फोटो गैलरी

Hindi Newsईस्ट-नॉर्थ की जान गंगटोक शहर

ईस्ट-नॉर्थ की जान गंगटोक शहर

मानसून के बाद लोग बेफिक्र होकर लम्बी छुट्टी पर निकल सकते हैं। अपने शहर से बहुत दूर, प्रकृति के मध्य किसी खुशनुमा माहौल में कुछ रोज बिताने के लिए पूरी तैयारी से जाना होता...

ईस्ट-नॉर्थ की जान गंगटोक शहर
Fri, 16 Sep 2011 07:54 PM
ऐप पर पढ़ें

मानसून के बाद लोग बेफिक्र होकर लम्बी छुट्टी पर निकल सकते हैं। अपने शहर से बहुत दूर, प्रकृति के मध्य किसी खुशनुमा माहौल में कुछ रोज बिताने के लिए पूरी तैयारी से जाना होता है। तो इस बार आपको हम गंगटोक के सफर की तैयारी करा रहे हैं। गंगटोक के बारे में विस्तार से बता रहे हैं अविनाश शर्मा

देश के पूर्वोत्तर में स्थित सिक्किम प्राकृतिक सौन्दर्य की धरती है। इस राज्य की प्राकृतिक सुषमा के मध्य बसा है गंगटोक शहर। यह शहर सिक्किम की राजधानी होने के साथ यहां की पर्यटन गतिविधियों का केन्द्र भी है। गंगटोक एक आधुनिक पर्वतीय शहर है, जहां सैलानियों के लिए हर तरह की सुविधाएं मौजूद हैं। दिलचस्प बात यह है कि पर्यटकों को इस शहर की खूबसूरती के अलावा यहां के लोगों की खूबसूरती भी प्रभावित करती है। होटल हो या रेस्टोरेन्ट, मार्केट हो या टूरिस्ट प्वाइंट, हर जगह सिक्किमी युवक-युवतियों के चेहरों से झलकती ताजगी माहौल को कुछ ज्यादा ही खुशनुमा बना देती है।

गंगटोक समुद्रतल से लगभग 5800 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए वहां की आबो-हवा हमेशा रूमानी लगती है। वहां घूमने के लिए बहुत से स्थान हैं। पहला आकर्षण वहां का तिब्बतोलॉजी अनुसंधान केन्द्र है। इसकी इमारत तिब्बती वास्तुशैली का सुंदर उदाहरण है, जिसे देखने विदेशी सैलानी भी आते हैं। संस्थान में भगवान बुद्ध की सौम्य प्रतिमा दर्शनीय है। भवन के संग्रहालय में बौद्ध संस्कृति एवं कला की बहुत सी अनमोल धरोहर देखने को मिलती हैं। पास ही एक विशाल सफेद स्तूप है, जिसके चारों ओर 113 प्रार्थना चक्र लगे हैं। संस्थान के निकट एक आर्किड सेंक्चुरी है, जहां लगभग दो सौ प्रजातियों के अद्भुत रंगों के आर्किड मौजूद हैं। सेंक्चुरी के मध्य भी भगवान बुद्ध की स्वर्णिम प्रतिमा स्थापित है। यहां से कुछ दूरी पर डीयर पार्क स्थित है, जहां कई तरह के हिरनों को कुलांचे भरते देखा जा सकता है।

गंगटोक में मठों की बहुलता है, लेकिन वहां कुछ मंदिर भी हैं। हनुमान टोंक वहां का हनुमान मंदिर है तो गणेश टोंक में गणेश जी का मंदिर है। इन मंदिरों में बौद्ध धर्म के अनुयायी भी आते हैं। इस स्थल से पर्यटकों को शहर का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। वैसे तो गंगटोक में जिस ओर नजर जाती है दिलकश नजारे देखने को मिलते हैं, लेकिन ताशी व्यू प्वाइंट से दिखने वाली नैसर्गिक छटा तो बस मंत्रमुग्ध कर देती है। वहां से हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखला में कंचनजंगा हिमशिखर का गौरवशाली रूप देखते ही बनता है। बनजाकरी वॉटर फॉल एक मनमोहक पिकनिक स्पॉट की तरह है, जहां युवा जोड़ों को रोमांटिक अंदाज में फोटो खिंचाते देखा जा सकता है। गंगटोक में रोप-वे राइड का आनंद भी लिया जा सकता है। ऊंची पहाड़ी पर ले जाने वाले इस उड़नखटोले की यात्रा काफी रोमांचकारी लगती है। यह केबल-कार देओराली मार्केट से आरंभ होकर शहर के सबसे ऊंचे प्वाइंट तक ले जाती है। इसकी करीब 20 मिनट की राइड में गंगटोक शहर के अलावा समूची घाटी का दृश्य देखने को मिलता है। गंगटोक का विशालतम रूमटेक मठ शहर से करीब 22 किमी़ दूर है। इसका निर्माण बौद्ध धर्म के काग्यु मत के 16वें कर्मापा द्वारा करवाया गया था। यह मठ वास्तुकला की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थान है। मठ के विशाल कक्ष में शानदार मनोहारी बुद्ध प्रतिमा अवस्थित है। मठ की भीतरी सज्जा तो अवर्णीय है। शहर के बाहर ऐन्शे मोनेस्ट्री, रांका मोनेस्ट्री, फोडोंग मठ एवं लाब्रांग मठ भी दर्शनीय स्थान हैं।

गंगटोक यात्रा का एक एडवेंचरस प्वाइंट झांगू लेक है। समुद्रतल से 12400 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह झील 37 कि़ मी़ दूर है। इसका मार्ग नैसर्गिक सुषमा से पूर्ण है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें