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पढ़ने की तैयारी तो करो

पढ़ने की तैयारी, यह नई चीज क्या है? क्या पढ़ने की भी तैयारी करनी पड़ती है? क्या पढ़ें और कितना पढ़ें? इसको भी तय करना होता है। जब तुम यह निश्चित कर लोगे, फिर पढ़ना आनंददायक हो जाएगा। तुम्हारे आस-पास...

पढ़ने की तैयारी तो करो
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 17 Sep 2014 10:00 AM
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पढ़ने की तैयारी, यह नई चीज क्या है? क्या पढ़ने की भी तैयारी करनी पड़ती है? क्या पढ़ें और कितना पढ़ें? इसको भी तय करना होता है। जब तुम यह निश्चित कर लोगे, फिर पढ़ना आनंददायक हो जाएगा।

तुम्हारे आस-पास क्या और कौन सी चीजें लिखी हैं, उस पर एक नजर डालो। स्कूल की दीवारों, नोटिस बोर्ड, क्लास रूम की दीवारों पर अकसर कुछ न कुछ लिखा होता है।

क्या लिखा होता है? कभी पढ़ने की कोशिश की है? लिखा होता है- ‘बड़ों का आदर करना चाहिए’, ‘समय बहुत बलवान होता है’, ‘स्वास्थ्य ही जीवन की कुंजी है’ आदि।

सिर्फ अपने आस-पास लिखे वाक्यों को पढ़ लेना ही हमारा मकसद नहीं होना चाहिए, बल्कि उन पढ़े हुए वाक्यों के मतलब भी समझ में आने चाहिए। इसके लिए हमें किस प्रकार की तैयारी करनी चाहिए, इसको भी समझते हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा लिखे हुए मैटर को पढ़ना और उन्हें समझने के लिए बड़ों की मदद लेनी पड़ती है। इसमें शर्माने की आवश्यकता नहीं है। यदि कोई तुम्हारी परेशानी को सुन नहीं रहा है तो ऐसे में तुम्हारे पास शब्दकोश होता है। एक बार शब्दकोश देखने का चस्का लग जाएगा, फिर तुम्हें कोई भी शब्द डराएगा नहीं, बल्कि शब्दों की चमकीली दुनिया तुम्हें अपनी ओर लुभाने लगेगी।

तुम्हारे क्लास-रूम में अधिक से अधिक लिखे हुए शब्द और वाक्य होने चाहिए। क्लास में चार्ट पेपर, चित्रावली, स्टोरी चार्ट आदि हों तो तुम्हें पढ़ने के लिए बहुत सारी सामग्री मिल जाएगी। कक्षा की दीवार ही नहीं, बल्कि कक्षा का कोना भी बच्चों का अपना आनंद का कोना बन सकता है। रंग-बिरंगे चित्रों से सजी किताबों को जितना पढ़ोगे, उतनी ही तुम्हारी भाषा मजबूत होगी। अगर भाषा मजबूत हो जाएगी तो हर तरह का टॉपिक आसान लगने लगेगा तुम्हें।

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