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आवाजों से नफरत है तो सावधान ये है मीजोफोनिया

कुछ लोगों को घर में बरतन गिरने से भी काफी तकलीफ होती है और ट्रैफिक में वे कानों में उंगली डाल लेते हैं। यह एक तरह की बीमारी है, जिसका नाम है मीजोफोनिया। क्या है यह बीमारी और इससे कैसे मुक्ति पा सकते...

आवाजों से नफरत है तो सावधान ये है मीजोफोनिया
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 12 Sep 2014 10:57 AM
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कुछ लोगों को घर में बरतन गिरने से भी काफी तकलीफ होती है और ट्रैफिक में वे कानों में उंगली डाल लेते हैं। यह एक तरह की बीमारी है, जिसका नाम है मीजोफोनिया। क्या है यह बीमारी और इससे कैसे मुक्ति पा सकते हैं, बता रहे हैं प्रसन्न प्रांजल

आम जीवन में हर दिन ढेरों आवाजों से लोगों को दो-चार होना पड़ता है। स्वस्थ इंसान के लिए यह आवाज आम बात होती है, लेकिन कुछ लोगों को उनमें से किसी खास आवाज से काफी अधिक तकलीफ होने लगती है। कुछ लोगों के लिए यह आवाज इतनी असहनीय हो जाती है कि वे या तो हिंसक हो जाते हैं या समाज से बिलकुल अलग-थलग रहने लगते हैं। अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा हो तो वह मीजोफोनिया का शिकार हो सकता है।

क्या है मीजोफोनिया
मीजोफोनिया एक साउंड डिसऑर्डर बीमारी है। इसमें मरीज को किसी खास तरह की आवाज से परेशानी होती है। आम जीवन में सभी को इन आवाजों से दो-चार होना पड़ता है, लेकिन जिन लोगों में मीजोफोनिया की समस्या होती है, उन्हें यह चुभने लगती है। किसी को खाने के समय निकलने वाली आवाज से समस्या होती है तो किसी को पीने के अंदाज से तकलीफ होती है। कुछ खास आवाजों के प्रति ऐसे मरीज काफी संवेदनशील हो जाते हैं, परिणामस्वरूप काफी आक्रामक व्यवहार करने पर उतर आते हैं। ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉं. एस. के. सिंह के अनुसार, सामान्य इंसान के लिए ये आवाजें सामान्य बात होती हैं, लेकिन यही आवाजें इस बीमारी के मरीजों को तकलीफ पहुंचाती हैं। कई बार आवाज उन्हें इतना आक्रामक बना देती है कि वह अपना आपा खो बैठते हैं और हिंसक होकर सामने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचा देते हैं।

किस उम्र में होता है
मीजोफोनिया किसी भी उम्र में हो सकता है। छह साल के बच्चे से लेकर 60 साल के बुजुर्ग तक, किसी को भी इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

क्या होती है प्रतिक्रिया
ट्रिगर अर्थात् जिस आवाज से समस्या होती है, उसके संपर्क में आते ही व्यक्ति काफी अलग तरह का व्यवहार करने लगता है। उसकी सांसें तेज हो जाती हैं, चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वह अपने हाथ-पैर सिकोड़ने लगता है और कई बार शरीर में कंपन शुरू हो जाता है। अपने कानों को उंगलियों या हाथों से बंद कर देता है और इन आवाजों से दूर भागने की कोशिश करने लगता है। ऐसी स्थिति होने पर या तो व्यक्ति उस आवाज से काफी दूर अकेले में चला जाता है और घंटों एकांत में बैठा रहता है या फिर उन आवाजों से परेशान व आक्रामक होकर आवाज करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने लगता है। आवाज खत्म होने के कुछ समय बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है और अगर उसने कुछ हिंसक कार्य किया है तो उसके लिए उसे पछतावा भी होता है। कई बार समस्या बढ़ने पर व्यक्ति कुंठित होकर मनोवैज्ञानिक समस्याओं का भी शिकार हो जाता है।

उपचार है संभव
इस बीमारी के उपचार लिए कोई दवा नहीं है, बल्कि कुछ सावधानियां जरूरी होती हैं। इसके मरीज को ट्रिगर के संपर्क में आने से बचना चाहिए। उसे जिस तरह की आवाज से अधिक परेशानी हो, उससे दूरी बना कर रखें, ताकि वह आक्रामक व्यवहार न करे। किसी भी तरह से ट्रिगर को नजरअंदाज कर अपने दिमाग को कहीं और लगाएं तो बेहतर रहेगा। धीरे-धीरे ऐसा करने से यह समस्या खत्म हो जाती है।

बरतें ये सावधानियां
अगर आपके परिवार में ऐसा कोई व्यक्ति है, जिसे किसी खास तरह की आवाज से चिढ़ हो तो आप उसे उस आवाज के संपर्क में आने से रोकें।
कोशिश करें कि उसके नजदीक उस तरह की आवाज न हो लेकिन अगर आवाज रोकना या मरीज को आवाज के संपर्क में आने से रोकना मुश्किल हो तो उस समय मरीज के दिमाग को दूसरी जगह व्यस्त कर दें, ताकि उसके कानों तक वह आवाज नहीं पहुंचे।
अगर मरीज कुंठित हो जाए या मनोवैज्ञानिक समस्या का शिकार हो जाए तो परिवार वाले उसकी परेशानी को समझते हुए उसकी मदद करें और किसी ईएनटी विशेषज्ञ से मिलने के साथ-साथ मनोचिकित्सक से मिलें।

क्या हैं इसके लक्षण
खाने की टेबल पर बर्तन खिसकने या बर्तन के गिरने पर होने वाली आवाज से समस्या।
किसी के चबाने की आदत या पानी गटकने की आवाज से नफरत।
की-बोर्ड या मोबाइल के की-पैड की आवाज से झल्लाना।
दूसरों के सांस लेने, जम्हाई लेने या खर्राटे लेने पर काफी गुस्सा होना।
फाइल या प्लास्टिक के रगड़ने से होने वाली आवाज पर अजीब व्यवहार करना।
कुत्तों के भौंकने, चिडियों के चहकने और बच्चों के रोने या किसी के हंसने से भी तकलीफ।
जूतों के खटखट या किसी के चलने पर होने वाली आवाज पर झल्लाहट।
बढ़ाई द्वारा काम करने पर उत्पन्न आवाज, बिल्डिंग निर्माण स्थल की आवाज और ट्रैफिक आवाज को सुनकर परेशान हो जाना।
इन आवाजों को सुनकर अजीब तरह की शक्ल बनाना, हाथ-पैर सिकोड़ना और धीरे-धीरे गुस्से में आकर आक्रामक व्यवहार करना।
आवाज से दूर भागने की कोशिश और एकांत में रहना अधिक पसंद करना।

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