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बाहरी खूबसूरती की बजाए सराहें चारित्रिक सुंदरता

एक कहानी जंगल में तरह-तरह के पेड़-पौधे थे। बसंत ऋतु में बड़े सुहाने दिन आ गए थे। एक गुलाब के पौधे में बड़ा ही सुंदर फूल खिला। चारों ओर पेड़-पौधे उसे देख खुश हो रहे थे। देवदार के पेड़ ने गुलाब के फूल...

बाहरी खूबसूरती की बजाए सराहें चारित्रिक सुंदरता
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 12 Jun 2014 07:12 PM
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एक कहानी

जंगल में तरह-तरह के पेड़-पौधे थे। बसंत ऋतु में बड़े सुहाने दिन आ गए थे। एक गुलाब के पौधे में बड़ा ही सुंदर फूल खिला। चारों ओर पेड़-पौधे उसे देख खुश हो रहे थे। देवदार के पेड़ ने गुलाब के फूल की तरफ देखकर कहा कि काश वो भी इतना सुंदर होता। पास के एक और पेड़ ने उससे कहा कि इसमें उदास नहीं होना चाहिए। सभी को सब कुछ नहीं मिलता और ऊपरी सुंदरता में तो किसी का कोई योगदान भी नहीं होता। गुलाब अपनी सुंदरता पर इतरा रहा था। उसमें घमंड से अपना सिर उठाया और दंभ से बोला कि उससे ज्यादा सुंदर कोई नहीं है। तभी सूरजमुखी अपना चमकता चेहरा उठाकर बोला कि जंगल में गुलाब की तरह कई फूल और पेड़ सुंदर है। यह सुन गुलाब तुनक कर बोला कि सबसे ज्यादा सुंदर वही है और सभी उसे देखते हैं और प्रशंसा करते हैं। उसने तुरंत कैक्टस के पौधे की तरफ नजर घुमाकर कहा कि ये कितना बदसूरत पौधा है जिसे कोई छूना तो क्या देखना भी पसंद ना करे। कैक्टस को यह सुनकर बहुत बुरा लगा। उसी समय बरगद के पेड़ ने गुलाब से कहा कि उसे सच्ची सुंदरता का ज्ञान नहीं है। और उसके भी तो कांटे हैं। घमंडी गुलाब अपने कांटो की तुलना कैक्टस के कांटों से किए जाने पर आग-बबूला हो गया। वह बोला कि बात तो उपरी तौर पर सुंदरता की है और वह सबसे ज्यादा आकर्षक है। सभी पेड़ उसके इस रवैए से नाराज थे। बरगद के पुराने पेड़ ने सभी से कहा कि ईश्वर ने जीवन का कोई भी रूप बिना मकसद के नहीं बनाया। सभी का अपना खास महत्व है। गुलाब ने अपनी जडें कैक्टस से दूर करना चाही पर असफल रहा। वह अकसर उसकी बेइज्जती करता और उसके पड़ोसी होने पर पछताता। बसंत ऋतु बीत गई और मौसम गरमाने लगा। बारिश ना होने की वजह से चारों तरफ पानी की कमी हो गई। सभी पेड़ और प्राणी मुश्किल में पड़ गए। गुलाब भी मुरझाने लगा। एक दिन उसने देखा कि चिड़ियाएं अपनी चोंच कैक्टस के पौधे के पास लाकर तरोताजा महसूस करती हैं। उसे समझ नहीं आ रहा था। उसने देवदार से पूछा क्या कैक्टस को तकलीफ नहीं होती जब पक्षी उसमें छेद कर रहे हैं। देवदार बोला कि कैक्टस के पास पानी है और वह दूसरों की मदद करने से इंकार नहीं करता। वह बोला कि चिड़ियाएं कैक्टस का पानी लाकर उसे भी दे सकती हैं। गुलाब का पौधा अपने व्यवहार और घमंडी बर्ताव के कारण शर्मिदा था। कैक्टस उसकी मदद के लिए सहर्ष तैयार था। गुलाब को यह एहसास हो गया था कि जीवन में सच्ची खुशी भीतर की सुंदरता से है और उसका महत्व बाह्य सुंदरता से कहीं अधिक है।

बच्चों की बात करें तो वे कई बार बाह्य सुंदरता को महत्व देते हुए उन चीजों, लोगों या रिश्तों की तरफ आकर्षित होते हैं जिनका असर अस्थायी होता है और वे चीजें उनके योग्य नहीं होती। बच्चों की छोड़ें, बड़े लोग भी ऊपरी दिखावट के कारण अक्सर आकर्षित होते हैं और बच्चों की प्राथमिकता भी उन्हीं के हिसाब से तय हो जाती है। गुणों और अवगुणों दोनों का ही मापदंड बाह्य सुंदरता नहीं हो सकती क्योंकि रूप, रंग और शारीरिक बनावट व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण हिस्सा तो हो सकते हैं परंतु उसके आधार पर व्यक्ति के चरित्र और मूल्यों का आंकलन नहीं किया जा सकता। हमारे बच्चाे चीजों को उसी नजर से देखते हैं जैसे हम उन्हें दिखाते हैं। बच्चों का आत्मविश्वास डगमगाने लगता है अगर वे किसी भी बाह्य गुणों की तुलना के शिकार होते हैं। जब उन्हें छोटी उम्र से ही उनके रंग-रूप और नाक-नक्श के मानक पर आंका जाता है तो उन्हें वही सच लगता है। हमारी कोशिश हो कि हम हमेशा उनके सामने चारित्रित गुणों के आधार पर किसी व्यक्ति की प्रशंसा करें। उन्हें यह महसूस कराएं कि जिन चीजों पर हमारा स्वयं का कोई नियंत्रण नहीं है उन चीजों से हमें फर्क नहीं पड़ना चाहिए। इसके विपरीत हर वह चीज जो हमारे नियंत्रण में है उसे सुधारने की हर संभंव कोशिश करनी चाहिए। बच्चों को कई भौतिक वस्तुएं, खान-पान, कपड़ें, किताबें इत्यादि भी ऊपरी दिखावट और लुभावने विज्ञापन की वजह से आकर्षित करती हैं उन्हें उन चीजों की गुणवत्ता से कम ही फर्क पड़ता है। हम छोटे-छोटे उदाहरणों से हर रोज उनमें यह समझ विकसित करें कि ऊंची सोच और विचार कद में ऊंचे ना होकर गहरे होते हैं।

अलग नजरिया
- अ’- चीजें जो हमारे नियंत्रण में नहीं हैं (इन्हें स्वीकार कर लें)-शारीरिक बनावट, कद, रंग-रूप, नाक-नक्श, अनुवांशिक (जेनेटिक) लक्षण , परिवार (परिजन) 
- ब’-चीजें जो हमारे नियंत्रण में हैं (इन्हें सुधारें)- व्यवहार, चरित्र, विचार, ज्ञान, अर्जित (एक्वायर्ड) लक्षण, कौशल, दोस्त

समस्या-समाधान
- समस्या : हर किसी को कभी ना कभी यह विचार आता है कि वह संपूर्ण नहीं है और उसमें कोई कमी है। इस वजह से हीनभावना और आत्मविश्वास की कमी होती है।
समाधान: कोई भी कमी एक तुलनात्मक मापदंड है जिसके मानक इंसान द्वारा बनाए गए हैं। हर किसी को स्वयं का अनोखापन स्वीकार करना चाहिए जो अतुलनीय है।
- बच्चों को यह बोध करवाना अत्यंत आवश्यक है कि वे सभी चीजें जिन पर हमारा नियंत्रण नहीं है, उनके अच्छे होने का घमंड भी नहीं करना है और बुरे होने पर दु:खी भी नहीं होना है। उन्हें यह कोशिश करनी है कि किस तरह वे हर वह चीज जिस पर उनका नियंत्रण है उसे और बेहतर कर सकते हैं ताकि बाकी कमतर चीजों का इतना महत्व ही ना रह जाए। उन्हें बहुत सहज कर दें कि कॉलम ‘अ’ में कही चीजें उन्हें स्वीकार करनी हैं और कॉलम ‘ब’ में व्यक्त गुण उन्हें सुधारने चाहिए।
ऐसे माता-पिता जिनके मन में अपने बच्चे से संबंधित कोई सवाल या विचार हैं तो यहां बताएं। ई-मेल:  bachche 2aaap@gmail.com

 

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