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जिंदगी चाहते हैं तो स्मोकिंग को कहें नो

दिल की चिंता तो हम सब करते हैं लेकिन ईमानदारी से कोशिश नहीं करते। खानपान में थोड़ा बदलाव कर सिगरेट स्मोकिंग जैसी आदतों को दूर कर हम अपने दिल की सेहत को दुरुस्त रख सकते...

जिंदगी चाहते हैं तो स्मोकिंग को कहें नो
Wed, 05 Oct 2011 01:12 PM
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दिल की चिंता तो हम सब करते हैं लेकिन उसके लिए हम ईमानदारी से कोशिश नहीं करते। खानपान में थोड़ा बदलाव कर और अपनी लाइफ स्टाइल से सिगरेट स्मोकिंग जैसी आदतों को दूर कर हम अपने दिल की सेहत को दुरुस्त रख सकते हैं।

हृदय रोग अधिकांश लोगों में मृत्यु, विकलांगता और कार्य के घंटों के नुकसान के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और हमारे देश में किए गए अनेक प्रमुख अध्ययनों के अनुसार दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, बेंगलुरु, जयपुर, तिरुवनंतपुरम समेत तमाम महानगरों में 35 वर्ष की आयु से ऊपर की लगभग 10 प्रतिशत जनसंख्या हृदय धमनी रोग (कोरोनरी हार्ट डिसीज) से पीड़ित है। ग्रामीण भारत के आंकड़े कम हैं, लेकिन ये भी निरंतर वृद्धि (लगभग 4 प्रतिशत) दर्शा रहे हैं।

ये आंकड़े अत्यंत चिंताजनक हैं जो यह संकेत देते हैं कि अनुमानत: भारत में 6 करोड़ लोग हृदय की धमनियों में रुकावट से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हैं। इसलिए उन जोखिम वाले कारणों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है जो समस्या के लिए जिम्मेदार हैं।

सन 2000 में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्ययन इंटरहार्ट में बताया गया कि 90 प्रतिशत मामलों में 9 जोखिम कारक ही दिल के दौरों के कारण बनते हैं। इस अध्ययन में शामिल 30 प्रतिशत रोगी दक्षिण एशियाई देशों से थे।

जोखिम के कारक
प्रतिकूल जोखिम कारणों में अत्यधिक धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, खराब कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर (एपीओबी/एपीओए1 का बढ़ा हुआ अनुपात), डायबिटीज मैलिट्स, मोटापा व मनो-सामाजिक दबाव प्रमुख होते हैं। सुरक्षात्मक जोखिम कारणों में फलों एवं सब्जियों का दैनिक सेवन, नियमित व्यायाम, शराब का सीमित सेवन शामिल हैं।

याद रखें
प्रतिदिन 20 से अधिक सिगरेट या बीड़ी पीने से दिल का जोखिम 5 गुना, 10 से 19 तक सिगरेट या बीड़ी पीने से 3 गुना तथा 5 से कम सिगरेट या बीड़ी पीने से यह जोखिम 1.5 गुना बढ़ जाता है। एक सिगरेट जिंदगी के 11 मिनट कम कर देती है और सिगरेट के धुएं से दिल के दौरों का खतरा 90 प्रतिशत अधिक बढ़ जाता है।

क्या है उपयुक्त रक्तचाप
उपयुक्त रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) 120/180 एमएमएस एचजी. 110/75 एमएमएस से अधिक बीपी होने को स्ट्रोक व हार्ट अटैक की दरों में वृद्धि के रूप में देखा जाता है। अनेक महामारी विज्ञान अध्ययनों व जीवन बीमा आंकड़ों द्वारा यह प्रमाणित हो चुका है। सिस्टॉलिक या डायस्टॉलिक प्रेशर में 10 एमएमएस की वृद्धि से हृदय संबंधी समस्या का जोखिम दोगुना हो जाता है। दुर्भाग्यवश उच्च रक्तचाप में किसी तरह के लक्षण नहीं होते। इस कारण इसकी पहचान व प्रबंधन एक चुनौती है। इसलिए इसे कई बार ‘साइलेंट किलर’ (खामोश हत्यारा) कहा जाता है।

कुछ भ्रम
रक्तचाप उम्र के साथ बढ़ता है। यह सामान्य प्रक्रिया  है। 60 वर्ष के व्यक्ति का ब्लड  प्रेशर 160 और 80 वर्ष के व्यक्ति का 180 (उम्र +100) होता है, यह सत्य नहीं  है। सभी आयु वर्गो के लिए सामान्य बीपी 120/80 एमएमएस होना चाहिए।

बीपी कम करने वाली दवाएं
सामान्य रूप से ब्लड प्रेशर के 140/85 एमएमएस से अधिक होने पर दवा लेने की सलाह दी जाती है। कुछ विशेष स्थितियों में 130/80 एमएमएस के स्तर पर भी दवाइयां लेने की संस्तुति की जाती है। ऐसे लोगों में मधुमेह से पीड़ित रोगी, गुर्दे के रोग व उच्च ब्लड यूरिया व क्रेटिनिन वाले रोगी, पहले दिल के रोग या स्ट्रोक से पीड़ित रह चुके रोगी शामिल होते हैं।

बीपी कम करने के उपाय
रक्तचाप को 10 से 15 एमएमएस कम करने के लिए बिना दवाइयों वाले उपायों में नियमित व्यायाम, प्रतिदिन नमक की मात्र 4-5 ग्राम से अधिक लेना, प्रतिदिन 4-5 बार ताजे फल एवं सब्जियों का इस्तेमाल, अल्कोहल से परहेज, वजन कम करना आदि शामिल हैं।

ये उपाय हर उस व्यक्ति को अपनाने चाहिए जिन्हें रक्तचाप है। जीवनशैली से जुड़े इन तरीकों से दवाइयों की मात्र व संख्या कम की जा सकती है। सभी लोगों को इन दवा रोधी तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि उनका रक्तचाप 120/80 एमएमएस रह सके।

कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखने के लिए
उपयुक्त कोलेस्ट्रॉल के लिए नियमित व्यायाम, वजन कम करना, ओमेगा 3 वसीय अम्लों (जैतून का तेल, सरसों का तेल, बादाम, अखरोट, ठंडे पानी में पाई जाने वाली मछलियां जैसे सालमन, ट्राऊट आदि) में वृद्धि आदि शामिल हैं।

दबाव या तनाव
दबाव या तनाव एक महत्वपूर्ण जोखिम है। इससे एड्रेनेलिन का स्नव बढ़ता है। लगातार तनाव से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। इससे मधुमेह हो सकता है और हृदय की धमनियां संकरी हो सकती हैं। तनाव को कम करने में श्वसन व्यायाम, सामान्य व्यायाम, योग, ध्यान व मालिश वाले तनाव प्रबंधन कार्यक्रम उपयोगी साबित हुए हैं। ये ऐसे तरीके हैं जो तनाव के कारण उत्पन्न होने वाले एडरेनलिन का प्रभाव घटाते हैं। ये आरामदायक तकनीकें काफी सुरक्षित भी हैं। उच्च जोखिम वाले लोगों को इससे काफी लाभ होगा। इसके साथ, फलों व सब्जियों से भरपूर प्रोटीन लेना, कम नमक लेना काफी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

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