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प्रोस्टेट कैंसर: उपचार का बेहतर उपाय रोबोटिक सर्जरी

प्रोस्टेट कैंसर का इलाज अब रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टमी से काफी सफलतापूर्वक किया जाने लगा है, जिसमें कैंसर वाली प्रोस्टेट ग्रंथि को हटाने के लिए रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल किया जाता है। क्या है यह तकनीक और...

प्रोस्टेट कैंसर: उपचार का बेहतर उपाय रोबोटिक सर्जरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 10 Oct 2014 11:33 AM
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प्रोस्टेट कैंसर का इलाज अब रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टमी से काफी सफलतापूर्वक किया जाने लगा है, जिसमें कैंसर वाली प्रोस्टेट ग्रंथि को हटाने के लिए रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल किया जाता है। क्या है यह तकनीक और क्या हैं इसके फायदे, आइए जानें।

प्रोस्टेट कैंसर 65 साल से अधिक उम्र के पुरुषों को होने वाले सबसे आम कैंसरों में से एक है। ऐसी सभी दिक्कतों में आमतौर पर सर्जिकल हस्तक्षेप की जरूरत होती है। आजकल प्रोस्टेट कैंसर नई रोबोटिक आर्म वाली तकनीक से भी निकाला जा सकता है, जिसमें परंपरागत सर्जरी के मुकाबले बेहद कम समस्याएं आती हैं। पिछले दो दशकों के दौरान, मेडिकल सर्जरी की दिशा में शोधकर्ताओं ने काफी प्रगति की है, जिसमें प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए रोबोटिक तकनीक भी खास है। रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टमी परंपरागत प्रोस्टेट रिमूविंग सर्जरी के मुकाबले कई तरह से खास और फायदेमंद है।

रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टमी से सर्जन को प्रोस्टेट ग्रंथि और इसके आस-पास की नसें परंपरागत तरीके के मुकाबले ज्यादा स्पष्ट दिखती हैं। ज्यादा लचीले और घुमाने में आसान रोबोटिक आर्म्स के इस्तेमाल से हो रही सर्जरी ज्यादा सफल भी होती है। प्रोस्टेट पुरुष के प्रजनन संबंधी अंग का एक बाहरी ग्लैंड है। प्रोस्टेट ग्लैंड सीमेन और स्पर्म को सुरक्षित रखने वाले फ्ल्यूइड बनाने के अलावा यूरीन को कंट्रोल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

क्या है प्रोस्टेटेक्टमी
प्रोस्टेटेक्टमी एक सर्जरी प्रक्रिया है, जिसमें पूरा प्रोस्टेट ग्लैंड हटा दिया जाता है। यह उस मामले में किया जाता है, जिसमें बीमारी का शुरुआत में ही पता लग जाता है और यह पक्का होता है कि कैंसर ग्लैंड के बाहर तक नहीं फैला है। कई बार प्रोस्टेट कैंसर बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है। ऐसे में मरीजों को इलाज की जरूरत नहीं होती, लेकिन ग्लैंड की नियमित जांच की जरूरत होती है।

इलाज के सर्जिकल विकल्प
ऐसे मामलों में, जिनमें कैंसर का पता शुरू में ही लग जाता है, प्रोस्टेट ग्लैंड के बाहर फैलने से पहले प्रोस्टेट ग्रंथि और इसके आस-पास के कुछ ऊतकों को हटाने के लिए सर्जिकल हस्तक्षेप किया जाता है। इससे प्रभावी रूप से कैंसर बाहर फैलने से रुक जाता है। रेडिकल प्रोस्टेटेक्टमी के नाम से जानी जाने वाली यह प्रक्रिया प्रोस्टेट कैंसर के इलाज का सबसे आम तरीका है।

कैसे होता है इसका इस्तेमाल
ओपेन प्रोस्टेटेक्टमी: इसमें एक बड़ा कट लगता है, जो नाभि से लेकर प्युबिक बोन तक होता है। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि इसमें रक्त का कितना नुकसान होता है, कितना दर्द झेलना पड़ता है और कट का घाव भरने में कितना लंबा समय लगता है।

लैप्रोस्कोपिक प्रोस्टेटेक्टमी: इस तरीके में एक छोटा-सा चीरा लगता है। ओपन प्रोस्टेटेक्टमी के मुकाबले बेहद कम रक्त का नुकसान होता है और रोगी की रिकवरी बहुत जल्दी होती है।

रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टमी
प्रोस्टेट कैंसर को हटाने के लिए प्रोस्टेट-असिस्टेड लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की दिशा में हुई नई प्रगति ने परंपरागत तरीके की तुलना में कई फायदे हैं। कम चीरा लगाने वाली सर्जरी, रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टमी में कम ट्रॉमा होता है और मरीज को आराम जल्दी मिलता है।

रोबोटिक प्रोस्टेटेक्टमी में रोबोटिक इंस्ट्रमेंट से काम किया जाता है। अपने हाथों से ऑपरेशन करने के बजाय डॉक्टर इसमें स्टेट-ऑफ-द-आर्ट रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इसमें ज्यादा स्पष्टता और नियंत्रण रहता है। यह सर्जिकल डिवाइस रेजोल्युशन कैमरा से लैस होता है। यह 10 गुना ज्यादा मैग्निफाइड होता है, जिससे प्रोस्टेट और उसके आस-पास के नब्ज और टिश्यूज की 3 डाइमेंशन इमेज दिखाई देती है।  इसके साथ ही माइक्रो-सर्जिकल इंस्ट्रमेंट इसे ज्यादा लचीला और घुमावदार बनाते हैं, जिससे किसी भी तरह की गलती होने का आशंका नहीं के बराबर रहती है।

सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें एक छोटे से चीरे,1 से 2 सेंटीमीटर, के जरिए सर्जरी की जाती है। इससे ऑपरेशन के बाद मरीज की रिकवरी भी तेजी से होती है। इस सर्जरी के लिए खास प्रशिक्षण वाले डॉंक्टरों की जरूरत होती है, जो रोबोटिक प्रोसीजर संबंधी सभी जानकारियों से लैस हों।

कैसे काम करते हैं रोबोटिक आर्म
रोबोटिक आर्म कंप्यूटर द्वारा गाइड किए जाते हैं। ऐसे में नव्र्ज और प्रोस्टेट ग्लैंड को कोई नुकसान होने का खतरा नहीं रहता। प्रक्रिया के बाद शक्तिहीनता का खतरा कम रहता है। यह एक ऐसा रिस्क है, जो परंपरागत प्रोस्टेटेक्टमी सर्जरी में अपेक्षकृत ज्यादा होता है।
(सर गंगाराम हॉस्पिटल के सीनियर यूरोलॉजिस्ट और डायरेक्टर (किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी) डॉं सुधीर चड्ढा से बातचीत पर आधारित)

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