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गर्मी ने मारा, हद पार पारा!

आग उगलती गर्मी ने ना केवल लोगों का जीना मुहाल कर दिया बल्कि कई तरह की बीमारियां का प्रकोप बढ़ा दिया है। रिकॉर्डतोड़ गर्मी के कारण डायरिया, पीलिया, जल जनित बीमारियों, एलर्जी, सन बर्न, पेट दर्द,...

गर्मी ने मारा, हद पार पारा!
एजेंसीThu, 19 May 2011 03:30 PM
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आग उगलती गर्मी ने ना केवल लोगों का जीना मुहाल कर दिया बल्कि कई तरह की बीमारियां का प्रकोप बढ़ा दिया है। रिकॉर्डतोड़ गर्मी के कारण डायरिया, पीलिया, जल जनित बीमारियों, एलर्जी, सन बर्न, पेट दर्द, डिहाइड्रेशन और दिल के दौरे जैसी समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या पिछले कुछ दिनों के दौरान कई गुना बढ़ गई है।
 
शरीर को झुलसाती गर्मी आपके दिल को भी घायल कर सकती है। चरम पर पहुंची गर्मी हीट स्ट्रोक का कारण बन सकती ही है तो वही तेज धूप से हीट एग्जर्शन हो सकता है। हृदय रोग विशेषज्ञ तथा मेट्रो गुप ऑफ हॉस्पिट्ल्स तथा मेट्रो हास्पिट्ल्स एवं हार्ट इन्स्टीच्यूट के निदेशक डॉ. पुरूषोत्तम लाल ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में उनके ग्रुप में शामिल सभी अस्पतालों में दिल के दौरे के मरीजों के आने का सिलसिला तुलनात्मक रूप से बढ़ गया है और इसका कारण गर्मी का तेजी से बढ़ता है। तपती गर्मी से दिल के दौरे अधिक पड़ने का मुख्य कारण डिहाइड्रेशन है जिसे लोग आम तौर पर नजरअंदाज करते हैं लेकिन यह जानलेवा बन सकता है।
 
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार बताते हैं कि डिहाइड्रेशन और लू अथवा हीट स्ट्रोक गर्मी के दिनों में होने वाली दो ऐसी गंभीर समस्याएं है जिनका तत्काल समुचित इलाज नहीं होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। बच्चों तथा 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को लू लगने तथा निर्जलीकरण का खतरा अधिक होता है।

सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अतुल गोगिया ने बताया कि उनके अस्पताल में भी लू लगने, गैस्ट्रोइंटेराइटिस, दस्त, हेपेटाईटिस, टाईफाइड और मलेरिया के मरीज ज्यादा संख्या में भर्ती होने लगे हैं और आने वाले दिनों में इनकी संख्या और बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने ही कुछ दिनों के भीतर गर्मी की समस्याओं से ग्रस्त करीब 20 मरीजों को देखा है।
 
डॉ. पुरूषोत्तम लाल बताते है कि गर्मी के कारण हीट एग्जर्शन अधिक होता है। जिन्हें पहले से दिल की बीमारी हो उनके लिए खतरा अधिक है। शरीर में पानी की कमी होने पर इसकी संभावना ज्यादा होती है। इसलिए पानी अधिक पीना चाहिए। यदि उसके बाद भी कोई समस्या आए तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
 
डॉ.लाल बताते हैं कि अधिक गर्मी के दिनों में डिहाइड्रेशन से ग्रस्त व्यक्तियों को दिल का दौरा पड़ने की आंशका बहुत अधिक होती है। बहुत अधिक समय तक तेज धूप या गर्मी में रहने पर रक्तचाप में गिरावट आ सकती है। हाल के दिनों में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण गर्मी के दिनों में दिल के मरीजों के लिए खतरे और बढ़ गए हैं।
 
भीषण गर्मी के कारण आंखों की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, करीब 60 फीसदी मरीज इन दिनों आंखों में सूखापन की शिकायत लेकर आ रहे हैं। नेत्र चिकित्सक डॉ. संजय चौधरी के अनुसार तेज धूप आंखों में बुरा प्रभाव डालती हैं, इससे आंखों की रोशनी तक कम हो सकती है। इस कारण दिन में धूप का चश्मा लगाए बिना निकलने से बचना चाहिए। तेज धूप में निकलते समय आंखों में कई तरह की परेशानी आने लगती है।

चिकित्सकों का सुझाव है कि गर्मी के दिनों में अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए, बाजार में खुले बिकने वाले खाद्य-पदार्थ से परहेज करना चाहिए, बासी भोजन नहीं खाना चाहिए, घर से बाहर निकलते समय छाते का प्रयोग करना चाहिए। गर्मी के कारण बच्चों में उल्टी,दस्त की समस्या बढ़ रही है। गर्मी के मौसम में अधिकांश बीमारियां दूषित पानी के सेवन से होती है। इसलिए या तो छानकर पानी पीएं या पानी उबालकर। आइसक्रीम बनाने में भी दूषित पानी का इस्तेमाल होने लगा है इसलिए बच्चों को ज्यादा आइसक्रीम खाने नहीं देना चाहिए।
 
डॉ.लाल के अनुसार गर्मी के दिनों में दिल के मरीजों को हर हाल में डिहाइड्रेशन से बचना चाहिए अन्यथा दिल का दौरा पड़ सकता है। डिहाइड्रेशन में करीब आठ घंटे तक पेशाब नहीं लगने, मुंह सूखने, कमजोरी लगने जैसे लक्ष्ण प्रकट होते है। डिहाइड्रेशन के कारण रक्त गाढ़ा हो जाता है, जिससे अनियंत्रित रक्तचाप तथा मधुमेह रोगियों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है।
 
डॉ. लाल के अनुसार डिहाइड्रेशन को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। कई बार डिहाइड्रेशन बहुत मामूली होता है। जिससे लोग नजरअंदाज करते हैं लेकिन बाद मे यह घातक बन सकता है। उनके अनुसार मामूली डिहाइड्रेशन होने पर अधिक मात्रा में लस्सी, शर्बत और दाल का पानी जैसे विभिन्न तरह तथा चीनी, नमक अथवा ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट (ओआरएस) के घोल का सेवन करना चाहिए। तीव्र निर्जलीकरण होने पर मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने तथा इंजेक्शन के जरिए तरह चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है।

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