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सौर मंडल के नए साथी

चांद-सूरज और आसमान में टिमटिमाते अनेक तारे देखकर तुम्हारे मन में यह सवाल उठता होगा कि धरती के अलावा जीवन कहीं और है या नहीं? हाल ही में नासा के टेलिस्कोप केपलर ने नए ग्रहों का पता लगाया है। आओ जाने...

सौर मंडल के नए साथी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 28 Jan 2015 01:44 PM
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चांद-सूरज और आसमान में टिमटिमाते अनेक तारे देखकर तुम्हारे मन में यह सवाल उठता होगा कि धरती के अलावा जीवन कहीं और है या नहीं? हाल ही में नासा के टेलिस्कोप केपलर ने नए ग्रहों का पता लगाया है। आओ जाने इनके बारे में...

हमारी पृथ्वी गोल है। इसके तीन-चौथाई हिस्से में महासागर है और बाकी एक चौथाई में पूरा संसार। ऐसी बहुत सी बातें तुम पृथ्वी के बारे में जानते हो, लेकिन हमारे अंतरिक्ष के अन्य ग्रहों और उन पर पृथ्वी जैसे ही जीवन की संभावना जानने के बारे में तुम्हारे मन में उत्सुकता जरूर उठती होगी। कुछ ऐसी ही उत्सुकता हुई होगी नासा के कुछ वैज्ञानिकों के मन में और उन्होंने खोज डाले कुछ नए ग्रह। पिछले दिनों अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के केपलर स्पेस टेलिस्कोप ने आठ नए ग्रहों का पता लगाया। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से दो ग्रह केपलर-438बी और केपलर-442बी ग्रह बहुत हद तक पृथ्वी से मिलते-जुलते हैं। ये ग्रह लाल रंग के छोटे तारों की परिक्रमा करते हैं। पर ये तारे काफी छोटे और हमारे सूरज के मुकाबले ठंडे भी हैं। केपलर-438बी अपने तारे से 475 प्रकाश वर्ष दूर है और लगभग 35 दिन में अपने तारे का चक्कर लगा लेता है। इसी तरह केपलर-442बी अपने तारे से 1100 प्रकाश वर्ष दूर है और यह 112 दिनों में अपने तारे की परिक्रमा कर लेता है। ये ग्रह अंतरिक्ष में सूर्य जैसे दूसरे सितारों के पास ‘गोल्डीलॉक्स जोन’ में मिले हैं। अब तुम पूछोगे कि गोल्डीलॉक्स क्या है? यह अंतरिक्ष का वह क्षेत्र है, जहां जीवन पनपने लायक वातावरण होता है। नासा का केपलर टेलिस्कोप अब तक 1000 से ज्यादा ग्रहों की खोज कर चुका है, लेकिन इनमें से आठ ग्रह आकार में पृथ्वी और सूर्य से भी छोटे हैं।

कैसा होगा दूसरे ग्रह पर जीवन

नेहरू प्लेनेटोरियम, दिल्ली के डायरेक्टर
अरविंद परांजपे का कहना है कि इस नई खोज के साथ ही यह संभावना भी बढ़ गई है कि पृथ्वी से अलग अन्य ग्रहों पर भी जीवन होगा। सोचो, अगर अन्य ग्रहों पर जीवन है, तो उसका रूप कैसा होगा? वहां के प्राणी कैसे होंगे? मुमकिन है कि उन ग्रहों पर जो प्राणी हों, वे रूप-रंग और आकार में तुमसे अलग हों। संभव है कि उनकी पांच के बजाय तीन ही उंगलियां हों।

अगर उन ग्रहों पर गुरुत्वाकर्षण अधिक होगा, तो वे प्राणी बौने हो सकते हैं, अगर वहां गुरुत्वाकर्षण कम होगा, तो वे लंबे हो सकते हैं। अगर वहां के वायुमंडल में वायु की मात्रा कम होगी, तो उनके कान बड़े हो सकते, ताकि वे आसानी से सुन सकें। अगर किसी ग्रह का वातावरण बहुत ज्यादा गर्म है, तो वहां के लोगों की चमडी ऊंट की तरह मोटी हो सकती है। अगर इलाका बहुत ठंडा है, तो वहां के लोगों का रंग सफेद भी हो सकता है। हमारे यहां दिन 24 घंटों का होता है, लेकिन दूसरे ग्रहों का दिन हमारे दिन से छोटा या बड़ा हो सकता है। वहां के प्राणियों का खान-पान भी अलग हो सकता है। वहां की वनस्पति हमारे यहां से अलग हो सकती है।

वैज्ञानिकों का मत है कि पृथ्वी पर जीवन होना बड़ी बात है। पर कुछ वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना मानते हैं। इन नए ग्रहों की खोज से हम अन्य ग्रहों पर जीवन है या नहीं, इसके उत्तर के और पास पहुंच गए हैं।

जीवन अलग, पर गणित समान
अन्य ग्रहों के प्राणी चाहे हमसे कितने ही अलग क्यों न हों, लेकिन हमारी और उनकी एक चीज समान हो सकती है और वह है गणित। अगर दूसरे ग्रहों पर रहने वाले लोग बुद्धिमान होंगे, तो यह भी मुमकिन है कि वे गणित की विषम संख्या वाले अंक जैसे कि 1,3,5 आदि का ज्ञान प्राप्त कर चुके हों, क्योंकि विषम अंक प्राकृतिक तरीके से नहीं बनाए जा सकते। 

संपर्क साधना नहीं है आसान
फिल्मों में जिस तरह से पृथ्वी निवासी अन्य ग्रह के प्राणियों के साथ संपर्क करते हुए दिखाई देते हैं, वैसा असलजिंदगी में होना मुमकिन नहीं है। इसकी वजह है पृथ्वी की अन्य ग्रहों से दूरी। पृथ्वी से जो तारा सबसे नजदीक है, वह है मित्रक तारा। इसे एल्फा सेन्टोरी भी कहा जाता है। पृथ्वी से इसकी दूरी 4 प्रकाश वर्ष है। अगर पृथ्वी से हेलो कहा जाए, तो इस तारे तक यह संदेश पहुंचने में 8 साल से ज्यादा का समय लग जाएगा। साफ है कि दूसरे ग्रहों से संपर्क साधना लगभग नामुमकिन है।

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