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सरकारी गारंटी पर मिले आदिवासियों को लोन

आदिवासियों को बैंक से लोन दिलाने के लिए सरकार भी पार्टी बनेगी। सरकार गारंटर और कस्टोडियन बने।  समय पर लोन जमा नहीं करने पर यदि जमीन की नीलामी हो और कोई आदिवासी उस जमीन को न खरीदे, तो सरकार को...

सरकारी गारंटी पर मिले आदिवासियों को लोन
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 26 Aug 2015 09:51 PM
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आदिवासियों को बैंक से लोन दिलाने के लिए सरकार भी पार्टी बनेगी। सरकार गारंटर और कस्टोडियन बने।  समय पर लोन जमा नहीं करने पर यदि जमीन की नीलामी हो और कोई आदिवासी उस जमीन को न खरीदे, तो सरकार को जमीन ले लेनी चाहिए। सरकार उस जमीन को जनोपयोग में ला सकती है या उसे भूमिहीनों के बीच वितरित कर सकती है।

यह प्रस्ताव जनजातीय परामर्शदातृ समिति (टीएसी) के सदस्यों ने सरकार को दिया है। इस प्रस्ताव पर बैंक लोन दिलाने के लिए जो कमेटी बनेगी, वह विचार करेगी। इसके अनुमोदन के बाद सरकार इसे लागू करेगी। पिछले दिनों टीएसी की बैठक के बाद सभी सदस्यों से इस पर लिखित सुझाव मांगे गए थे। कई सदस्यों ने यह बात कही है।

दोगुनी अवधि की दी जाए छूट : प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि किसी आदिवासी को 10 साल के लिए एजुकेशन लोन दिया जाता है और वह अदा नहीं कर पाता है, तो उसकी जमीन की नीलामी 20 साल बाद आदिवासियों के बीच की जाए। यदि तब भी वह डिफॉल्टर रहता है, तो कस्टोडियन होने के नाते सरकार ही वह जमीन ले ले। इस जमीन पर समाजोपयोगी काम किया जाए या भूमिहीनों के बीच वितरित कर दी जाए।

बैंक लोन देना नहीं चाहते : वर्तमान में सीएनटी एक्ट का हवाला देते हुए बैंक आदिवासियों की जमीन गिरवी रख लोन देना नहीं चाहते हैं। उनका मानना है कि डिफॉल्टर होने की स्थिति में जमीन की नीलामी से लोन की राशि की भरपाई नहीं हो पाती है। सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी की जमीन उसी थाना क्षेत्र के आदिवासी को ही हस्तांतरित की जा सकती है। ऐसे में लोन की भरपाई नहीं होने की आशंका रहती है। इस कारण बैंक लोन देना नहीं चाहते। फिलहाल आदिवासियों को बैंक एजुकेशन और हाउसिंग लोन सिर्फ पांच साल के लिए ही देना चाहते हैं।

हाईकोर्ट ने दिया है 15 साल का निर्देश : वर्ष 2008 में झारखंड सरकार ने एक आदेश जारी कर आदिवासियों की जमीन गिरवी रख लोन देने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। तब हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि सीएनटी एक्ट के सेक्शन 46 के सभी प्रावधानों का अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है कि जमीन गिरवी रख आदिवासियों को 15 साल तक का लोन दिया जा सकता है।

फिर मामला पहुंचा हाईकोर्ट : आदिवासियों को लोन नहीं देने पर मामला फिर हाईकोर्ट में पहुंचा है। कोर्ट ने सरकार और बैंकों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। प्रार्थी का कहना है कि लोन दिलाने के लिए सरकार की ओर से गंभीर प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

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