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शक पर एक माह पहले पुलिस ने रुकवाया था बीमा का भुगतान

चंद्रमोहन शर्मा की हत्या नहीं हुई है बल्कि उसने खुद अपनी हत्या का स्वांग रचा है, यह जानकारी पुलिस को करीब एक महीना पहले लग गई थी। इसी कारण पुलिस ने उसकी पत्नी को होंडा कंपनी से मिलने वाली धनराशि का...

शक पर एक माह पहले पुलिस ने रुकवाया था बीमा का भुगतान
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 28 Aug 2014 11:24 AM
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चंद्रमोहन शर्मा की हत्या नहीं हुई है बल्कि उसने खुद अपनी हत्या का स्वांग रचा है, यह जानकारी पुलिस को करीब एक महीना पहले लग गई थी। इसी कारण पुलिस ने उसकी पत्नी को होंडा कंपनी से मिलने वाली धनराशि का भुगतान रुकवा दिया था। पुलिस उसका पीछा कर रही थी। बेंगलुरु में वह किसी कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम कर रहा था।

चंद्रमोहन होंडा सीएल कंपनी में तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत था। दो मई, 2014 की रात वह कंपनी से वापस लौट रहा था । इसी दौरान कार में जलकर उसके मौत की खबर फैल गई। इसके बाद उसके नाम पर कराए गए बीमा और भविष्य निधि और अन्य भुगतान की प्रक्रिया शुरू हुई।

होंडा से मिली जानकारी के मुताबिक उसकी पत्नी को कंपनी से करीब 36 लाख रुपये का भुगतान किया जाना था। कंपनी ने करीब 20 लाख रुपये के भुगतान कर भी दिए। पर करीब एक महीने पहले जब पुलिस को भनक लगी कि चंद्रमोहन शर्मा मरा नहीं है, बल्कि उसने अपनी हत्या का स्वांग रचा है तो पुलिस ने बाकी भुगतान पर रोक लगवा दी थी। वहीं, पुलिस के सूत्रों ने बताया कि एक महीने से पुलिस उसे ट्रैक कर रही थी। अभी वह बेंगलुरु की एक कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर काम करने लगा था। वह वेश बदलकर रह रहा था। अपना नाम भी बदल लिया था।

संसद से लेकर विदेशी मीडिया तक छाया था 
आरटीआई कार्यकर्ता, अन्ना हजारे के आंदोलन और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में चंद्रमोहन शर्मा को जो प्रसिद्धि मिली थी उसका यह रूप सामने आने के बाद सब पर पानी फिर गया। चंद्रमोहन शर्मा की मौत की खबर संसद और विधानसभा तक गूंजी थी। ‘व्हिसिल ब्लोवर बिल’ में संशोधन की मांग करने के लिए चंद्रमोहन शर्मा की हत्या को सामने रखा गया। वाशिंगटन पोस्ट और वॉलस्ट्रीट जर्नल जैसे विदेशी अखबारों की सुर्खियां बना था। विकिपीडिया ने तो उसकी जीवनी पोर्टल पर डाली थी।

और भी हैं ऐसे अनसुलझे मामले
पिछले एक साल के दौरान ग्रेटर नोएडा में ऐसे तीन हादसे हुए हैं। जिनमें कारें जलीं और तीन लोगों की मौत हो गई। 11 जनवरी, 2014 को शहर की सिल्वर सिटी सोसाइटी के पीछे सुनील शर्मा नाम के व्यक्ति की कार में जलने से मौत हो गई थी। वह सिल्वर सिटी सोसाइटी में ही रहता था। पुलिस ने हादसा करार दिया और मामले की फाइल बंद कर दी है। हाल ही में 19 जुलाई को एक्सप्रेस वे पर एक वैगन आर कार में भी एक व्यक्ति जल गया था, जिसे अभी तक इंजीनियर नितिन रोहिला माना जा रहा है। नितिन की पत्नी और बच्चे की लाश भी अगले दिन 20 जुलाई को नोएडा में उसके फ्लैट से मिली थी। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।

पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
अपनी हत्या का स्वांग रचने वाला जिले में चंद्रामोहन शर्मा पहला व्यक्ति नहीं है। इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं। 25 दिसंबर, 2005 को चचूला गांव से एक महिला गायब हो गई। मायके वालों ने पति और चाची पर मुकदमा दर्ज करवाया। दोनों जेल चले गए। 28 अगस्त, 2006 को महिला अपने जीजा के घर मिली।

इसी तरह दुरियाई गांव से आठ साल बच्चा रूसी मई 2000 में गायब हो गया। परिजनों ने पांच लोगों पर हत्या का मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने तो बच्चे की हत्या की पुष्टि भी कर दी। उसकी चप्पलें और कपड़े तक बरामद कर लिए। एक साल बाद किसी ने रूसी को गांव के तालाब में नहाते हुए देख लिया और पूरा मामला सामने आ गया।

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