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कानपुर में पेटीएम के ग्राहक दस गुना बढ़े

नोटबंदी के बाद लोग तेजी से डिजिटल पेमेंट की तरफ मुड़ रहे हैं। डिजिटल पेमेंट कंपनियों और बैंकों के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। कानपुर में पिछले 22 दिनों में पेटीएम का कारोबार एक हजार प्रतिशत बढ़ गया...

कानपुर में पेटीएम के ग्राहक दस गुना बढ़े
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 02 Dec 2016 01:54 PM
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नोटबंदी के बाद लोग तेजी से डिजिटल पेमेंट की तरफ मुड़ रहे हैं। डिजिटल पेमेंट कंपनियों और बैंकों के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। कानपुर में पिछले 22 दिनों में पेटीएम का कारोबार एक हजार प्रतिशत बढ़ गया है। स्वाइप मशीनों की मांग इतनी जबर्दस्त है कि उनके खत्म होने की नौबत आ गई है। बैंकों में आने वाली चेकों की संख्या दोगुना हो गई है जबकि आरटीजीएस और एनईएफटी से लेनदेन का आंकड़ा चार गुना हो गया है। पेटीएम के रीजनल हेड विशाल जैन के मुताबिक नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट की तरफ रुझान में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। रोजाना 70 से ज्यादा क्वैरी आ रही हैं। आठ नवम्बर से पहले 120 कारोबारी पेटीएम से जुड़े थे। 22 दिन में करीब 1100 नए व्यापारी जुड़ चुके हैं। दिसम्बर में ये संख्या पांच गुना पहुंचेगी। आल्टरनेट बैंकिंग एक्सपर्ट एच के गुप्ता के मुताबिक कैश के बजाय प्वाइंट आफ सेल्स मशीन यानी स्वाइप मशीनों की मांग तेजी से बढ़ी है। पीओएस मशीन की भी लिमिटट होती है। नोटबंदी के बाद पीओएस की एक महीने की लिमिट दो दिन में पूरी हो गई। स्वाइप मशीनों से लेनदेन तीस गुना बढ़ गया है।

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पेटीएम से 22 दिन में दस गुना व्यापारी जुड़े

आठ नवम्बर से पहले 120 कारोबारी पेटीएम से जुड़े थे। अब पेटीएम से जुड़े वाले व्यापारियों की संख्या 1100 से ज्यादा हो गई है। रोजाना 70 से ज्यादा पूछताछ आ रही हैं। दिसम्बर तक आसानी से पांच हजार व्यापारी पेटीएम से जुड़ जाएंगे। कंपनी का अनुमान है कि कम से कम दस लाख रुपए रोज का लेनदेन पेटीएम से इसी साल होने लगेगा।

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मांग इतनी कि खत्म हो गईं स्वाइप मशीनें

नोटबंदी के पहले कारोबारी स्वाइप मशीनें से परहेज करते थे लेकिन आठ तारीख के बाद प्वाइंट आफ सेल्स यानी स्वाइप मशीनें रखने वालों की संख्या तूफान की रफ्तार से बढ़ रही है। दरअसल डेबिट या क्रेडिट कार्ड की तरह स्वाइप मशीनों की भी लिमिट बैंक तय करते हैं। जिस दिन से नोटबंदी हुई, तबसे एक महीने की लिमिट दो दिन में पूरी हो गई। जिस व्यापारी की पीओएस लिमिट दस लाख रुपए महीना थी, दो दिन में ही पूरी हो गई। यानी पिछले महीने स्वाइप मशीनों से लेनदेन तीस गुना ज्यादा हो गया। मांग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहले एक बैंक एक महीने में दस स्वाइप मशीन लगाता था। अब रोजाना दस स्वाइप मशीनों की मांग आ रही है। बैंकों के पास इतनी मशीनें नहीं हैं। लगातार आर्डर दिए जा रहे हैं। इसी के साथ बैंक मोबाइल एप पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं।

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आरटीजीएस में चार गुना बढ़ोतरी

नोटबंदी वाले दिन 8 नवम्बर को शहर की बैंकों से आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए 120 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ था। एक शाखा में औसतन 142 ट्रांजेक्शन किए गए थे।

15 नवम्बर को शहर की बैंकों से आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए 270 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ था। एक शाखा में औसतन 192 ट्रांजेक्शन किए गए थे।

30 नवम्बर को शहर की बैंकों से आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिए 425 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ था। एक शाखा में औसतन 208 ट्रांजेक्शन किए गए थे।

इस तरह 770 शाखाओं से आरटीजीएस व एनईएफटी ट्रांजेक्शन की संख्या 22 दिन में 1,09,340 से बढ़कर 1,60,160 हो चुकी है। जिस गति से बढ़ रहा है, उससे आने वाले दिनों में 500 करोड़ रुपए प्रतिदिन डिजिटल भुगतान बैंकों से होगा।

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रोजाना आ रहीं 62 हजार चेकें

चेकों से लेनदेन की परम्परा ने भी तेजी पकड़ी है। आठ नवम्बर से पहले माइकर में रोजाना क्लीयरिंग की औसतन 24 हजार चेकें आती थीं। तब क्लीयरिंग एमाउंट 280 करोड़ से 320 करोड़ रुपए था। इन दिनों चेकों की संख्या बढ़कर 62 हजार प्रतिदिन तक पहुंच गई है। क्लीयरिंग एमाउंट बढ़कर 650 करोड़ रुपए के पार पहुंच चुका है।

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