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आजादी का दिन

उस दिन बेबो और चिंकू स्कूल से लौटकर आये तो बस स्टॉप पर मम्मी के साथ दादा जी भी खड़े थे। दोनों ने खुशी से दौड़कर दादा जी के पांव छू लिये। दादा जी ने दोनों को प्यार से गले लगाकर पूछा, ‘कैसे हो...

आजादी का दिन
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 13 Aug 2014 10:27 AM
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उस दिन बेबो और चिंकू स्कूल से लौटकर आये तो बस स्टॉप पर मम्मी के साथ दादा जी भी खड़े थे। दोनों ने खुशी से दौड़कर दादा जी के पांव छू लिये। दादा जी ने दोनों को प्यार से गले लगाकर पूछा, ‘कैसे हो बच्चो?’

बेबो ने रूठते हुए कहा, ‘दादा जी, आपने पहले क्यों नहीं बताया कि आप आने वाले हो। दादा जी ने हंसते हुए कहा, ‘अरे मेरी गुडिया, अगर मैं पहले बता देता तो तुम्हें सरप्राइज कैसे देता।’

घर पहुंचकर दादा जी ने कहा, ‘बच्चो, मैं गांव से तुम दोनों के लिये एक बहुत ही स्वादिष्ट चीज लाया हूं।’ उन्होंने अपने थैले से एक पैकेट निकालकर दिया। चिंकू ने पूछा, ‘अरे यह क्या है?’ दादा जी ने बताया कि यह आमरस है। यह आम के रस से बनाया जाता है। बेबो और चिंकू को आमरस बहुत पसंद आया। तब तक मां ने सबके लिये टेबल पर खाना लगा दिया। दादा जी ने पूछा, ‘तुम दोनों कल क्या कर रहे हो?’ चिंकू ने सोचते हुए कहा, ‘क्यों दादा जी, क्या कल कुछ खास है?’ तभी बेबो बोली, ‘अरे कल तो 15 अगस्त है। मेरे स्कूल में स्पेशल असेंबली में झंडारोहण का कार्यक्रम है।’

पर चिंकू को 15 अगस्त के दिन स्कूल जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसने कहा, ‘दादा जी, क्यों न कल हम सब पिकनिक पर चलें। बड़ा मजा आयेगा।’ दादा जी ने कहा, ‘लेकिन कल तो तुम्हारा स्कूल खुला है।’ चिंकू ने कहा, ‘छोड़ों दादा जी, 15 अगस्त के दिन पढ़ाई तो होती नहीं है। स्कूल जाकर क्या करूंगा। हम घूमने जायेंगे।’ यह सुनकर दादा जी कुछ देर के लिये चुप हो गये। फिर दोनों बच्चों की ओर देखते हुए बोले, ‘बच्चो, क्या तुम जानते हो कि हम 15 अगस्त क्यों मनाते हैं? यह दिन हर भारतवासी के लिये क्यों महत्वपूर्ण है?’ बेबो बोली, ‘मेरी मैम बता रही थीं कि इस दिन हमारा देश अंग्रेजों के बंधन से आजाद हुआ था। पर इस बारे में मुझे कुछ ज्यादा नहीं पता।’ इस दौरान चिंकू चुपचाप बैठा रहा, मानो उसे इस बात में जरा भी दिलचस्पी न हो।

शाम को पापा ऑफिस से जल्दी आ गये। सब लोग एक साथ बैठकर चाय पीने लगे। तभी पापा ने अपनी जेब से तीन पास निकालकर दादाजी को दिये। उन्होंने कहा, ‘लीजिये पिताजी, ये हैं लाल किले के पास।’ यह सुनते ही चिंकू ने पूछा, ‘यह पास किसके हैं? आप लोग कहां जा रहे हैं?’ दादा जी ने कहा, ‘हम लोग प्रधानमंत्री जी का भाषण सुनने जा रहे हैं। हर साल 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हैं।’ बेबो ने पूछा, ‘क्या उनका भाषण सुनना सबके लिये जरूरी है?’ दादा जी ने कहा, ‘जरूरी नहीं है बेटा। लेकिन 15 अगस्त का दिन बहुत अहम है। आज के दिन प्रधानमंत्री देश को संबोधित कर लोगों को अपनी सरकार के कार्यक्रम के बारे में बताते हैं। भाषण के जरिये देश की उपलब्धियों, समस्याओं और सरकार की रणनीति के बारे में पता चलता है। इसलिये हर देशवासी को इस दिन प्रधानमंत्री का भाषण सुनना चाहिये।’

बेबो ने कहा, ‘पर दादा जी कल तो हमारा स्कूल खुला है, इसलिये हम आपके साथ नहीं जा पायेंगे।’ दादा जी ने कहा, ‘कोई बात नहीं है। पहले मैं तुम्हारे मम्मी-पापा के साथ भाषण सुनने जाऊंगा। उसके बाद हम तुम्हारे स्कूल आकर तुम दोनों को लेकर घूमने चलेंगे।’ यह सुनते ही बच्चे चहक उठे। चाय पीने के बाद दादा जी बच्चों के साथ पास के पार्क में घूमने निकल गये। पार्क में पड़ोस के तमाम बच्चे खेल रहे थे।

बेबो और चिंकू को देखते ही सारे बच्चे उनके पास आ गये। चिंकू ने चहकते हुए उनसे कहा, ‘ये मेरे दादा जी हैं। ये गांव में रहते हैं और हमारे साथ 15 अगस्त मनाने आये हैं।’ दादा जी ने कहा, ‘क्या तुम सब एक कहानी सुनना पसंद करोगे?’ बच्चे खुश हो गये। सब एक स्वर में बोले, ‘हां, हां कहानी सुनाइये।’ दादा जी पार्क की बैंच पर बैठ गये और सारे बच्चे नीचे हरी घास पर बैठ गये।

दादा जी ने कहा, ‘बच्चो, ये कहानी सच्ची है। यह बात मेरे बचपन की है। तब मैं पांच साल का था। मेरे पिता आजादी के आंदोलन के दौरान जेल चले गये। पिता जी करीब तीन साल तक जेल में रहे और देश आजाद होने के बाद ही वह घर लौट सके। हम दो भाई-बहन थे। पिता के जेल जाने के बाद हमारी मां ने अकेले दम पर हमारी देखभाल की। हम मां से पूछा करते थे, ‘मां, पिता जी अंग्रेजों के खिलाफ क्यों लड़ रहे हैं? उन्हें पुलिस ने क्यों पकड़ा?’ तब मां कहती थीं, ‘इन अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाकर रखा है। तुम्हारे पिता इन्हें देश से बाहर निकलना चाहते हैं।’ हमने तीन साल बहुत मुश्किलों में गुजारे।’

तभी चिंकू ने पूछा, ‘तो क्या आपके पिता जी अंग्रजों को भगाने में कामयाब हो गये।’ दादा जी ने कहा, ‘बेटा, मेरे पिता अकेले नहीं थे। देश के हजारों-लाखों लोगों ने मिलकर अंग्रेजों को देश से भगाया। मेरे पिता अकेले जेल नहीं गये। हजारों लोग जेल गये। उन दिनों देश की सभी जेलें आंदोलनकारियों से भर गई थीं।’ चिंकू के दोस्त पार्थ ने पूछा, ‘लेकिन दादा जी इतने सारे लोग अपने मन से कैसे आंदोलन करने लगे? उन दिनों तो टीवी, फोन और इंटरनेट भी नहीं थे। लोगों को आंदोलन की जानकारी कैसे मिलती थी।’ दादा जी ने कहा, ‘तुमने महात्मा गांधी का नाम तो सुना है।’ बच्चों ने कहा, ‘हां, हम जानते हैं। वे हमारे देश के राष्ट्रपिता हैं।’ दादा जी ने कहा, ‘गांधीजी ने देशवासियों को आजादी की लड़ाई के लिये प्रेरित करने में सबसे अहम भूमिका निभाई। हां, उन दिनों टीवी, फोन और इंटरनेट नहीं थे। उन दिनों डाक और छोटे-छोटे अखबारों के जरिये सूचनायें भिजवाई जाती थीं।’

अब बेबो की बारी थी। उसने पूछा, ‘क्या वे लोग अंग्रेजों को भगाने में कामयाब हुए?’ दादा जी ने कहा, ‘हां बच्चो। हमने अंग्रेजों को भगा दिया। तभी तो हम 15 अगस्त का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन हमें अंग्रेजी शासन से आजादी मिली थी। तुम सब बहुत भाग्यशाली हो कि तुम आजाद भारत में पैदा हुए। जब मैं पैदा हुआ तो देश आजाद नहीं था। हमें उन लोगों को नहीं भूलना चाहिये, जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिये अपनी जान गवां दी।’ 

बच्चों ने कहा, ‘दादा जी स्कूल में तो हर साल हम 15 अगस्त मनाते हैं, लेकिन इस बार यह दिन हम आपके साथ मनाना चाहते हैं।’ दादा जी ने कहा, ‘देखो एक काम करो, सुबह तुम सब स्कूल जाना और शाम को हम सब यहां इस पार्क में आजादी का जश्न मनायेंगे। कल तुम सब देशभक्ति पर एक गीत लिखकर लाना। पहले हम गीत सुनेंगे फिर मैं तुम सबको लड्डू खिलाऊंगा।’ बच्चे खुश हो गये। अगले दिन शाम को सारे बच्चे और उनके मम्मी-पापा भी पार्क में जमा हुए। दादा जी को पार्थ का गीत सबसे ज्यादा पसंद आया। उन्होंने पार्थ को एक पेन उपहार में दिया।

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