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गांधी परिवार के विश्वासपात्र देवड़ा सभी के बीच थे लोकप्रिय

महाराष्ट्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता, मुरली देवड़ा गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे लेकिन उनके मित्र सभी राजनीतिक दलों और कॉर्पोरेट जगत में थे।     भारत के सबसे अधिक समय तक पेट्रोलियम...

गांधी परिवार के विश्वासपात्र देवड़ा सभी के बीच थे लोकप्रिय
एजेंसीMon, 24 Nov 2014 01:31 PM
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महाराष्ट्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता, मुरली देवड़ा गांधी परिवार के विश्वासपात्र रहे लेकिन उनके मित्र सभी राजनीतिक दलों और कॉर्पोरेट जगत में थे।
   
भारत के सबसे अधिक समय तक पेट्रोलियम मंत्री रहने वाले 77 वर्षीय देवड़ा ने मंत्रालय में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया जो जनवरी 2006 से शुरू हुआ था और यह संप्रग-1 और संप्रग-2 के कार्यकाल में बंटा हुआ था।
   
अपने चार दशक के राजनीतिक जीवन में वह सबसे अधिक समय, 22 साल तक मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति के प्रमुख रहे। प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेहद करीबी रहे देवड़ा पार्टी के लिए धन जुटाने वालों में प्रमुख रहे जिनके भारत के सबसे विख्यात उद्योगपतियों से व्यक्तिगत संबंध थे।
   
उन्हें अपनी वफादारी का पुरस्कार मिला जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल के दौरान जनवरी 2006 में मणिशंकर अय्यर की जगह उन्हें पेट्रोलियम एवं प्राकतिक गैस मंत्री बनाया गया। देवड़ा को शीत-युद्ध के दौरान अमेरिका समर्थक माना जाता था जबकि उस समय भारत का पूर्व सोवियत संघ के साथ गहरा संबंध था। उन्होंने 1980 के दशक के दौरान कई अमेरिकी नेताओं की मेजबानी की।
   
वह उद्योगपति धीरूभाई अंबानी के करीबी पारिवारिक मित्र थे। धीरूभाई अंबानी के के बेटे- मुकेश और अनिल अंबानी- उन्हें अंकल कहते थे। उन्हें सबसे अधिक अंबानी बंधुओं के बीच बंगाल की खाड़ी में स्थित कृष्णा गोदावरी बेसिन से प्राकृतिक गैस पर विवाद के केंद्र में होने के लिए याद किया जाएगा।
   
अनिल अंबानी समूह ने उन पर गैस मूल्य निर्धारण तथा आवंटन के संबंध में मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज की मदद करने का आरोप लगाया और अखबारों में एक अप्रत्याशित अभियान चलाया जबकि देवड़ा ने ही केजी बेसिन क्षेत्र में हुए खर्च के कैग द्वारा लेखा परीक्षण का आदेश दिया जो किसी सरकारी लेखा परीक्षक द्वारा निजी कंपनी की खातों की जांच का पहला मामला था।

संप्रग के 2009 में दूसरी बार सत्ता में आने पर देवड़ा को फिर पेट्रोलियम मंत्रालय दिया गया और जनवरी 2011 में उन्हें कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय भेज दिया गया। हालांकि 2011 में ही बाद में उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया।
  
देवड़ा अर्थशास्त्र में स्नातक थे और वह 1977 से 1978 तक मुंबई के मेयर रहे और बाद में वे मुंबई दक्षिण से चार बार संसद सदस्य के तौर पर चुने गए। बाद में इस संसदीय क्षेत्र से उनके पुत्र मिलिंद देवड़ा चुने गए जो पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं।
  
देवड़ा 22 साल तक मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष रहे और 2003 में उन्होंने अपना पद छोड़ा। देवड़ा 70 के होने से कुछ ही पहले 2006 में केंद्रीय मंत्रिमंडल आए और उन्होंने म्यांमार, अल्जीरिया तथा मिस्र के साथ तेल रणनीति का नेतृत्व किया। उन्होंने नवंबर 2007 में पहली भारत-अफ्रीका हाइड्रोकार्बन सम्मेलन एवं प्रदर्शनी का भी आयोजन किया।
  
इस वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने अपना राजनीतिक जीवन 1968-78 में मुंबई नगरपालिका के पार्षद के तौर पर शुरू किया और वह महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी रहे थे। वह जीवन बीमा निगम के पूर्व निदेशक और महाराष्ट्र लघु उद्योग विकास महामंडल के चेयरमैन भी रहे।

देवड़ा 1985 में लगातार तीसरी बार जीत कर आठवीं लोकसभा के सदस्य बने। देवड़ा 1995-96 में न्यूयॉर्क स्थित वैश्विक पहल के लिए सांसद (पार्लियामेंटेरियन्स फॉर ग्लोबल ऐक्शन) के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1988 में उन्होंने चौथी बार लोकसभा चुनाव जीता और 12वीं लोकसभा के सदस्य रहे।
  
वह 1998-99 के दौरान वित्त संबंधी स्थाई समिति के अध्यक्ष और अक्तूबर 2004-जनवरी 2006 के दौरान वित्त मंत्रालय की परामर्श समिति के सदस्य बने। अप्रैल 2002 में वे राज्य सभा के लिए चुने गए। 2002-2004 के दौरान वह पार्लियामेंटेरियन्स फॉर ग्लोबल ऐक्शन की भारतीय इकाई के प्रमुख रहे और 2004-05 में वह इंटरनैशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रेसेंट सोसायटीज, जिनीवा के उपाध्यक्ष रहे।
  
अप्रैल 2008 में उन्हें फिर राज्य सभा के लिए चुना गया। 19 जनवरी 2011 से जुलाई 2011 तक वह कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री रहे। देवड़ा फिलहाल राज्य सभा सदस्य थे जो उनका तीसरा कार्यकाल था।

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