा और आप को एक ही सिक्के के दो पहलू बताना शुरू किया है। कांग्रेस के चुनाव अभियान...

‘केजरीवाल भी जल्द थामेंगे भाजपा का साथ’
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 31 Jan 2015 11:46 AM
ऐप पर पढ़ें

अल्पसंख्यक और झुग्गीबस्ती वासियों के कांग्रेस के पारंपरिक वोटबैंक में आप सेंधमारी को रोकने के लिए कांग्रेस ने भाजपा और आप को एक ही सिक्के के दो पहलू बताना शुरू किया है। कांग्रेस के चुनाव अभियान प्रभारी अजय माकन ने विरोधियों की चुनौती से निपटने के लिए पार्टी की रणनीति पर हिन्दुस्तान से बात की।

चुनावी मैदान में एक साल पहले कांग्रेस जहां खड़ी थी, कमोबेश आज भी वहीं है। क्या कांग्रेस आपकी अगुवाई में हारी हुई लड़ाई लड़ने जा रही है?
कांग्रेस को मीडिया सर्वेक्षणों में पीछे दिखाने के कारण यह तस्वीर मीडिया तक ही सीमित है जबकि जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। हम मीडिया में नहीं बल्कि चुनाव मैदान में लड़ाई लड़ रहे हैं। इसको सबसे ताजा सबूत भाजपा प्रत्याशियों की सूची में दिखा, जिसमें दूसरे दलों से आए नेताओं को ही जगह मिली है।

सर्वेक्षणों में किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल से आप पीछे हैं।
कांग्रेस चुनाव सर्वेक्षणों के सहारे नहीं बल्कि अपनी पुख्ता चुनावी रणनीति और मजबूत उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतरी है। बेदी, शाजिया इल्मी, एमएस धीर और विनोद बिन्नी सहित आंदोलन से निकले सभी किरदार भाजपा में जा चुके हैं। वह दिन दूर नहीं जब केजरीवाल भी भाजपा का दामन थाम लेंगे।

कांग्रेस के अपने ही बड़े नेता मुसीबत के इस दौर में पार्टी के साथ खड़े होने को तैयार नहीं है? 
पूर्व मंत्री कृष्णा तीरथ को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था। इनमें राजेश यादव और डां. एससी वत्स भी शामिल हैं। कांग्रेस ने जिन्हें ठुकरा दिया भाजपा और आप ने उन्हें अपनाया है। दोनों को अपने ही नेताओं पर भरोसा नहीं है, इसलिए ठुकराए गए नेताओं को बुलाना पड़ रहा है। अरविंदर सिंह लवली की उम्मीदवारी वापस लेना पार्टी का रणनीतिक फैसला है, जो लवली सहित अन्य नेताओं की सहमति से लिया गया है।

चुनाव में दोनों विरोधी दल कांग्रेस को लड़ाई में मान ही नहीं रहे हैं?
भाजपा अपने ही अंदरूनी झगड़ों से उबर नहीं पा रही है। पहली बार भाजपा को बिना घोषणापत्र के चुनाव लड़ना पड़ रहा है। पहले कहा था कि मोदी चेहरा होंगे बाद में बेदी को चेहरा बना दिया। यू टर्न में भाजपा ने आप को भी पछाड़ रही है।

कांग्रेस की बुरी हार के बाद कैसे भरोसा कर सकते हैं कि पार्टी अपनी खोई जमीन हासिल कर लेगी?
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का नुकसान हुआ। अब एक साल में देश और दिल्ली को सपनों का सच समझ में आ गया है। मोदी की रामलीला मैदान की नाकाम रैली इस बात का प्रमाण है कि दिल्लीवाले बिजली-पानी के झूठे वादे, मंहगाई और अच्छे दिनों की हकीकत से वाकिफ होकर कांग्रेस को नकारने की भूल को स्वीकार कर चुके हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें