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कहीं आपको भी न सताएं बरसाती बीमारियां

बारिश के बाद कई बीमारियां सिर उठाने लगती हैं। इनमें डेंगू, मलेरिया, फ्लू  इन्फ्लूएंजा, पिंक आई, कंजंकिटवाइटिस, डायरिया, हेपेटाइटिस ए आदि प्रमुख हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए सावधानियां जरूरी...

कहीं आपको भी न सताएं बरसाती बीमारियां
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 19 Jul 2014 03:43 PM
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बारिश के बाद कई बीमारियां सिर उठाने लगती हैं। इनमें डेंगू, मलेरिया, फ्लू  इन्फ्लूएंजा, पिंक आई, कंजंकिटवाइटिस, डायरिया, हेपेटाइटिस ए आदि प्रमुख हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए सावधानियां जरूरी हैं। आइए जानें, इन बीमारियों से बचाव के उपाय।

बारिश के बाद मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है। जगह-जगह गड्ढों में जमा होने वाले पानी में मच्छर पैदा होने लगते हैं और डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इनमें सबसे ज्यादा डेंगू और मलेरिया फैलने का खतरा रहता है।

क्या हैं लक्षण
ठंड लगकर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मुंह का स्वाद खराब होना, गले व आंखों के पिछले भाग में दर्द, कमजोरी महसूस होना, शरीर पर लाल या गुलाबी रंग के चकत्ते पड़ना आदि।

इन बातों का रखें ख्याल
-बुखार 2-3 दिन से ज्यादा हो तो डॉक्टर को दिखाएं।
-बुखार होने पर डिस्प्रिन या ऐस्प्रिन बिल्कुल न लें, क्योंकि इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
-डॉक्टर को दिखाकर पैरासिटामोल ले सकते हैं।
-घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
-संभव न हो तो पानी में केरोसिन तेल डाल दें।
-घर में टूटे-फूटे डब्बे, बर्तन आदि न रखें।
-पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।

फ्लू इन्फ्लूएंजा
बरसात के मौसम में हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। वातावरण में आयी नमी के कारण कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया आसानी से पनपते हैं, जिनसे लोग अक्सर सर्दी, इन्फ्लुएंजा, जुकाम, खांसी, बुखार आदि से पीड़ित होते हैं।

क्या हैं लक्षण
जुकाम, गले में खराश, नाक में खुजली होना, छींक, अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, सूखी तेज खांसी, जुकाम, नाक से पानी आना, छींक आना आदि।

इन बातों का रखें ख्याल
इस बुखार में कई बार कमर में भी दर्द होता है, जी मिचलाता है, भूख नहीं लगती है और उल्टी होती है। इसमें शरीर का तापमान 101 से 103 डिग्री या और ज्यादा हो जाता है। बुखार धीरे-धीरे चढम्ता है और बीच में उतरता रहता है। कुछ वायरल बुखार तीन दिन में, कुछ पांच दिन में और कुछ सात दिन में उतरते हैं। सात दिन से अधिक दिनों तक बहुत कम वायरल बुखार रहते हैं। डॉक्टर के अनुसार इस बुखार के इलाज के तौर पर सबसे जरूरी बुखार को कम रखना है।

कैसे बचें
-बुखार अगर 102 डिग्री तक है और कोई और खतरनाक लक्षण नहीं हैं तो मरीज की देखभाल घर पर ही कर सकते हैं, लेकिन अगर बुखार 3 दिन से अधिक समय तक है तो डॉक्टर का परामर्श लेना आवश्यक है।
-साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें। मरीज को वायरल है तो उससे थोड़ी दूरी बनाए रखें और उसके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजें इस्तेमाल न करें। मरीज को पूरा आराम करने दें।
-अगर आप मरीज हैं तो छींकने से पहले नाक और मुंह पर कपडम या टिश्यू पेपर रखें। इससे वायरल होने पर  वह दूसरों में नहीं फैलेगा ।
-तरल पदार्थ जैसे सूप, जूस, गुनगुना पानी आदि का सेवन करें।

पिंक आई, कंजंक्टिवाइटिस
कंजंक्टिवाइटिस बरसात में होने वाली कुछ आम बीमारियों में से एक है। आंखों की निचली व ऊपरी पलकों की भीतरी-बाहरी परत को कंजेंक्टिवा कहते हैं। इसमें हुए संक्रमण को कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है। कंजंक्टिवाइटिस को हम आई फ्लू या पिंक आई के नाम से भी जानते हैं। बच्चों में यह संक्रमण तेजी से फैलता है। उनमें इस बीमारी की स्थिति में श्वास संबंधी समस्या देखने को भी मिल सकती है।

ऐसे करें बचाव
आमतौर पर यह संक्रमण 4 से 5 दिन में खुद ही ठीक हो जाता है। इसके बावजूद लालिमा बढ़ने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कंजंक्टिवाइटिस के इलाज के लिए रोगी को डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा का इस्तेमाल करने को कहा जाता है, परन्तु कुछ लोग कैमिस्ट से स्टेरॉयड आई ड्रप लेकर खुद ही उसका प्रयोग करने लगते हैं, जिसका परिणाम गलत हो सकता है।

कैसे बचें
- चेहरे अथवा आंखों पर बार-बार हाथ लगाने से बचें और अपने हाथों को बार-बार धोएं।
- अपना तौलिया, रूमाल व चश्मा आदि किसी के साथ शेयर न करें।
- हर दिन 4 से 5 बार स्वच्छ पानी से आंखों को धोएं।
- कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने वाले लोग अधिक सावधान रहें। आंखें ठीक होने के बाद भी कम से कम दो   दिन तक कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल न करें।

हेपेटाइटिस ए
हेपेटाइटिस ए वायरल संक्रमण है, जो बारिश के कारण हुए संक्रमित खाने अथवा पानी से होता है। यह हमारे लीवर को प्रभावित करता है। सामान्यत: यह बीमारी दूषित आहार व दूषित पानी के सेवन से होती है।

क्या हैं लक्षण
थकान, बुखार, आंखों का पीला पड़ना।
बचाव के लिए रहें सावधान।
घर पर पानी उबाल कर ही पिएं।
बाहर का खाना न खाएं।
पर्याप्त पेय का सेवन करते रहें।
मूलचंद मेडसिटी के कंसलटेंट (इंटरनल मेडिसिन) डॉ. वीरेंदर आनंद से बातचीत पर आधारित

डायरिया है तो तरल पदार्थों को प्राथमिकता दें
डायरिया की स्थिति में पानी व तरल पदार्थों को प्राथमिकता दें। ताजा छाछ, नींबू पानी, नारियल पानी, एलोवेरा का रस, खीरे का रस, ग्रीन टी आदि लें। दिन में तीन बड़े भोजन की जगह कम-कम मात्रा में 5-6 बार भोजन करें। इंसुलिन लेने वाले डॉक्टर की सलाह से ही भोजन लें। भोजन में मसाले का कम इस्तेमाल करें। यदि ज्वर है तो उबला पानी, बिना मसाले वाला भोजन, अधिक कैलोरी व आसानी से पचने वाले प्रोटीन व विटामिन युक्त भोजन का सेवन करें।

मानसून और आपका भोजन
अपचय की समस्या
अपचय की समस्या से पीडिम्त हैं तो खासकर इस मौसम में भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाएं। देर रात को भोजन न करें, बल्कि सोने के दो-तीन घंटे पहले समय पर भोजन कर लें। ऐसे समय पर सो जाएं कि 6 से 8 घंटे सोकर अपनी नींद पूरी कर लें। व्यायाम को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं।

मधुमेह है तो
मधुमेह की स्थिति में बारिश के पानी से अपने पैरों को बचाएं, ताकि उस पानी से होने वाले संक्रमण से बचे रह सकें। दलिया, ओट्स, दालें, सुयोजित आहार व व्यायाम को प्राथमिकता दें। ग्वारफली, मेथी दाना, करेला, मुनगा आदि को अपने भोजन में शामिल करें। अपनी दवाएं अपने साथ रखें। हाइपोग्लासीमिया से बचें।

गठिया से परेशान हैं तो
गठिया है तो प्यूरीन युक्त अधिक प्रोटीन वाले भोजन का सेवन कम करें। कम से कम 10-12 गिलास पानी जरूर पिएं। मांसाहार से बचें।

हृदय रोग व हाइपरटेंशन से पीड़ित
हृदय रोग व हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं तो नमक, घी व तेल से बने भोजन पर अंकुश लगाएं। रात को गरिष्ठ भोजन न करें। बेसन, राजमा, छोले जैसे भोजन से परहेज करें। एचडीएल को बढ़ाने के लिए व्यायाम व आहार पर जोर दें व मानसिक तनाव से बचें। म्यूफा (एसेंशियल फैटी एसिड्स) को आहार में शामिल करें।

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