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स्कॉटलैंड और भारत का पुराना रिश्ता

स्कॉटलैंड के लोगों ने अपने भविष्य को इंग्लैंड के साथ जोड़े रखना ही बेहतर समझा है, उससे भारत में भी बहुत से लोग सहमत हो सकते हैं। भारत की अवधारणा यह रही है कि नस्ल, भाषा, धर्म आदि के नाम पर आत्मनिर्णय...

स्कॉटलैंड और भारत  का पुराना रिश्ता
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 19 Sep 2014 10:01 PM
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स्कॉटलैंड के लोगों ने अपने भविष्य को इंग्लैंड के साथ जोड़े रखना ही बेहतर समझा है, उससे भारत में भी बहुत से लोग सहमत हो सकते हैं। भारत की अवधारणा यह रही है कि नस्ल, भाषा, धर्म आदि के नाम पर आत्मनिर्णय का अधिकार संघीय राष्ट्र को कमजोर करता है। लेकिन अंग्रेजी राज के दौरान स्कॉटलैंड के लोग भारत के बारे में अलग ढंग से सोचते थे। शोषित होने की वजह से वे भारत से ज्यादा निकटता महसूस करते थे। यहां तक कि वे स्कॉटलैंडवासी भी, जो शासन-व्यवस्था चलाने के लिए भारत भेजे गए थे। इन लोगों ने भारत के विकास में काफी योगदान दिया।

बंबई (मुंबई) और मद्रास (चेन्नई) प्रांतों में शिक्षा की शुरुआत उन गवर्नरों ने की, जो स्कॉट थे। मुंबई तब मछुआरों का शहर था, जब माउंट स्टुअर्ट एलफिंस्टन ने टाउन हॉल बनवाया व विश्वविद्यालय की नींव रखी। उनके नाम का कॉलेज आज भी लब्ध-प्रतिष्ठित है। उनके उत्तराधिकारी जॉन मेल्काम भी स्कॉट थे, जिन्होंने गवर्नर के पद से बंबई प्रांत में भारतीय कर्मियों की प्रशिक्षण द्वारा ऊंचे पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चलाई। उनका स्वामीनारायण महंत से नजदीकी संबंध था। मद्रास प्रांत के गवर्नर थॉमस मुनरो का उदाहरण तो आज भी दक्षिण भारत में सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने प्रतिष्ठित प्रेसिडेंसी कॉलेज की स्थापना कर स्नातकोत्तर शिक्षा की बुनियाद रखी। उन्होंने काश्तकारों को शोषण से बचाने के लिए रैयतवाड़ी प्रणाली शुरू की। चेन्नई में उनकी घुड़सवार मूर्ति लगी है, जिसे किसी ने कभी तोड़ने की कोशिश नहीं की, क्योंकि उन्हें हमेशा भारत का हितैषी माना गया। तेलुगु और तमिलभाषी ढाई सदियों बाद भी मुनरो को मनरालप्पा के नाम से याद करते हैं।

इसी तरह कॉलिन कैंपबेल देहरादून आए थे और उन्होंने भारत का पहला भौगोलिक मानचित्र बनाया। एलेक्जेंडर किड ने कलकत्ता का विश्वविख्यात बोटेनिकल गार्डेन बनाया। पर सर्वाधिक भारत-भक्त रहे कांग्रेस के चौथे अध्यक्ष पहले गैर-हिन्दुस्तानी अध्यक्ष जॉर्ज यूल। वह कलकत्ता के शेरिफ भी रहे। इन  स्कॉट राजनयिकों की चलती, तो भारत को 1924 में ही स्वायत्तता मिल जाती। स्कॉट नेता रैम्से मैकडोनल्ड तब ब्रिटेन में साझा सरकार के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया, ताकि भारत का मसला हल हो। लेकिन मुस्लिम लीग के अड़ियलपन से यह संभव न हो पाया।

फिल्मों के माध्यम से भी स्कॉटलैंड ने भारत से रिश्ता बनाया। करीब 80 साल पहले मशहूर फिल्में हंटरवाली और मिस तूफान मेल  की हीरोइन फियरलेस नाडिया स्कॉटलैड से ही आई थीं। उन्होंने पारसी निर्माता जे बी वाडिया से विवाह किया और मशहूर हिंदीभाषी अदाकारा बनी। आज भी वयोवृद्ध भारतीय नाडिया के कसे लिबास, हिरनी जैसी आंखें, स्कॉटिश उच्चारण हिंदी और स्टंटपोज को गहरी सांस लेकर याद करते हैं।  (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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