कालाधन जमा करने वालों के नाम बताएगा केंद्र
केंद्र सरकार अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के सामने उन लोगों के नाम उजागर कर सकती है जिनके खिलाफ स्विस बैंकों में कालाधन जमा करने के मजबूत साक्ष्य हैं। यह भारत की समानांतर अर्थव्यवस्था के खिलाफ कार्रवाई...
केंद्र सरकार अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के सामने उन लोगों के नाम उजागर कर सकती है जिनके खिलाफ स्विस बैंकों में कालाधन जमा करने के मजबूत साक्ष्य हैं। यह भारत की समानांतर अर्थव्यवस्था के खिलाफ कार्रवाई की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
सरकार के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि सर्वोच्च अदालत में अगले सोमवार को एक अनुपूरक हलफनामा दाखिल किए जाने की संभावना है। हलफनामे में मुहरबंद लिफाफे में नामों की सूची पेश करने की योजना का ब्योरा होगा। अदालत उस दिन कालाधन के मामले में दी गई एक याचिका पर सुनवाई करने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्तमंत्री अरुण जेटली और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बीच एक लंबी चर्चा के बाद यह पहल की गई है। यूरोपीय सरकारों ने लगभग 800 नाम बतलाए हैं। इनमें से 136 नाम पहली सूची में दिए जाएंगे।
बीते सप्ताह, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि वह विदेशों में बैंकों में धन जमा करने वाले लोगों के नामों का खुलासा नहीं कर सकती। सरकार का कहना था कि नामों का खुलासा करने से देशों के साथ किए गए कर समझौते खतरे में पड़ सकते हैं। भाजपा में इस मसले पर विरोध के स्वर उठे कि नामों का खुलासा नहीं किए जाने से पार्टी की छवि पर असर पड़ेगा।
पार्टी ने आम चुनाव में जो वादे किए थे उनमें विदेशों से कालाधन वापस लाना एक अहम मुद्दा था। आम चुनाव में पार्टी को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई। कांग्रेस ने भी केंद्र के रुख पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसको पाखंड बताया था। सूत्रों ने स्पष्ट किया कि स्विट्जरलैंड और अन्य देशों के साथ किए गए कर समझौते कुछ स्थितियों में सूची के नामों को किसी कोर्ट के सामने जाहिर करने की इजाजत देते हैं।
समझौतों के मुताबिक, सूची के वे नाम कोर्ट को बतलाए जा सकते हैं जिनका मामला जांच के दायरे में हो और जिनके खिलाफ पुख्ता साक्ष्य स्थापित किए गए हों। हालांकि अभी कोई आधिकारिक आकलन नहीं है, लेकिन वाशिंगटन आधारित थिंक टैंक ग्लोबल फिनांशियल इंटिग्रिटी (जीएफआई) ने अनुमान लगाया है कि भारतीयों ने साल 1948 से 2008 के बीच समंदर पार स्थित कर-चोरों के स्वर्ग में 462 अरब डॉलर छिपाए हैं।
मौजूदा विनिमय दरों के मुताबिक यह रकम लगभग 28 लाख करोड़ रुपये होती है। सरकार ने दिल्ली आधारित तीन थिंक टैंकों को भारत के कालेधन का आकलन करने के लिए अधिकृत किया है। ये थिंक टैंक हैं, नेशन काउंसिल फॉर एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फिनांश एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिनांशियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम)।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र की मोदी सरकार ने देश के कालेधन की अर्थव्यवस्था के खिलाफ कार्रवाई के मकसद से मई में एक विशेष जांच दल का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी द्वारा कालेधन को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। कोर्ट के निर्देशों में उन वयक्तियों की जांच करने की बात कही गई थी जिनके लिंचेस्टाइन स्थित एलजीटी बैंक में खाते हैं और जिनके नाम जर्मनी ने बताए थे।
फ्रांस सरकार ने पिछले साल 782 भारतीयों की सूची दी थी जिन्होंने कथित र्तौर पर जेनेवा में एचएसबीसी बैंक में खाते खोल रखे हैं। पिछले सप्ताह जेटली ने कहा था कि स्विट्जरलैंड, एचएसबीसी और लिंचेस्टाइन के बैंकों में खाते रखने वालों से जुड़ी जानकारी साझा करने को तैयार है। स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, स्विस बैंकों में जमा भारतीय धन पिछले साल 40 फीसदी उछलकर दो अरब स्विस फ्रैंक (करीब 14 हजार करोड़ रुपये) हो गया था। जबकि साल 2012 में यह 1.34 अरब स्विस फ्रैंक (करीब 9514 करोड़ रुपये) था।