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बच्चे को दीजिए प्यार भरी परवरिश

बच्चे को बेहतर भविष्य देने के लिए आज के जमाने में माता-पिता दोनों का कामकाजी होना जरूरी हो गया है। ऐसे में यह सोचना कि आप कामकाजी हैं, इसलिए अच्छी मां नहीं है, गलत है। मनोविशेषज्ञ डॉं. समीर पारिख के...

बच्चे को दीजिए प्यार भरी परवरिश
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 01 Aug 2014 10:54 AM
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बच्चे को बेहतर भविष्य देने के लिए आज के जमाने में माता-पिता दोनों का कामकाजी होना जरूरी हो गया है। ऐसे में यह सोचना कि आप कामकाजी हैं, इसलिए अच्छी मां नहीं है, गलत है। मनोविशेषज्ञ डॉं. समीर पारिख के मुताबिक परफेक्ट पेरेंटिंग का कोई मापदंड नहीं होता। जहां एक तरफ हाउसवाइफ मां बच्चे की जरूरत के मुताबिक उसके शारीरिक और मानसिक विकास में उसकी मदद करती है, वहीं कामकाजी मां के बच्चे बचपन से ही आत्मनिर्भर हो जाते हैं। बच्चे का विकास इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि आप उसके साथ कितना समय बिताती हैं, बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि आप उसका पालन-पोषण किस प्रकार से करती हैं और उसे कैसे संस्कार देती हैं।

वक्त को चलाएं अपने इशारों पर
काम के साथ-साथ बच्चे का पूरा ध्यान रखने के लिए वर्किंग पेरेंट्स को सबसे पहले टाइम मैनेजमेंट का गुर सीखना होगा। यदि आप नियोजित ढंग से काम करेंगी तो कुछ भी मैनेज करना असंभव नहीं। बच्चे के जन्म से पहले ही आगे की योजना बनाएं। ऐसा करने से आप आने वाली परेशानियों का समय रहते हल ढूंढ़ पाएंगी। मसलन, बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखरेख कैसे की जाए? उसे दादा-दादी, नाना-नानी, फुल टाइम मेड या फिर डे केयर सेंटर में रखा जाए? घर की परिस्थितियों के मुताबिक आपसी सलाह-मशविरे से, सभी पहलुओं को समझते हुए बच्चे की देखभाल का सही विकल्प चुनें।

बच्चे के शेडय़ूल के मुताबिक करें प्लानिंग
अपने दिनभर के काम की योजना बनाएं, न सिर्फ दिन बल्कि पूरे सप्ताह व महीने भर के काम को नियोजित करें। ऐसा करने से न सिर्फ आपका शेडय़ूल पहले से तय रहेगा, बल्कि आप कितने वक्त में कौन-सा काम पूरा कर पाएंगी आपको इसका अंदाजा भी रहेगा। अपने महीने का कैलेंडर, बच्चे की छुट्टियों, परीक्षा, स्कूल के फंक्शन या पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के मुताबिक ही बनाएं। ऐसा करने से बच्चे से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियां आप आसानी से निभा पाएंगी।

बच्चे से जुड़ें दिल से
बच्चे के साथ सख्ती से पेश आने की जगह उनका दोस्त बनने की कोशिश करें, ताकि वह अपने दिल की हर बात आपके साथ खुलकर शेयर कर सके। बार-बार पढ़ाई के लिए डांटने की बजाय उसे एक काम देकर जाएं और शाम को आकर उसकी रिपोर्ट लें। आपके और बच्चे के बीच का रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि वह अपनी हर परेशानी आपसे साझा कर सके। ऑफिस में फोन करने पर उसे डांटे नहीं, मुमकिन हो तो उसकी कोई कॉल मिस न करें।

कुछ वक्त, सिर्फ बच्चे के लिए
यदि आपके पास परिवार के साथ बिताने के लिए समय की कमी है तो हमेशा क्वालिटी टाइम बिताने की कोशिश करें। हमेशा टीवी के सामने बैठे रहने की जगह साथ में बैठकर खाना खाएं। दिन भर के अनुभवों को शेयर करें, बच्चे से उसकी दिन भर की एक्टिविटी के बारे में पूछें। जब आप ऑफिस में हों तब भी कोशिश करें कि फोन या वीडियो चैट के द्वारा जरूरत पड़ने पर उनके लिए मौजूद रहें। यदि कभी मीटिंग की वजह से बात करना संभव न हो तो समय मिलते ही उनसे बात करें।

शिकायतों को नजरअंदाज न करें
बाल मनोरोग विशेषज्ञ गीतिका कपूर बताती हैं कि अक्सर छोटे बच्चे ये शिकायत करते हैं कि उसके स्कूल फ्रेंड की मां उसे स्कूल लेने आती है, तो आप क्यों नहीं आ सकतीं? बच्चे की इस शिकायत का जवाब सटीक तर्क के साथ दें। उसे समझाएं कि जैसे उसका स्कूल जाना जरूरी है, वैसे ही आपका ऑफिस जाना भी जरूरी है। अगर बच्चा अपने टीचर या फिर किसी बच्चे या पड़ोसी की शिकायत कर रहा है तो उसे नजरंदाज न करें। उसकी शिकायतों का हल निकालने की कोशिश करें, तभी वह आपसे अपनी बातें साझा कर पाएगा। बेहतर होगा कि आप यह जानने की कोशिश करें कि उसकी शिकायत कितनी सच्ची है और उसकी परेशानी का हल तलाशें।

बच्चे को आत्मनिर्भर बनाएं
बच्चे को यह बात समझाएं कि आप दोनों का जॉब करना क्यों जरूरी है और आपकी ऑफिस के प्रति क्या जिम्मेदारी है। उन्हें अपने सभी काम खुद से करना सिखाएं। उन्हें अच्छी शिक्षा और अच्छा जीवन देने के लिए किए जाने वाले अपने प्रयास और संघर्ष के बारे में जरूर बताएं। संघर्ष के महत्व को समझकर ही उनमें आत्मनिर्भरता और संवेदनशीलता की भावना विकसित हो सकती है।

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