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पुरानी किताबों से नई कक्षा में शुरू हुई पढ़ाई

प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को अब पुरानी किताब के साथ ही पढ़ाई करने की मजबूरी बन आई है। पहले बच्चों को हर साल मुफ्त में किताब मिल रही थी, पर अब इन बच्चों को सीनियर कक्षा के छात्र की पढ़ी किताब से ही...

पुरानी किताबों से नई कक्षा में शुरू हुई पढ़ाई
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 19 Apr 2017 11:48 PM
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प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को अब पुरानी किताब के साथ ही पढ़ाई करने की मजबूरी बन आई है। पहले बच्चों को हर साल मुफ्त में किताब मिल रही थी, पर अब इन बच्चों को सीनियर कक्षा के छात्र की पढ़ी किताब से ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। नए सत्र की पढ़ाई पहली अप्रैल से शुरू है।

प्रगति पत्रक 20 अप्रैल को बच्चों को मिलेगी। वापस की गई पुरानी किताब को बच्चों के बीच बांट दी गई। हालांकि पुरानी किताब से वंचित छात्रों को विभाग नई किताब देगी। जिले में 1062 प्रारंभिक स्कूल हैं। जहां गत सत्र में साढ़े तीन लाख से अधिक बच्चे नामांकित थे। औसतन 50 प्रतिशत ही किताब वापस स्कूलों में जमा हुई। आधे बच्चों को अब भी किताब का इंतजार रह ही गया।

इसे पुरानी किताब बच्चों को देकर किताब आने के इंतजार को खत्म करने की व्यवस्था कहें या फिर हर साल किताब पर हो रही खर्च को कम करने की बात हो। जो भी हो पर सवाल तो वहीं आकर अटक गया कि शतप्रशित बच्चों को पुरानी किताब भी सत्र शुरू होते ही हाथ में नहीं मिल पाई। जाहिर है कि बच्चों से वापस ली गई किताब नवप्रोन्नत छात्रों के लिए काफी नहीं है। बच्चों से वापस जमा ली गई किताब की स्थित पढ़ने लायक बची भी है या नहीं यह देखने वाली बात होगी।

एक साल पढ़ाई के बाद किताब कितनी सही हालत में होगी अंदाजा लगाया जा सकता है। वो भी तब जब बच्चों को पता हो कि किताब वापस नहीं करना है। और न ही बाद में इसे आधे दाम भी बेचने की मन में लालसा हो। बापू मिडिल स्कूल बलुवाही के एचएम चन्द्रमणि मिश्र की मानें तो बीते शैक्षणिक सत्र में करीब साढ़े छह सौ बच्चों के बीच नि:शुल्क किताब दिया गया। पर परीक्षा के दरमियान करीब तीन सौ बच्चों द्वारा ही किताब लौटाया गया। ऐसे में सभी छात्रों की जरूरत पूरी नहीं हुई। मिडिल स्कूल सोनमनकी के एचएम कन्हैया लाल पंडित ने बताया कि वापस आई तीस प्रतिशत किताब बच्चों को दे दी गई। यह हालात जिले के अन्य स्कूलों की भी है।

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