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मच्छरों से निपटने में कारगर हैं घर के कुछ पौधे

घर के आसपास लगे कुछ पौधे ही मच्छर से बचाव के लिए सुरक्षा कवच का काम कर सकते हैं। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के हाल ही प्रकाशित शोध पत्र में इस बात खुलासा किया है। जिसमें पाया गया है कि मच्छरों से...

मच्छरों से निपटने में कारगर हैं घर के कुछ पौधे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 14 Sep 2014 09:30 PM
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घर के आसपास लगे कुछ पौधे ही मच्छर से बचाव के लिए सुरक्षा कवच का काम कर सकते हैं। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के हाल ही प्रकाशित शोध पत्र में इस बात खुलासा किया है। जिसमें पाया गया है कि मच्छरों से बचने के लिए किए गए किसी भी रासायनिक छिड़काव की जगह घर के किचन गार्डन में लगे कुछ जाने माने पौधे ही मच्छरों से मुकाबला करने के लिए काफी है।

सदाबहार, सांची, गार्डेनिया जैसे पौधों को हम केवल उनके खूबसूरत फूलों की वजह से जानते हैं। आयुर्वेद में कभी इनका प्रयोग डायबिटिज या फिर ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। लेकिन पहली बार इनकों मच्छरों के लार्वा खत्म करने के लिए भी बेहतर माना गया है।

शोधकर्ता अनुपम घोष ने बताया कि देश में हर साल मच्छर जनित बीमारियों के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए इससे बचाव के लिए नये विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए। अब तक किए गए अध्ययन में यह भी देखा गया है कि लंबे समय तक स्प्रे या फिर मच्छररोधी छिड़काव सेहत के लिए ठीक नहीं, जबकि वेक्टर बोर्न बीमारी या मच्छर जनित बीमारियों के लिए सरकार अब तक कोई कारगर वैक्सीन भी नहीं बना पाई है। यही कारण है कि शुरू से ही मच्छरों से बचाव पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इसी क्रम में बायोलॉजिकल स्प्रे में कुछ पौधों की पत्तियों के मिश्रण को मच्छरों को दूर भगाया जा सकता है। शोध के आधार पर अब पौधों से तैयार स्प्रे को नियमित मच्छर रोधी कार्यक्रम में शामिल करने की पैरवी की जा रही है। अहम यह है कि इन पौधों को आसानी से घर पर लगाया जा सकता है।

कैसे हुआ अध्ययन
इस बावत भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और जुलॉजी विभाग क्रिश्चयन कॉलेज बाकुरा की टीम द्वारा अध्ययन किया गया। अध्ययन में क्यूलेक्स प्रजाति के 100 से अधिक मच्छरों के लार्वा को स्वच्छ पानी में रखा गया। शोध टीम में शामिल डॉ. अनुपम घोष ने बताया कि लार्वा हो बढ़ने के लिए कुछ अप्राकृतिक खाद्य सामग्री भी पानी में डाली गई। जिसमें यीस्ट पॉउडर और कुत्तों को दिए जाने वाले बिस्कुट शामिल थे। लार्वा को 31 से 33 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर एक हफ्ते तक रखा गया।

इससे पहले यीस्ट पॉउडर में चिकित्सीय पौधों की पत्ती से तैयार मिश्रण को मिलाया गया। पानी, लार्वा और यीस्ट के साथ निर्धारित तापमान में एक हफ्ते तक हुई पायथोकेमिकल प्रक्रिया में 100 में केवल 20 लार्वा ही प्यूपा बन पाए। शोधकर्ताओं के अनुसार मच्छर मारने के रासायनिक स्प्रे या छिड़काव का नियमित प्रयोग एक समय बाद सांस या दमे का शिकार बना सकता है। लैबोरेटरी अध्ययन के बाद पौधे के सत (एक्सट्रेट) को मच्छर रोधी अभियान में शामिल करने की पैरवी की जा रही है।

कौन से पौधे कारगर

सांची- पौधों की पत्ती को आयुर्वेद में आंखों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सांची पेड़ को प्राचीन काल से ही वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए कारगर कहा गया है। मच्छरों के मारने के साथ ही सांची पेड़ का प्रयोग स्नेक बाइट के लिए भी इस्तेमाल होता है।

माइनी रूट- घरों में झाड़ियों की तरह उगने वाले इस पौधे को सदाबहार भी कहा जाता है, जिसके कई बार गुलाबी और बैंगनी रंग के फूल निकलते हैं। 25 सेमी के इस पौधे की को आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल डायबिटिज और एंटी इंफ्लेमेटरी या भी नसों के संकुचन को दूर करने के लिए किया जाता है।

चीकान या फिर जीबान- बंगाली में जीबान शब्द का अर्थ जीवन से होता है, इस लिहाज से चीकन जीबान को जीवन देने वाली पौधे के रूप में भी जाना जाता है। पौधे की पत्तियों का प्रयोग ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है।

गारडेनिया- साधारण घरों में खिलने वाली सफेद फूल के इस पौधे की खुशबू को आठ फीट की दूरी से पहचाना जा सकता है। 15 मीटर की ऊं चाई तक बढ़ने वाली इस पौधे का इस्तेमाल कई चाइनीज दवाएं बनाने के लिए किया जाता है। 

स्प्रे से दमा का खतरा
डीयू पटेल चेस्ट इंस्टीटय़ूट के निदेशक डॉ. राजकुमार के अनुसार नियमित स्प्रे लोगों को सांस संबंधी परेशानियां बढ़ा सकता है। जबकि हर साल जून से सिंतबर महीने के बाद मच्छरों की ब्रीडिंग रोकने के लिए स्प्रे का इस्तेमाल किया जाता है। इस बावत सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन भी जरूरत पड़ने पर ही विशेष परिस्थितियों में फागिंग करने की बात कहती है। बुजुर्गों और बच्चों की सेहत पर रासायनिक स्प्रे और क्वालक्ष्ल का नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए मच्छरों से बचाव के लिए सुरक्षित विकल्प जरूरी हैं।

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