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हीरोइनें बहुत फिल्मी होती हैं: शाहिद

फिल्म ‘हैदर’ के साथ शाहिद कपूर फिल्म निर्माण में भी आ गये हैं। अभिनेता के रूप में लगातार फ्लॉप फिल्मों ने उनके स्टारडम और मनोबल को जरा भी प्रभावित नहीं किया है। हालांकि पिछले साल आयी...

हीरोइनें बहुत फिल्मी होती हैं: शाहिद
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 14 Jun 2014 02:43 PM
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फिल्म ‘हैदर’ के साथ शाहिद कपूर फिल्म निर्माण में भी आ गये हैं। अभिनेता के रूप में लगातार फ्लॉप फिल्मों ने उनके स्टारडम और मनोबल को जरा भी प्रभावित नहीं किया है। हालांकि पिछले साल आयी ‘आर.. राजकुमार’ ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन किया था।

उनके निंदक मानते हैं कि इसकी वजह उनकी चॉकलेटी इमेज है। शाहिद की अभिनय यात्रा का जायजा लें तो वह अपनी एक्टिंग से ज्यादा अपनी इसी इमेज की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। एक ताजा हुई मुलाकात के दौरान वह कई विपरीत सवालों का खुल कर जवाब देते हैं-
  
अचानक ‘हैदर’ में काम करने की वजह?
पहले विशाल जी के साथ ‘कमीने’ के सीक्वल में काम करने की बात चल रही थी। फिर उन्होंने ‘हैदर’ के बारे में बताया। यह भी शेक्सपीयर के एक नाटक पर आधारित है। अभी तो सिर्फ इतना कह सकता हूं कि इसमें मेरी परफॉर्मेस बिल्कुल अलग होगी। यह भी एक वजह थी कि इसके जरिये मैंने फिल्म प्रोडक्शन में भी उतरना पसंद किया।

फिर तो इस फिल्म में अपनी को-स्टार श्रद्धा कपूर के साथ आपका अफेयर भी चल रहा होगा?
मेरा अपनी हीरोइन के साथ जो भी अफेयर होता है, वह सिर्फ ऑन स्क्रीन ही होता है।

पर आप तो अपनी हर को-स्टार के साथ अफेयर करने लग जाते हैं?
(थोड़ा हंसते हुए) मैं आज तक समझ नहीं पाया कि इस तरह के गॉसिप्स कौन फैलाता है। सच कह रहा हूं, इस बार श्रद्धा के साथ मेरा कोई गॉसिप सुनने को नहीं मिलेगा।

यानी प्रियंका-सोनाक्षी के साथ भी अफेयर गॉसिप ही था?
हां, प्रियंका और मैं सिर्फ अच्छे दोस्त थे। और अगर सब कुछ ठीक रहा तो हम जल्द फिर साथ काम करेंगे। सोनू (सोनाक्षी सिन्हा का निकनेम) भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है। पर आप तो कोई दूसरे सवाल पूछ ही नहीं रहे हैं। यानी आप इस इंटरव्यू का हैडिंग बनाएंगे- ‘शाहिद कपूर एंड हिज लव लाइफ।’

कहा जाता है कि आप अभी तक अपने पुराने दोस्तों और संघर्ष को नहीं भूले हैं?
हां, ये सच है। उन दिनों मेरे पास एक पुरानी सेकेंड हैंड मारुति 800 हुआ करती थी। दोस्तों के साथ मैं इसी में ऑडिशन देने जाता था। हर समय गाड़ी में पेट्रोल भरवाने लायक पैसे भी नहीं होते थे, इसलिए सारे दोस्त शेयर करके पेट्रोल भरवाते थे। उन दिनों जुहू चौपाटी पर जाते ही मैं पांच मिनट के लिए अपनी गाड़ी जरूर रोक देता था। यहां अकसर फिल्मों के बडे़-बडे़ पोस्टर लगे होते थे। तब मैं उन पोस्टरों को देख कर अकसर दोस्तों से कहता था कि देखना एक दिन यहां मेरी फिल्म का पोस्टर भी लगेगा।

क्या ये सच है कि आपके इस संघर्ष को खत्म होने में काफी वक्त लगा?
जी हां, स्ट्रगल क्या होती है, इसे मैं बहुत अच्छी तरह से बयां कर सकता हूं। रोज ऑडिशन देने जाता था और निराश चेहरा लेकर घर लौटता था। तब कई बार ऐसा लगता था कि एक्टर बनने का मेरा सपना इस जन्म में तो कभी पूरा नहीं होगा।

उन दिनों तो आप कुछ और भी करने का मन बना रहे थे?
हां, पर अचानक एक दिन कुछ अच्छा हुआ। मेरा एक दोस्त एक सॉफ्ट ड्रिंक के एड के लिए ऑडिशन देने जा रहा था। उस दिन खूब बारिश हो रही थी। ऑटो नहीं मिल रहा था। उसने मुझसे कहा कि मुझे अपनी गाड़ी से पहुंचा दे। उसे छोड़ने गया तो एक निर्देशक की नजर मुझ पर पड़ी, जिसने मुझे देखते ही हाथ में गिलास थमा कर एक डायलॉग बोलने को कहा। किसी तरह मैंने वह डायलॉग बोल दिया। दूसरे दिन पता चला कि मेरे दोस्त को नहीं, उस एड के लिए मुझे सेलेक्ट किया गया है। अपने इस पहले एड में मैं शाहरुख खान के साथ था। इसके बाद से मेरा कोई दोस्त मुझे ऑडिशन देने के लिए साथ नहीं ले जाता था।

आप 33 के हो चुके हैं। शादी के बारे में क्या सोचा है?
मेरे मम्मी-पापा भी रोज एक बार मुझसे यही बात जरूर पूछते हैं कि मैं शादी कब कर रहा हूं। शादी करूंगा, पर किसी हीरोइन के साथ नहीं। हीरोइनें बहुत फिल्मी होती हैं।  

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