यूपी में भाजपा सांसदों ने रचा विपक्षी राजनीति का नया इतिहास
भारतीय जनता पार्टी के लगभग 50 सांसदों ने सोमवार को यहां गांधी प्रतिमा के सामने यूपी सरकार के विरुद्ध धरना देकर प्रदेश में विपक्षी राजनीति का नया इतिहास रच दिया। यह पहला मौका था कि किसी भी दल के इतने...
भारतीय जनता पार्टी के लगभग 50 सांसदों ने सोमवार को यहां गांधी प्रतिमा के सामने यूपी सरकार के विरुद्ध धरना देकर प्रदेश में विपक्षी राजनीति का नया इतिहास रच दिया। यह पहला मौका था कि किसी भी दल के इतने सांसदों ने आक्रामक तेवर दिखाते हुए एक साथ धरना या प्रदर्शन किया हो। धरने के बाद सांसदों ने राजभवन मार्च किया और राज्यपाल को ज्ञापन दिया। सांसदों का कहना था कि जिलों में अधिकारी उनकी नहीं सुनते। इस वजह से उन्हें धरना देने को बाध्य होना पड़ रहा है।
धरने में योगी आदित्यनाथ, सांसद वरुण गांधी, हेमामालिनी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी तथा महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी सत्यपाल सिंह समेत कई प्रमुख सांसद शामिल नहीं हुए। बताते हैं कि विवादों से बचने के लिए पार्टी ने रणनीतिके तहत इन बड़े नामों को धरने से दूर रखा, ताकि मीडिया का फोकस धरने और मुद्दों पर ही रहे। केन्द्र सरकार के मंत्रियों को भी धरने में शामिल होने से छूट दे दी गयी थी।
वृन्दावन में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति ने बिजली संकट, कानून-व्यवस्था, सूखा और बाढ़ आदि को लेकर लखनऊ में पार्टी के सांसदों के धरने का निर्णय लिया था। धरने पर बैठे सांसदों ने कहा कि जब पूरा प्रदेश बिजली संकट, बाढ़-सूखा आदि से जूझ रहा है तब मुख्यमंत्री नीदरलैंड की सैर कर रहे हैं। एक सांसद ने तो गीत के माध्यम से बिजली केलिए हाय-हाय कर रही जनता का दर्द रखा।
बाढ़ पीड़ित इलाकों के सांसदों ने बाढ़ प्रभावित गांवों की समस्याएं और सरकार द्वारा राहत कार्यो में बरती जा रही लापरवाही का जिक्र किया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई सांसदों ने राज्य सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति तथा कानून-व्यवस्था पर प्रहार किया।
धरने के बाद सांसदों ने आगरा के सांसद और राष्ट्रीय महामंत्री राम शंकर कठेरिया, प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मी कान्त बाजपेयी तथा महामंत्री संगठन सुनील बंसल के नेतृत्व में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।