व्हाट्सएप पर अफवाह फैलाई तो खैर नहीं
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों तक पुलिस अब आसानी से पहुंच सकेगी। पुलिस लाइन में साइबर क्राइम पर हुई गोष्ठी में सिक्योरिटी कंपनी ने आधुनिक साफ्टवेयरों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि...
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों तक पुलिस अब आसानी से पहुंच सकेगी। पुलिस लाइन में साइबर क्राइम पर हुई गोष्ठी में सिक्योरिटी कंपनी ने आधुनिक साफ्टवेयरों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सॉफ्टवेयरों की मदद से सोशल साइट्स के डाटा का रिकवर कर मैसेज करने वाले तक की जानकारी जुटाई जा सकती है।
सिक्योरिटी कंपनी थर्ड आई के टेक्निकल डायरेक्टर दर्शन वाडेकर ने बताया कि वर्तमान में व्हाट्सएप पर सबसे ज्यादा अफवाह फैलाने वाले मैसेज वायरल होते हैं। कंपनी के पास ऐसे सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिनके जरिए मैसेज के सोर्स तक पहुंचा जा सकता है। इसमें ओपन नेटवर्किंग सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा फेसबुक सहित अन्य सोशल साइट्स का डिलेटेड डाटा भी रिकवर कराया जा सकता है। बशर्ते डिवाइस वही होनी चाहिए जिससे मैसेज पोस्ट किया गया हो।
गोष्ठी में एसपी क्राइम जितेंद्र श्रीवास्तव, एसपी पूर्वी सोमेन बर्मा, एसपी पश्चिमी सचिंद्र पटेल सहित लगड्टाग भी सर्किल के सीओ व थानेदार मौजूद रहे। वहीं क्राइम ब्रांच, स्वाट टीम, सर्विलांस के भी लोग खासतौर पर इस आधुनिक तकनीकी की बारीकियों को जाना।
व्हाट्सएप का डाटा ऐसे हो सकता है रिकवर
दर्शन वाडेकर के मुताबिक जब कोई शख्स किसी को व्हाट्सएप पर मैसेज करता है तो मैसेज डिलीवर होने के बाद व्हाट्सएप के मुख्य सर्वर से डाटा खुद ब खुद डिलीट हो जाता है। इस दशा में चैट की रिकवरी मोबाइल हैंडसेट के जरिए सॉफ्टवेयर की मदद से कराया जा सकता है।
लैब के सेटअप में करोड़ों का खर्च
डायरेक्टर के मुताबिक कंपनी के पास दो से तीन करोड़ रुपए तक के आधुनिक सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं। जो किसी भी दशा में साइबर अपराधियों को पस्त कर सकते हैं। कुछ शहरों में लैब का सेटअप लगाया जा चुका है। एक सामान्य लैब के सेटअप में तकरीबन एक करोड़ रुपए का खर्च आता है। इसके बाद लैब में आधुनिकता बढ़ाने के लिए सॉफ्टवेयरों की खरीदारी की जा सकती है।