एक्स फैक्टर वाले नए बैंड
प्राट मेमोरियल स्कूल कोलकाता की आठ छात्रएं स्कूल कॉयर में गाया करती थीं। उनकी टीचर ने एक्स फैक्टर शो के बारे में बताया तो आठों मुम्बई तक आ गईं। ग्रुप का कोई नाम नहीं था। लेकिन, लास्ट मिनट में जब...
प्राट मेमोरियल स्कूल कोलकाता की आठ छात्रएं स्कूल कॉयर में गाया करती थीं। उनकी टीचर ने एक्स फैक्टर शो के बारे में बताया तो आठों मुम्बई तक आ गईं। ग्रुप का कोई नाम नहीं था। लेकिन, लास्ट मिनट में जब आयोजकों ने उनसे उनके ग्रुप का नाम पूछा तो उन्होंने लास्ट मिनट बता दिया।
संगीत की राह पर चलते हुए साथ मिलता जाता है, कारवां बनता जाता है। यह कारवां जब कहीं परफार्म करने के लिए मिलता है, तो एक ग्रुप बन जाता है या बैंड बन जाता है। सोनी टीवी पर दिखाए जा रहे म्यूजिक शो एक्स फैक्टर में मेंटर संजय लीला भंसाली के चार ग्रुप के बनने की दास्तान कुछ ऐसी ही हैं। स्कूल और यूनिवर्सिटी में पढ़ते, घर में काम करते या अपनी रोजी रोटी चलाते लोग जब साथ आते हैं क्या होता है, आइए जानते हैं। लास्ट मिनट बैंड का ही उदाहरण लीजिए। प्राट मेमोरियल स्कूल कोलकाता की आठ छात्राएं स्कूल कॉयर में गाया करती थीं। उनकी टीचर ने एक्स फैक्टर शो के बारे में बताया तो आठों मुम्बई तक आ गईं। ग्रुप का कोई नाम नहीं था। लेकिन, लास्ट मिनट में जब आयोजकों ने उनसे उनके ग्रुप का नाम पूछा तो उन्होंने लास्ट मिनट बता दिया।
सजदा सिस्टर्स में दो बहनें और एक भांजी हैं। दोनों बहनों को बचपन से गाने का शौक था। अपना टैलेंट वलसाड से बाहर भी दिखाना चाहती थीं, इसलिए जब एक्स फैक्टर के बारे में मालूम हुआ तो दोनों बहनें अपनी भांजी को साथ लेकर चल पड़ीं संगीत की यात्रा पर और ग्रुप का नाम रख लिया सजदा। राजस्थान और एमपी के 17-18 लोग विभिन्न स्थानों में संगीत के कार्यक्रम साथ दिया करते थे। सोचा चलें मुम्बई में अपने सपने साकार करते हैं। सो सजदा ग्रुप बना कर चले आये मुम्बई। इस लिहाज से निर्मिति ग्रुप मुम्बई युनिवर्सिटी का ही है। यह चार सिंगर संगीत की विभिन्न शैलियों कर्नाटक, हिन्दुस्तानी और वैस्टर्न में अपना दखल रखते हैं। इनमें इच्छा है कुछ अलग तरह का संगीत देने की, जिसे सुन कर लोग कहें कि यह निर्मिति का निर्मिती संगीत है।
संजय लीला भंसाली इन चारों ग्रुप्स से प्रभावित हैं। वह कहते हैं, ‘मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे इतने बड़े सिंगर्स का मेंटर बनने का मौका मिला है। आप विश्वास कीजिए इनमें से हरेक एक्सेप्शनल एक्स फैक्टर रखता है। ये लोग अच्छा गा तो सकते ही हैं, अच्छा परफार्म भी कर सकते हैं।’ इन सब की आंखों में सपने हैं, कुछ करने और कर दिखाने के। लेकिन, देखने की बात यह है कि इनके सपने कहां साकार होते हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि एक्स फैक्टर के बाद इनके यह ग्रुप बरकरार रहते हैं या नहीं? लास्ट मिनट ग्रुप के चार सदस्य संगीत से जुड़े हैं। यदि एक्स फैक्टर में टॉप फाइव तक पहुंचे तो शायद यह ग्रुप लास्ट मिनट तक साथ रहे। सजदा सिस्टर्स ग्रुप अपनी कोरियोग्राफी खुद करता है। इनका इरादा इसे आगे तक बनाये रखने का है। दीवाना ग्रुप एक्स फैक्टर के बाद भी कहीं किसी कार्यक्रम में परफार्म करता नजर आ सकता है। रही बात निर्मिति की तो उन्होंने पक्का इरादा कर रखा है कि वह अलग तरह के म्यूजिक की निर्मिति करते रहेंगे। तो उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में भारतीय संगीत को कोई नई दिशा देने वाले चार बैंड मिलेंगे।