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अम्बा में नक्सलियों ने पुलिस इंस्पेक्टर का घर उड़ाया

अम्बा थाना क्षेत्र के मंझौली गांव में बुधवार की रात नक्सलियों ने पुलिस इंस्पेक्टर केदारनाथ सिंह के घर को बम ब्लास्ट कर बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और उसमें आग लगा दी। केदार नाथ सिंह वर्तमान में...

अम्बा में नक्सलियों ने पुलिस इंस्पेक्टर का घर उड़ाया
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 24 Jul 2014 08:53 PM
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अम्बा थाना क्षेत्र के मंझौली गांव में बुधवार की रात नक्सलियों ने पुलिस इंस्पेक्टर केदारनाथ सिंह के घर को बम ब्लास्ट कर बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और उसमें आग लगा दी। केदार नाथ सिंह वर्तमान में कटिहार में पदस्थापित हैं। रात के करीब 9.30 बजे 20-25 की संख्या में नक्सली दीवार फांदकर घर में घुस आए और वहां रह रहे उनके भाई रण विजय सिंह, पत्नी सुधा देवी, पुत्र यशवंत सिंह, पुत्री मीरा कुमारी तथा एक संबंधी रीना देवी को हथियार के बल पर अपने कब्जे में लेकर घर से बाहर निकलने को कहा।

नक्सलियों ने कहा कि उन्हें दरोगा का घर उड़ाना है। घरवाले बाहर जाने को तैयार नहीं थे पर नक्सली नहीं माने और उन्हें जबरन बाहर कर घर में आग लगा दी और बम ब्लास्ट करा दिया। घटना में घर की लाखों की संपत्ति जलकर खाक हो गई और बम के घमाके से पूरा घर क्षतिग्रस्त हो गया। कार्रवाई के बाद नक्सली घरवालों को समीप के देवी मंदिर के पास ले गए और वहीं रूकने को कहा।

उन्होंने बताया कि घर में और कई बम लगे हैं उधर गए तो उड़ जाओगे। नक्सली यहां आधे घंटे तक रुके फिर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारा लगाते हुए निकल गए। जाते-जाते नक्सलियों ने घरवालों को एक हस्तलिखित पर्चा दिया जिसमें पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लिखे गए थे तथा यह बताया गया था कि यह घटना मदनपुर गोली कांड के विरोध में भाकपा माओ के पीएलजीए (पिपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी) के द्वारा की गई है।

बताया जाता है कि नक्सलियों की संख्या 100 से अधिक थी। उन्होंने पूरे गांव को घेर रखा था। घटनास्थल पर गुरुवार की सुबह पहुंच एसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा, एएसपी अभियान राजेश कुमार भारती, एसडीपीओ अजय नारायण यादव, अम्बा थानाध्यक्ष अरूण कुमार तथा ढिबरा थानाध्यक्ष विजय प्रसाद ने स्थिति का जायजा लिया।

एसपी ने बताया कि इंस्पेक्टर के साथ नक्सली संगठन का किसी तरह का स्थानीय विवाद नहीं था। जांच में यह बात सामने आई है कि सिर्फ पुलिसवाला होने के कारण उनके (इंस्पेक्टर) घर को उडमया गया। पुलिस नक्सलियों के खिलाफ छापेमारी कर रही है।


मदनपुर गोली कांड के विरोध में उड़ाया गया इंस्पेक्टर का घर
मंझौली निवासी सब इंस्पेक्टर केदार नाथ सिंह का घर नक्सलियों ने मदनपुर गोली कांड के विरोध में उड़ाया। इस आशय का स्पष्ट संकेत नक्सलियों ने घरवालों को एक हस्तलिखित पर्चा देकर दिया है। यह पर्चा भाकपा माओ ने जारी किया है और इसमें लिखा है कि मदनपुर गोली कांड में मारी गई निर्दोष जनता के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है।

उन्होंने मदनपुर गोली कांड के विरोध में दरोगा की चल-अचल संपत्ति जब्त करने की बात पर्चे में लिखी है और मांग की है कि इस कांड के दोषी पुलिस ऑफिसर को गिरफ्तार कर फांसी की सजा दी जाए। नक्सलियों ने पुलिस अत्याचार के खिलाफ आम जनता को संगठित होने तथा पुलिस अफसर को जन अदालत में मौत की सजा देने की बात कही है। घरवालों को पर्चा देते हुए नक्सलियों ने यह भी कहा कि पुलिस वाले आएंगे तो यह पर्चा उन्हें दे देना।


नक्सलियों के खिलाफ एकजुट होने की अपील
मंझौली की घटना की जांच करने आई पुलिस ने ग्रामीणों को नक्सलियों के खिलाफ एकजुट होने की सीख दी। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि नक्सलियों को आम जनता की भलाई से कोई मतलब नहीं है। वे जनता को गुमराह कर उन्हें लूटते हैं। उन्होंने रण विजय सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि इस घर में दरोगा केदार नाथ सिंह नहीं रहते थे। उनका पूरा परिवार बाहर रहता है। इस बात को नक्सली जानते हैं इसके बाद भी उन्होंने दरोगा का घर होने के बहाने यह कार्रवाई की गई और रण विजय सिंह के भरे-पूरे घर को उजाड़ दिया गया।

उनके पास न रहने के लिए अब घर घर है न खाने के लिए अन्न। अब नक्सली ही बताएं कि रण विजय सिंह के परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा। उनकी सारी संपत्ति उन्होंने जला दी। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को यह बात नक्सलियों से पूछनी चाहिए। पुलिस ने यहां तक कहा कि नक्सली यहां लूटने आए थे और लूट-पाट कर चलते बने। इंस्पेक्टर के घर कार्रवाई एक बहाना था। इसी बहाने वे लाखों की संपत्ति ले गए। पुलिस ने ग्रामीणों से आह्वान किया कि उन्हें नक्सलियों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। जनता में शक्ति है। जन शक्ति के बदौलत ही नक्सली कार्रवाई करते हैं और जनता का गला घोंटते हैं। पुलिस की बात को ग्रामीणों ने ध्यान से सुना।


नक्सली कार्रवाई के बाद घर में एक सामान भी नहीं बचा
मंझौली गांव में दरोगा केदार नाथ सिंह के घर की गई कार्रवाई के बाद इस घर में एक भी सामान नहीं बचा है। घरवालों की मानें तो नक्सली कुछ सामान ले गए और शेष बचे सामान में आग लगा दी। घर को उन्होंने विस्फोट कराकर पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। घटना के बाद घर का नजारा ही कुछ और था। आग इतनी भयानक थी कि नीचे रखे सामान तो जले ही थे घर में लगा सिलिंग फैन भी आग की लपट से नहीं बच पाया।

घर के सारे इलेक्ट्रॉनिक सामान, बरतन, पलंग, चौकी, बिछावन, अनाज जलकर राख हो गए। गैस का सिलिंडर तक जलकर राख हो गया। नक्सलियों ने घर के बाहर खड़ी मृत्युंजय सिंह की बाईक को भी आग के हवाले कर दिया। जलने के बाद बाईक का सिर्फ ढांचा ही शेष बचा था। रात में लगाई गई आग की धाह सुबह भी सुलग रही थी। दीवारें गर्म थी और आग बुझने के बाद भी कमरे में कोई प्रवेश नहीं कर रहा था। सामान से भरे कमरों में घटना के बाद सिर्फ राख ही दिखाई पडम् रहा था ऐसा लग रहा था मानो इन कमरों में कुछ था ही नहीं। विस्फोट कितना भयानक था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पक्के की दीवारें छितरा गई थी। दरवाजे टूटकर बाहर आ गए थे। खिड़कियों का हिस्सा दूसरे की छत पर देखा गया। इतनी बर्बादी के बाद विक्षिप्त रण विजय सिंह के परिवार का गुजर-बसर कैसे होगा यह एक समस्या है। कार्रवाई के नजारे को देख लोग सहमे हुए हैं।


... भईया हमलोग बहुत कहे पर नक्सली नहीं माने
भईया हमलोग बहुत कहे पर नक्सली नहीं माने। उनकी एक ही जिद थी आपलोग बाहर चलिए हमें दरोगा का घर उडमना है। मां भी बहुत बोली तब भी उनपर कोई असर नहीं हुआ। इतना कहते-कहते  रणविजय सिंह की बेटी मीरा की आंखे भर आती है। आंसू पोछते हुए मीरा बताती है कि रात के करीब 9.30 बजने को होंगे। हमलोग मां-बेटी घर के पीछे के अहाते में रोटी बना रहे थे तभी धबाधब की आवाज सुनाई पड़ी। नजर उठाई तो सन्न रह गई।

20-25 की संख्या में हथियारबंद लोग उनके इर्द-गिर्द थे। बिना किसी देर के उन्होंने अपने को नक्सली बताया और कहा कि यह दरोगा का घर है। आपसब बाहर निकलो इसे उड़ाना है। मीरा कहती है कि इतना सुनते ही आंख के सामने अंधेरा छा गया। कोई विकल्प न देख नक्सलियों से आरजू विनती की पर उन्होंने उनकी एक नहीं सुनी। जबरन घर से बाहर किया और घर को आग के हवाले कर दिया। घर से धड़ाम-धड़ाम की आवाज आने लगी। तब यह समझते देर नहीं लगी कि नक्सली बम से उनके घर को उडम रहे हैं। सबकुछ अपनी आंखों के सामने देखा।

इसके बाद भी नक्सली उन्हें छोड़े नहीं। पास के मंदिर के समीप ले गए और बार-बार यही कहते रहे कि पुलिस लोगों पर अत्याचार कर रही है इसलिए हमलोग पुलिस का घर उडम रहे हैं। मीरा ने बताया कि उन्होंने नक्सलियों को यह भी कहा कि हमलोगों को जान मार दीजिए पर घर नहीं उडमइए पर नक्सली नहीं माने और बोले आपलोगों को जान नहीं मारना है। घंटो मीरा और उसकी मां समेत परिवार के अन्य लोग नक्सलियों को समझाने का प्रयास किए पर सब निर्थक रहा।


आग लगाने के लिए नक्सलियों ने लिया टायरों का सहारा
रण विजय सिंह के घर में आग लगाने के लिए नक्सली अपने साथ साइकिल के टायर लाए थे। घटना के बाद भी घर के बाहर साइकिल के दर्जनों टायर पड़े थे। जिन कमरों में आग लगाई गई थी उन कमरों में जले टायर के तार देखे गए। इससे यह प्रतीत होता है कि घर में आग लगाने की  योजना पूर्व नियोजित थी तभी नक्सली इतनी बड़ी मात्रा में साइकिल के टायर लेकर आए थे। लोगों का मानना है कि बिना टायर के नक्सलियों को घर के सामानों में आग लगाने में परेशानी हो सकती थी या फिर उन्हें किरासन की जरूरत पडम्ती।

आग की लपटें बाहर तक
घर में लगाई गई आग की लपटें बाहर तक आई। आग इतनी भयानक थी कि नीचे जल रही आग से उपर की ढलाई तक प्रभावित हुई। इतना ही नहीं आग की लपटें वेंटिलेटर से बाहर तक आ रही थी। दीवार पर कालिख के दाग इस बात की पुष्टी करते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि रात होने के चलते और नक्सलियों के खौफ से किसी ने आग बुझाने का भी प्रयास नहीं किया। जब सारा सामान जलकर राख हो गया तो आग स्वत: बुझ गई। गुरुवार तक मकान की दीवारें गरम थी।


बेवस रणविजय के आंखों में आंसू भी नहीं आए
मंझौली निवासी रणविजय सिंह ने अपना सबकुछ लूटते अपनी आंखों से देखा पर उनकी बेवसी की यह हद ही थी कि उनकी आंखों में आंसू तक न छलके। पर उनकी कातर आंखों से दर्द झलक रहा था। गुरुवार को पुलिस वाले, मीडिया वाले, गांव-घर के लोग उनके उजड़े चमन को देखने आ रहे थे और रणविजय सिंह सिर्फ आने-जाने वालों को कातर नजरों से निहार रहे थे। न कुछ बोलना न चालना बस खामोश आंखों से निहारना उनकी बेवसी थी। वैसे भी रणविजय सिंह आंशिक रूप से विक्षिप्त हैं।

भाईयों के भरोसे उनके परिवार की गाड़ी खिंच रही है। अपने पांच भाईयों में ये दूसरे नंबर हैं। सबसे बड़े नागेन्द्र सिंह के बाद इनका नंबर है। अन्य तीन भाईयों में क्रमश: अवधेश सिंह, केदार नाथ सिंह तथा धनंजय सिंह शामिल हैं। इनके पिता स्व. नरेश सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी पर आज उनके ही देश में उनका ही घर उग्रवाद की भेंट चढ़ गया। वह भी इसलिए कि उनका एक बेटा दरोगा है। इतने सब के बाद भी रणविजय सिंह मौन हैं। अपने उजड़े चमन को निहारने के सिवा वे कर ही क्या सकते हैं।


ब्लास्ट के बाद कुत्ते भी नहीं भौंक रहे थे
मंझौली ब्लास्ट के बाद कुत्ते भी भौंकना बंद कर दिए थे। ऐसा मानना है यहां के ग्रामीणों का। उन्होंने बताया कि ब्लास्ट के पहले काफी कुत्ते भौंक रहे थे। उनके भौंकने की आवाज से लोग सशंकित हुए कि कहीं कुछ है तो नहीं। लेकिन जैसे ही एक के बाद एक ब्लास्ट हुआ गांव में तो सन्नाटा छा ही गया कुत्ते भी भौंकना बंद कर दिए। जब ब्लास्ट हुआ था तब गांव के कुछ लोग घर से निकलकर बाहर आए थे पर बाहर का नजारा देख वे फिर घर में ही दुबक गए। इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद भी रात भर गांव में सन्नाटा पसरा रहा। तमाम मोबाईल स्विच ऑफ थे। लोग कितने सहमें थे इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गुरूवार की सुबह जब पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि से इस बावत संपर्क किया तो उन्हें घटना की जानकारी नहीं थी।


पहाड़ की तलहटी में बसा है मंझौली गांव
अम्बा थानाक्षेत्र का मंझौली गांव जहां बुधवार की रात नक्सलियों ने ऑपरेशन चलाया, सहसुआ पहाडम् की तलहटी में बसा है। गांव के दक्षिण पहाडम् ही पहाड़ नजर आता है जो नक्सलियों का सेफ जोन है। सच यह है कि इन इलाकों में नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती है और नक्सली इधर बेखौफ रहते हैं। ग्रामीणों की मानें तो नक्सली इस गांव के रास्ते आते-जाते कभी-कभार देखे जाते हैं पर गांव में यह पहली नक्सली घटना है।

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