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जानलेवा हो सकती है यह चोट

चोटों का सामना तो हम आए दिन करते ही रहते हैं, लेकिन कई बार ये जानलेवा भी हो जाती हैं। इनकी गंभीरता को देखते हुए इस महीने को चोटों से रोकथाम के महीने के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में हम भी क्यों न...

जानलेवा हो सकती है यह चोट
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 12 Dec 2014 12:07 PM
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चोटों का सामना तो हम आए दिन करते ही रहते हैं, लेकिन कई बार ये जानलेवा भी हो जाती हैं। इनकी गंभीरता को देखते हुए इस महीने को चोटों से रोकथाम के महीने के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में हम भी क्यों न चोटों के प्रति सावधान रहें। क्या-क्या होती हैं चोटों की वजहें और इनसे हम खुद को कैसे बचाए रख सकते हैं, बता रही हैं श्रृति गोयल

चोटें तो हमें लगती ही रहती हैं, पर परेशानी की बात तब हो जाती है, जब इनकी वजह से शरीर के अन्य हिस्सों को क्षति पहुंचने लगती है। इसलिए चोट से बचाव के बारे में गंभीरता से विचार कर कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

कितनी तरह की चोटें
यूं तो चोट अनेक कारणों से लग सकती है, लेकिन हमारे देश में आमतौर पर दुर्घटना, खेल और औद्योगिक कार्यो में लापरवही से लगने वाली चोटें प्रमुख हैं। चोट की गंभीरता व इलाज की स्थिति इस बात पर निर्भर करती है कि चोट किस तरह की है और दुर्घटना की तीव्रता कितनी थी। इस तरह की दुर्घटनाओं में यदि सिर पर किसी तरह की चोट या हाथ व अन्य किसी अंग पर घातक प्रहार हुआ हो अथवा कट गया हो तो तुरंत सही उपचार न मिलने से यह काफी नुकसानदेह हो जाता है। इस स्थिति में कई बार हमेशा के लिए अपंगता या फिर मौत भी हो जाती है।

ट्रैफिक दुर्घटना में लगने वाली चोट
यातायात दुर्घटनाओं की चोटों को रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है कि स्कूटर, बाइक आदि पर सवारी करने वाले हेलमेट जरूर पहनें और  कार चलाने वाले हमेशा सीट बेल्ट का इस्तेमाल करें। शराब पीकर गाड़ी न चलाना एक आवश्यक नियम है, जिसका पालन होना ही चाहिए।

खेल-खेल में चोट
खेल के दौरान लगने वाली चोट से बचाव के लिए यह जरूरी है कि सुरक्षा के लिए जितनी भी चीजें आवश्यक होती हैं, उनका इस्तेमाल खेलते हुए अवश्य किया जाए। एल्बो गार्ड, नी गार्ड, हेलमेट आदि के इस्तेमाल से परहेज करना ठीक नहीं है।

औद्योगिक क्षेत्र में लगने वाली चोटें
काम की जगह, कारखानों आदि में सुरक्षा के जितने भी नियम और आवश्यक चीजें हैं, उनका गंभीरता से इस्तेमाल न करना।

अधिक क्षति को रोकने के उपाय
जब भी किसी के साथ दुर्घटना हो या चोट लगे तो घबराने की अपेक्षा यदि कुछ आवश्यक कदम उठाये जाएं तो इससे कुछ  हद तक चोट की वजह से बड़े खतरे या क्षति को रोकने में मदद मिल सकती है। तुरंत चिकित्सा न मिलने पर ये कदम उठाएं-

जब भी किसी को चोट लगे तो उसे सीधा जमीन पर लिटाएं। देखें मुंह साफ है या नहीं अथवा मुंह में कुछ घुसा तो नहीं है। यह भी देख लें कि सांस सही तरीके से चल रही है या नहीं।

जब किसी को चोट लगे तो उसकी गर्दन सीधी रखना बहुत आवश्यक है, क्योंकि सिर टेढ़ा-मेढ़ा होने पर चोट से क्षति अधिक पहुंच सकती है। दूसरी वजह यह भी होती है कि गर्दन शरीर का सबसे अधिक घायल होने वाला क्षेत्र होता है। चोट लगने के बाद ध्यान रखें कि उचित उपचार न मिल पाने तक गर्दन पर दबाव न पड़े और वह सीधी रहे।

दैनिक काम के दौरान लगने वाली चोट के कारण
फिटनेस की कमी।
कमर व पीठ का पहले की तरह मजबूत न होना।
शारीरिक गतिविधियों का कम होना।
बैठने का कार्य अधिक होना।

इस आलेख के विशेषज्ञ
डॉं. अनंत तिवारी, सीनियर कंसल्टेंट (ऑथरेपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट), सर गंगाराम हॉस्पिटल। डॉ. राजेश आचार्य, सीनियर कंसल्टेंट (वाइस चेयरमैन), डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोसर्जरी, सर गंगाराम हॉस्पिटल। डॉं. अमित कुमार, सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट, सर गंगाराम हॉस्पिटल।

जरूर बरतें सावधानी
यदि किसी को सिर में चोट लगे और खून निकल रहा हो तो खून की जगह पर तुरंत कोई कपड़ा बांध दें। कुछ न हो तो रूमाल या चुन्नी ही बांध दें, ताकि ब्लीडिंग रुक सके। अधिक ब्लीडिंग से रक्त चाप कम हो सकता है, जिससे मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है।

बुजुर्ग ऐसे बच सकते हैं
शरीर में मौजूद कैल्शियम के स्तर पर नजर रख कर।
मोटापे को नियंत्रित कर।
जीवनशैली में बदलाव कर और उसे अच्छे स्वास्थ्य के अनुसार बना कर।
सुबह-सुबह व्यायाम करना, तेज चलना एवं वर्कआउट करना।

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