चांद-सितारों की बातें..
जब अंतरिक्ष में कुछ गैसों का समूह आम घनत्व से कुछ अधिक हो जाता है, तब अपने ही गुरुत्वाकर्षण के कारण गैसें सिकुड़ने लगती...
कैसे बनते हैं तारे..
जब अंतरिक्ष में कुछ गैसों का समूह आम घनत्व से कुछ अधिक हो जाता है, तब अपने ही गुरुत्वाकर्षण के कारण गैसें सिकुड़ने लगती हैं। धीरे-धीरे इनका घनत्व बहुत अधिक हो जाता है और कई हजार अरब वर्षों के बाद जब गैसों के समूह का केन्द्रीय तापमान 10 अरब डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो ये सिकुड़ने लगते हैं। उस समय इनके अंदर अणु तेजी से एक-दूसरे से टकराते हैं और नाभिकीय प्रतिक्रिया करते हैं। इसके कारण जबरदस्त ऊर्जा पैदा होती है, किसी हाइड्रोजन बम जितनी। एक दिन यह सिकुड़न बंद हो जाती है और तब जन्म लेता है एक जगमगाता तारा। हमारा सूरज भी एक तारा है।
चंदा मामा कहां से आया
4.5 अरब साल पहले, जब पृथ्वी का निर्माण हुआ, तब वैज्ञानिकों के अनुसार एक बड़ा-सा ग्रह हमारी पृथ्वी से जा टकराया था। टक्कर इतनी जोरदार थी कि पृथ्वी का मैंटल जो नया-नया बना था, पिघल गया था। दोनों ग्रहों के टूटे हुए अवशेष अंतरिक्ष में छिटक गए और कालांतर में इसी में से एक ने हमारे चंदा मामा का रूप ले लिया। धीरे-धीरे यह हमारी धरती के करीब आ गया और धरती का चक्कर लगाने लगा। अब यह महज 384,403 कि.मी. दूर है।