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तनाव में भी खूब खाते हैं लोग

अक्सर भूख लगने पर लोग अधिक भोजन कर लेते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोग कई बार तनाव की स्थिति में भी अधिक भोजन कर लेते हैं। हालांकि ऐसा करने वालों की संख्या बहुत कम है। खानपान...

तनाव में भी खूब खाते हैं लोग
एजेंसीMon, 14 Jul 2014 06:58 PM
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अक्सर भूख लगने पर लोग अधिक भोजन कर लेते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोग कई बार तनाव की स्थिति में भी अधिक भोजन कर लेते हैं। हालांकि ऐसा करने वालों की संख्या बहुत कम है।

खानपान विशेषज्ञों के मुताबिक, अत्यधिक खाना एक बीमारी है और यह किसी भी परिस्थति में हो सकता है। अक्सर तनाव की स्थिति में, लंबे समय तक भूखा रहने के कारण और खानपान के कई विकल्प उपलब्ध रहने की स्थिति में लोग अत्यधिक भोजन कर लेते हैं।

खानपान की आदतों पर नियंत्रण रखने की सलाह देते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक खाना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।

अत्यधिक खानपान के कारणों का जिक्र करते हुए डायटिशियन अक्षिता अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, ''आम तौर पर जब लोग भावुक या तनाव में होते हैं तो वे अधिक भोजन करते हैं। कई बार दो भोजन के बीच लंबा अंतराल हो जाने के कारण भी लोग एक बार में अधिक खा लेते हैं।''

अग्रवाल के मुताबिक, सामान्य से अधिक तेजी से खाना अत्यधिक भोजन करने का एक लक्षण है। उन्होंने कहा कि अधिक भोजन करने के कारण शरीर में वसा का प्रतिशत बढ़ सकता है और अपच तथा पेट की समस्या हो सकती है। महिलाओं में हार्मोन संबंधी असंतुलन भी पैदा हो सकता है, जिससे मासिक धर्म में अनियमितता आ सकती है और बाल गिरना शुरू हो सकता है।

शालीमार बाग में मैक्स अस्पताल की मुख्य डायटिशियन दिव्या चौधरी ने भी कहा, ''तनाव के दिनों में कुछ लोग अधिक खाना खाते हैं तो कुछ बहुत कम भोजन करते हैं। इसकी वजह से लोगों में बाल गिरने, कैल्शियम की कमी, प्रतिरोधक क्षमता में कमी, चेहरे पर चमक में कमी तथा एनीमिया की शिकायत हो जाती है।''

उन्होंने कहा कि अत्यधिक खाने की वजह से वजन बढ़ता है और इससे कई चिकित्सकीय जटिलताएं हो सकती हैं। हालांकि मानसरोवर गार्डन में डॉ. रचनाज डायट में आहार विशेषज्ञ पवन सेठी का कहना है कि तनाव के दिनों में अधिक भोजन करने वालों की संख्या का प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा, ''आजकल लोग कामकाज के सिलसिले में जल्दी घर से निकल जाते हैं और इसलिए नाश्ता नहीं कर पाते। ऐसे में जब भी उन्हें खाने का वक्त मिलता है, वे अधिक भोजन कर लेते हैं।''

 

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