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सुनामी के बाद हो रहे हैं...समुद्र में भारी बदलाव

दुनियाभर में ‘एक्वा पर्ल कल्चर’ के विख्यात वैज्ञानिक डॉं. अजय सोनकर ने सुनामी के बाद समुद्री जीवों के व्यवहार में आए परिवर्तन की ओर दुनिया का ध्यान खींचा है। उनका कहना है कि सुनामी के बाद...

सुनामी के बाद हो रहे हैं...समुद्र में भारी बदलाव
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 12 Nov 2014 03:47 PM
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दुनियाभर में ‘एक्वा पर्ल कल्चर’ के विख्यात वैज्ञानिक डॉं. अजय सोनकर ने सुनामी के बाद समुद्री जीवों के व्यवहार में आए परिवर्तन की ओर दुनिया का ध्यान खींचा है। उनका कहना है कि सुनामी के बाद समुद्री ‘तोता मछली’ के खाने की आदतों में जबरदस्त बदलाव आया है। ये उन सीपों को ही अपना आहार बनाने लगी हैं, जिनकी ये कभी हमसफर मानी जाती थीं। उनका कहना है कि अगर इस तरफ समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो भारत ही नहीं, समूची दुनिया का समुद्र जलीय पर्यावरण जहरीला हो जाएगा।

डॉं. सोनकर ने सुनामी के बाद समुद्र के गर्भ में हो रहे बदलाव को बहुत ही बारीकी से देखा है। वे कहते हैं, ‘मैं उस समय हैरत में पड़ गया, जब अंडमान-निकोबार के हमारे प्रोजेक्ट एरिया में काफी मात्रा में पाई जाने वाली तोता मछली (पैरट फिश) ने उन सीपों को मारना शुरू कर दिया, जो कभी उनके आहार का हिस्सा रही ही नहीं हैं। उस समय मुझे समुद्र में किसी परभक्षी के आने की आशंका हुई। इस उधेड़बुन में लगा हुआ ही था कि एक दिन कुछ मछुआरों से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि सुनामी के बाद से उनकी डोंगियों (छोटी नावें) के पेंदे काफी साफ दिख रहे हैं, जबकि पहले उसमें समुद्री जीव चिपक जाया करते थे और सफाई के लिए डोंगियों को बाहर निकालना पड़ता था।’ इस बातचीत के बाद डॉं. सोनकर को यकीन हो गया कि तोता मछलियां ही ऐसा कर रही हैं।

सुनामी के बाद नष्ट हो गईं मूंगों की चट्टानें
दरअसल मूंगे तोता मछलियों का प्राकृतिक आहार हैं। ये मूंगे समुद्र की तली में पाए जाते हैं। मगर सुनामी में समुद्र के नीचे का पानी तेजी से ऊपर आया, इसके साथ ही भारी मात्रा में बालू भी ऊपर आ गई, जिसके कारण मूंगे नष्ट हो गए और इन मछलियों के लिए आहार का संकट पैदा हो गया। सीप और तोता मछली समुद्र के क्लीनर माने जाते हैं। जब मूंगे नष्ट हो गए तो तोता मछली सीपों को खाने लगीं।

पानी से अपना भोजन लेने की प्रक्रिया में एक सीप 96 लीटर पानी को बैक्टीरिया मुक्त करने की क्षमता रखती है। यही नहीं, सीप पानी की गंदगी को भी दूर करती है और पानी में ‘नाइट्रोजन’ की मात्रा को कम कर ‘ऑक्सीजन’ की मात्रा को बढ़ा देती है। इससे समुद्री जीवों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बनता है।

फ्लोटिंग राफ्ट है उम्मीद
डॉं. अजय ने तोता मछली के हमले से सीपों को बचाने के लिए फ्लोटिंग राफ्ट तैयार किया है। इससे सीपों को रक्षा कवच तो मिल गया है, मगर सुनामी के बाद समुद्र के भीतर हो रहे बदलाव की ओर वैज्ञानिकों में उदासीनता से वे हैरत में हैं। डॉं.अजय का कहना है कि ऊपर से समुद्र भले शांत और पहले जैसा दिख रहा है, मगर अंदर की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है।  

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