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सिविल सेवा में डीयू जेएनयू का जलवा

बेहद प्रतिस्पर्धी सिविल सेवा परीक्षा के कड़े पैटर्न को जानने के बाद भी लाखों छात्र आईएएस बनने का सपना लेकर यूपीएससी परीक्षा की साल भर तैयारी करते हैं। 21 से 32 आयु वर्ग के छात्रों के इस परीक्षा के...

सिविल सेवा में डीयू जेएनयू का जलवा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 28 Aug 2014 11:05 PM
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बेहद प्रतिस्पर्धी सिविल सेवा परीक्षा के कड़े पैटर्न को जानने के बाद भी लाखों छात्र आईएएस बनने का सपना लेकर यूपीएससी परीक्षा की साल भर तैयारी करते हैं। 21 से 32 आयु वर्ग के छात्रों के इस परीक्षा के 2004 से लेकर 2012 तक के आंकड़ो पर नजर दौड़ाएं तो पाते हैं कि सीसैट के आने से सफलता दर प्रभावित तो हुई है लेकिन यह अंतर बहुत अधिक नहीं है।

यूपीएससी के आंकड़ों के मुताबिक 2004-05 से लेकर 2010-11 तक सफल रहे छात्र देश के 251 कॉलेजों से निकल कर आए। इन सात साल के आंकड़ों में दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) आगे रही, जबकि दूसरे पायदान पर जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) काबिज है। तीसरे स्थान पर आश्चर्यजनक रूप से कब्जा राजस्थान विश्वविद्यालय का है। शीर्ष-10 में शामिल संस्थानों से 17% छात्र चुने गए। शीर्ष-10 में शामिल तमिलनाडु की अन्ना यूनिवर्सिटी और आईआईटी दिल्ली को 2010-11 की परीक्षा में सर्वाधिक फायदा हुआ। इनसे चुने जाने वाले छात्रों की संख्या पिछले साल के मुकाबले बढ़कर क्रमश: 24 से 35 और 13 से 29 हो गई। वहीं दूसरी ओर सर्वाधिक नुकसान उत्तर प्रदेश की लखनऊ यूनिवर्सिटी को हुआ। वहां से चुने जाने वाले छात्रों की संख्या 22 से घटकर सिर्फ 11 रह गई। यूपीएससी के आंकड़ों के अनुसार 2011 में पांच ऐसे छात्र सफल रहे जिन्होंने अपनी पढ़ाई ब्रिटेन के कॉलेजों से की थी।

मेडिकल साइंस का डंका
प्रारंभिक परीक्षा की बाधा को पार करने में इंजीनियरिंग और ह्यूमैनिटीज के छात्रों का प्रतिशत बेहद ज्यादा है। 71% छात्र मुख्य परीक्षा तक पहुंच जाते हैं, लेकिन मुख्य परीक्षा को क्रैक करने की बात आती है तो मेडिकल साइंस के छात्र आगे निकल जाते हैं। इसके बाद एमफिल और पीएचडी के छात्र हैं। इंजीनियरिंग और ह्यूमैनिटीज के छात्र क्रमश: तीसरे और चौथे पायदान पर हैं। पांचवां नंबर विज्ञान के छात्रों का है।

लोक प्रशासन का जलवा
मुख्य परीक्षा में विषयों के हिसाब से बात करें तो लोक प्रशासन, भूगोल, समाजशास्त्र, इतिहास और मनोविज्ञान पांच ऐसे विषय हैं जिनके साथ मुख्य परीक्षा में पास होने की दर सर्वाधिक है। पिछले 10 साल में मुख्य परीक्षा को पास करने वाले करीब 70% अभ्यर्थियों का वैकल्पिक विषय यही पांच विषय रहे हैं। इसमें सबसे ऊपर लोक प्रशासन विषय है। वैकल्पिक विषय में 51 विषय हैं, जिसमें 26 भाषाएं शामिल हैं।

अंतिम चयन में उलटफेर चयन के अंतिम चरण यानी साक्षात्कार के समय बडम बदलाव देखने को मिलता है। इसमें सफल होने वालों में सर्वाधिक तादाद मेडिकल साइंस के छात्रों की होती है। इस चरण में सर्वाधिक अभ्यर्थी देने वाले विषयों में आश्चर्यजनक रूप से हिंदी और पाली शीर्ष पांच विषयों में शुमार है। यहां मुख्य परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने वाले शीर्ष पांच विषयों की अहम भूमिका नहीं है।

यूपीएससी बड़ी संस्था
सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करने वाले  संघ लोक सेवा आयोग की साख बेहद पुरानी है। यह सिविल सेवाओं के साथ दस अन्य प्रकार की दूसरी परीक्षाओं का आयोजन करता है। इसकी स्थापना 1 अक्टूबर, 1926 को हुई थी। यह भारतीय संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है।

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