फोटो गैलरी

Hindi Newsसोते रहे लखनऊ के अफसर, होता रहा कारोबार

सोते रहे लखनऊ के अफसर, होता रहा कारोबार

कारतूस कांड ने लखनऊ पुलिस-प्रशासन की सतर्कता की पोल खोलकर रख दी है। पुणे से कितने कारतूस आए और कहां-कहां उसकी आपूर्ति हुई इसका कोई सही लेखा-जोखा गन हाउस मालिकों के पास नहीं है। लखनऊ के पांच गन हाउस...

सोते रहे लखनऊ के अफसर, होता रहा कारोबार
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 12 Dec 2015 08:52 PM
ऐप पर पढ़ें

कारतूस कांड ने लखनऊ पुलिस-प्रशासन की सतर्कता की पोल खोलकर रख दी है। पुणे से कितने कारतूस आए और कहां-कहां उसकी आपूर्ति हुई इसका कोई सही लेखा-जोखा गन हाउस मालिकों के पास नहीं है। लखनऊ के पांच गन हाउस मालिकों द्वारा अवैध कारोबार करने की पुष्टि अभी तक की जांच में हो गई है। यह भी स्पष्ट हो गया है कि बुलेट के इस खेल का नेटवर्क लखनऊ समेत सूबे के कई शहरों में चल रहा है।

डीएम को कल सौंपी जाएगी जांच रिपोर्ट
दो हजार कारतूसों के गायब होने की जांच रिपोर्ट तैयार हो गई है। सोमवार तक डीएम कौशलराज शर्मा को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। मामले की जांच कर रहे सिटी मजिस्ट्रेट अमर पाल सिंह ने कई चौंकाने वाले अभिलेख कब्जे में लिए हैं। अब स्टॉक लिमिट तक कारतूस हों तो बिना बिल के ऊपर ही ऊपर कारतूस तो बेचे जाने की साजिश रची जानी आसान है मगर, स्टॉक खाली हो तो कारतूसों की आपूर्ति कैसे संभव है? इस सवाल ने सिटी मजिस्ट्रेट समेत मूलगंज थानाध्यक्ष को भी घुमाकर रख दिया है। नजीराबाद स्थित पॉपुलर गन हाउस के अभिलेखों में ऐसा ही निकला है। बिना कारतूस रहे ही दुकान से इसे बेच दिया गया। अब यह सवाल है कि जो कारतूस बेचे गए, वो आए कहां से आए थे? इसका कोई जवाब पॉपुलर के पास नहीं। इसी तरह एशियन गन हाउस के रिकॉर्ड में हेरफेर है। नियोगी, खालसा और मीना गन हाउस भी पड़ताल के दायरे में आ गए हैं जिनका साझा कारोबार पॉपुलर के साथ होता रहा है।

लखनऊ के लिए बन गई गले की हड्डी
भले ही सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच में पर्दा हटा दिया हो मगर यह भी तय है कि यह रिपोर्ट लखनऊ के लिए गले की हड्डी बन जाएगी। वहां के शस्त्र अनुभाग से लेकर प्रशासनिक अफसरों और संबंधित थानेदारों से इस संबंध में सवाल किए जा सकते हैं कि चेकिंग के नियमों का उन्होंने पालन क्यों नहीं किया? अगर चेकिंग उन्होंने करने के बाद भी चाक चौबंद दर्शाने वाली रिपोर्ट बनाई होगी तब भी मामला फंसेगा क्योंकि, यहां गड़बड़ी पकड़ी गई है। अगर रिपोर्ट में कारतूसों के खेल को लिखा होगा तो सवाल होगा कि संबंधित गन हाउस मालिकों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। यह भी पता करना होगा कि कारतूस देश के खिलाफ साजिश रचने वालों के पास तो नहीं गए?

पुलिस पूरे नेटवर्क को खंगालेगी
सिटी मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट भले ही तैयार हो गई हो मगर पुलिस ने पूरे नेटवर्क का पता लगाने की ठान ली है। मसलन, गैंग में कौन-कौन शामिल? कहां से किस तरह आते हैं कारतूस और कहां खपाए जाते? अवेध ढंग से खरीद-फरोख्त के धंधे का संचालन किस तरह किया जाता है? दो हजार कारतूसों के अलावा और कितने कारतूस कब-कब गायब हुए और सौदेबाजी करके दबा दिए गए? कारतूसों का बड़ा खरीदार कौन है?

अभी भी सवाल, दो हजार कारतूस कहां गए
पुलिस की तफ्तीश में यह तो पता चल गया है कि कारतूस लखनऊ से ही नहीं चले थे। कानपुर के लिए जो पैकेट भेजे गए उसमें कंकड़ थे, कारतूस नहीं। हालांकि यह साफ नहीं हो पाया कि जिन दो हजार कारतूसों की पॉपुलर गन हाउस के अभिलेखों में कानपुर भेजे जाने की एंट्री है, वो कहां गए? एसओ मूलगंज तुलसी राम तिवारी कहते हैं कि इस बिंदु की तह तक भी पहुंचेंगे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें