फोटो गैलरी

Hindi Newsखतरे में कानपुर: गंगा में लाल-भूरे कीड़े, पीसीबी ने कराई सैंपलिंग

खतरे में कानपुर: गंगा में लाल-भूरे कीड़े, पीसीबी ने कराई सैंपलिंग

गंगा में लाल-भूरे कीड़ों से पीने का पानी 10 गुना अधिक प्रदूषित हो गया है। कीड़ों से शहर के 25 लाख लोगों को हो रही पानी की सप्लाई पर खतरा मंडरा रहा है। अधिकारी खौफ में हैं कि कच्चे पानी के शोधन में...

खतरे में कानपुर: गंगा में लाल-भूरे कीड़े, पीसीबी ने कराई सैंपलिंग
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 02 Mar 2017 12:50 PM
ऐप पर पढ़ें

गंगा में लाल-भूरे कीड़ों से पीने का पानी 10 गुना अधिक प्रदूषित हो गया है। कीड़ों से शहर के 25 लाख लोगों को हो रही पानी की सप्लाई पर खतरा मंडरा रहा है। अधिकारी खौफ में हैं कि कच्चे पानी के शोधन में कहीं चूक न हो जाए? ऐसे में बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। जलकल अफसरों ने जिलाधिकारी से दुखड़ा रोया है। इसपर गुरुवार को क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने गंगा के पानी की सैंपलिंग कराई।

भैरोंघाट इनटेक पर यह समस्या महीने भर से है। सर्दी खत्म होते ही पानी कम हुआ फिर काला और भूरा हुआ। काला-भूरा पानी देख जलकल अफसर चौंके। उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण विभाग से कहा कि लेकिन एक भी अफसर नहीं आए। अचानक पानी में कीड़ों की संख्या बढ़ गई। कीड़ों से अधिकारी हरकत में आए तो दोबारा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अफसरों को पत्र भेजा। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी पानी का सैम्पल लेकर खानापूरी कर चले गए। अभी तक रिपोर्ट नहीं आई है। जलकल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कीड़ों को खत्म करने के लिए बड़ी मात्रा में केमिकल की जरूरत पड़ रही है। शोधन में खर्च के साथ दूसरे खतरे भी हैं ऐसे में विभाग ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मंडलायुक्त और जिलाधिकारी को अवगत कराया है।

भैरोघाट इनटेक पर कहां से आया केमिकल?

विशेषज्ञों के मुताबिक लाल-भूरे कीड़ों की दो बड़ी वजह हो सकती है। एक तो किसी डिस्टलरी से निकला प्रदूषित पानी हो सकता है। दूसरा आरगेनिक मैटरियल हो सकता है। केमिकल के पहुंचने की आशंका कम है लेकिन सीसामऊ नाला थोड़ी दूर पर गिरता है। इससे भी आशंका है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व रिटायर्ड अफसर डॉ.आरके वर्मा कहते हैं कि ऐसे कीड़ों में विभाजन की क्षमता अधिक होती है। देखते ही देखते संख्या 10 गुना अधिक हो सकती है। इन कीड़ों का जीवनकाल भी अधिक होता है। डॉ. वर्मा का कहना है कि कीड़े तो दिखने में आ रहे हैं लेकिन कुछ खतरनाक केमिकल या आरगेनिक मैटिरियल दिखने में नहीं आते। हालांकि शोधन के जरिए पूरी तरह साफ किया जाता है लेकिन फिर भी जहां इनटेक हो वहां ऐसे प्रदूषण नहीं होने चाहिए।

क्या बोले अफसर

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नहीं सुन रहा

जलकल के महाप्रबंधक आरपीएस सलूजा का कहना है कि कीड़ों की समस्या लम्बे समय से है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग से कहा गया लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। शोधन में खर्च अधिक हो रहा है। जो पानी की सप्लाई हो रही है वह बिल्कुल साफ है। कीड़ों से सिर्फ विभाग को चपत लग रही है।

सैम्पल लिया गया, साफ है पानी

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी डॉ. मोहम्मद सिकन्दर ने बताया कि पानी का सैम्पल लिया गया है। पानी साफ है। जलस्तर कम होने से यह दिक्कत हुई है। पानी की जांच रिपोर्ट अभी नहीं आई है। भैरोघाट प्लावंट के साथ कुछ अन्य जगहों से दोबारा सैम्पल लाए गए हैं। एक दो दिनों में जांच रिपोर्ट आ जाएगी।

आकड़े एक नजर में

20 करोड़ लीटर रोजाना पानी शोधित होता

05 जोनों में की जाती है पानी की सप्लाई

25 दिन से लगातार लाल-भूरे कीड़े पानी में

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें