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हवाई जहाज के रास्ते लखनऊ से लाया गया महिला के लिए लिवर

लखनऊ से लिवर के एक हिस्से को 500 किमी की दूरी तय हवाई जहाज से मात्र डेढ़ घंटे में तय कर दिल्ली पहुंचाया गया। इसे यहां के जीबी पंत अस्पताल में एक 40 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपित कर उसे नया जीवन दिया...

हवाई जहाज के रास्ते लखनऊ से लाया गया महिला के लिए लिवर
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Mar 2015 02:07 PM
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लखनऊ से लिवर के एक हिस्से को 500 किमी की दूरी तय हवाई जहाज से मात्र डेढ़ घंटे में तय कर दिल्ली पहुंचाया गया। इसे यहां के जीबी पंत अस्पताल में एक 40 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपित कर उसे नया जीवन दिया गया।

डॉंक्टरों ने बताया कि प्रत्यारोपण पूरी तरह सफल रहा। महिला को एक हफ्ते में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। यह सर्जरी दिल्ली के किसी सरकारी अस्पताल में ऐसा पहला मामला है। प्रत्यारोपण टीम के विशेषज्ञों ने जिस महिला का चयन किया था, उसका लिवर पूरी तरह खराब हो  चुका था। इसके लिए पांच चिकित्सकों की टीम के संरक्षण में लिवर को एंबुलेंस के जरिए सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाया गया। हालांकि, इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर की जरूरत नहीं पड़ी।

जानकारी के अनुसार, लिवर को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से जीबी पंत अस्पताल लाया गया। दोपहर तीन बजे लिवर लेकर दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची चिकित्सकों की टीम को चेकिंग के लिए प्लेटिनम सुविधा दी गई। इससे सारी ऑपचारिकताएं दस मिनट में ही पूरी हो गईं।
सही समय पर लिवर को जीबी पंत अस्पताल पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट की सेवा ली गई। इससे 500 किलोमीटर की दूरी मात्र डेढ़ घंटे में तय कर ली गई। इस दौरान लिवर को -15 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर संरक्षित किया गया, जिसके लिए कोल्ड स्टोरेज का इस्तेमाल किया गया।
जीबी पंत अस्पताल के लिवर प्रत्यारोपण यूनिट के डॉं. अनिल अग्रवाल ने बताया कि लिवर प्रत्यारोपण यूनिट का यह दूसरा मामला है। हालांकि किसी वजह से पहला लिवर प्रत्यारोपण पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था। 

सात लोगों ने किया शरीर दान
एम्स में इस साल अब तक सात लोगों के शरीर को शोध के लिए दान किया गया। एनोटॉमी विभाग के डॉं. टीएस रॉय ने बताया बीते कुछ वर्षों में लोगों शोध के लिए शरीर दान करने के लिए आगे आ रहे हैं। 2015 में अब तक सात लोगों ने पंजीकरण कराया है। डॉं. रॉय ने बताया कि महाराष्ट्र के नेता नानाजी देशमुख और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु द्वारा मृत शरीर को शोध के लिए दान करने के बाद लोगों में जागरुकता बढ़ी है। अब हर साल दस से बीस लोग शरीर दान करने के लिए आगे आ रहे हैं।

क्या थी चुनौतियां
मस्तिष्क मृत शरीर से लिए गए लिवर का 24 घंटे के अंतराल में प्रत्यारोपण जरूरी था
लिवर को सही तापमान में संरक्षित करना था सबसे बड़ी चुनौती, जिससे उसकी सेल्स नष्ट न हों
तीन बजे एयरपोर्ट पहुंचे लिवर को जीबी पंत तक लाने के लिए चार घंटे का समय लगा
ट्रैफिक जाम के बावजूद चिकित्सकों की टीम के संरक्षण में लिवर को अस्पताल तक सुरक्षित पहुंचाने में पाई सफलता

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