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जब प्यार भरा रिश्ता न लगे प्यारा

तुम दोनों को किसकी नजर लग गई? अक्सर कोई देर-सवेर इस बात का अहसास करवा देता है कि अब आपके रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही। बात-बात में झगड़ा, बेवजह का रोब दिखाना, अपने साथी की खुशी से जलना...कारण...

जब प्यार भरा रिश्ता न लगे प्यारा
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 11 Sep 2014 12:49 PM
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तुम दोनों को किसकी नजर लग गई? अक्सर कोई देर-सवेर इस बात का अहसास करवा देता है कि अब आपके रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही। बात-बात में झगड़ा, बेवजह का रोब दिखाना, अपने साथी की खुशी से जलना...कारण कोई भी हो, पर वजह जाने बिना रिश्ते की खोई मिठास वापस नहीं लाई जा सकती। क्या हैं रिश्ते में खटास के लक्षण और कैसे उनसे उबरें, बता रही हैं मीनाक्षी झा

तुम पर है सिर्फ मेरा हक
कई बार समय के साथ अपने पार्टनर की बेवजह की रोकटोक नागवार गुजरने लगती है। हद तो तब होने लगती है, जब आप किससे मिलेंगी और किसे दोस्त बनाएं, ये सब वह तय करने लगते हैं। किसी के साथ आपका ज्यादा घुलना-मिलना उन्हें इस कदर नामंजूर होता है कि ये बात आपके उस दोस्त को भी कड़े शब्दों में जता दी जाती है। हालांकि एक स्वस्थ मानसिकता वाला व्यक्ति ऐसी मांग कभी नहीं रखेगा। ऐसे में उन्हें समझाएं कि आपको उनका साथ बेहद पसंद है, मगर अच्छा रिश्ता वही होता है, जहां दोनों को बराबरी का दर्जा मिले। ऐसा न करने से ये बंदिशें आपके रिश्ते की नींव को खोखला कर देंगी, क्योंकि पूरी जिंदगी कोई एक कैद में नहीं गुजार सकता।

लाखों उम्मीदें पाल लेना
अगर आपको लगता है कि आपने अपने पार्टनर के साथ अपनी पूरी जिंदगी की प्लानिंग कर ली है तो थोड़ा संभल जाएं। हर बात एक सही वक्त पर हो, तभी भाती है। ऐसा माना जाता है कि किसी रिश्ते में भविष्य के सपने संजोने से गहराई आती है, पर एम्स से जुड़े न्यूरो सकाइट्रिस्ट डॉं. सत्यजीत कुमार सिंह कहते हैं कि किसी भी रिश्ते से उम्मीदें पालना सामान्य बर्ताव है, मगर तभी जब आप उस इंसान के साथ एक अटूट रिश्ते में हों। मगर समस्या तब आती है, जब सिर्फ अकेले आप ऐसा सोचते हुए अपने पार्टनर से भी यही आशा रखने लगते हैं। ऐसे में होना ये चाहिए कि पहले ही दोनों अपने भविष्य की योजनाएं और सपनों पर खुल कर बात करें। जिंदगी से दोनों की क्या ख्वाहिशें हैं, जब तक यह साफ नहीं होगा, तब तक रिश्ता अधर में रहेगा।

नजरें तुम पर, हरदम
एक-दूजे की खैर-खबर रखना अच्छी बात है, मगर रिश्ते की शुरुआत में ही ऐसा ज्यादा हो तो समझिए कुछ गड़बड़ है। मसलन आपका पार्टनर आपसे ई-मेल या किसी सोशल साइट का पासवर्ड शेयर करने को कहे। बेशक आप सोच सकती हैं कि इसमें बुराई क्या है, जब आपके पास  छुपाने को कुछ नहीं। पर यदि ऐसा आप पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है तो इसे खतरे की घंटी समझें। अगर अपना पासवर्ड अपने पार्टनर को बताना आपको अपनी निजता पर हमला लगे तो ऐसा करने से जरूर बचें। डॉं. सिंह बताते हैं कि धीरे-धीरे यही शक्की मानसिकता एक रोग की शक्ल ले लेती है। 

बेबात बेइज्जत करना
ऐसा किसी भी रूप में हो, तुरंत बेहिचक आवाज उठाएं। इसमें इमोशनल ब्लैकमेलिंग से लेकर अपनी बात पूरी होते न देख हाथ उठाना तक शामिल है। किसी भी समाज में सभी को बराबरी से जीने का हक है। हो सकता है परिवार के डर से अभी आप जो सह रही हैं, कल उसका कोई भयानक परिणाम आपको सहना पड़े। दरअसल, शुरुआत में ऐसी बातें जो हंसी-मजाक में उठती हैं, उन्हें नजर-अंदाज करना ही अनजाने में रिश्ते में हिंसा को बढ़ावा देता है। इसलिए समय रहते अपने पार्टनर को आगाह करें कि ऐसे मजाक या घुमावदार बातें आप बर्दाश्त नहीं करेंगी।

गलती सिर्फ तुम्हारी है
आपकी गलती ना होते हुए भी हर बात का दोष आप पर डाला जाए तो समझिए आपसी समझ की कच्ची डोर ढीली पड़ने लगी है। रिलेशनशिप काउंसलर अविनाश कुमार बताते हैं, आरोप-प्रत्यारोप का खेल वहीं खेला जाता है, जहां आपसी तालमेल की कमी होती है। ऐसे में दोनों पार्टनर का ये सोचना जरूरी है कि इस परिस्थिति में अगर वो होते तो क्या करते? अगर आपकी गलती है तो मांफी मांगें और आइंदा ऐसा ना होने का भरोसा जताएं। इससे रिश्ता मजबूत होगा और आपके पार्टनर आप पर अपनी बातों का असर देख शांत हो जाएंगे।

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