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चीन से आयातित स्टील से इस्पात उद्योगों को लिए संकट: नरेंद्रन

टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग अपनी उत्पदन क्षमता को 85 मिलियन टन से बढ़ाकर दो सौ मिलियन टन प्रतिवर्ष करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए केंद्र और सरकार का सहयोग...

चीन से आयातित स्टील से इस्पात उद्योगों को लिए संकट: नरेंद्रन
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 17 Aug 2015 12:05 AM
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टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग अपनी उत्पदन क्षमता को 85 मिलियन टन से बढ़ाकर दो सौ मिलियन टन प्रतिवर्ष करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए केंद्र और सरकार का सहयोग जरूरी है। वे 15 अगस्त के मौके पर लौहनगरी के लोगों को संबोधित कर रहे थे।

टाटा स्टील परिसर में आयोजित समारोह के दौरान लगभग 15 मिनट के भाषण में नरेंद्रन ने एक सधे हुए राजनीतिज्ञ की तरह इस्पात उद्योग की समस्याओं से लेकर गरीब उन्मूलन और देश के निर्माण तक पर चर्चा की। कहा कि चीन समेत अन्य देशों से स्टील का आयात भारत के स्टील उद्योग के लिए सबसे बड़ी समस्या है।

फिलहाल चीन की उत्पादन क्षमता 925 मिलियन टन है, लेकिन वह आठ सौ मिलियन टन उत्पादन कर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा 2.5 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी लगाई है, लेकिन इसका असर जापान और कोरिया जैसे देशों पर नहीं पड़ रहा है क्योंकि वे विदेश व्यापार संधि के सदस्य हैं। ऐसे में चीन के साथ-साथ इन दोनों देशों से भी बड़ी मात्रा में स्टील का आयात हो रहा है।

टाटा स्टील परिसर में फहराया तिरंगा
इससे पहले नरेंद्रन ने टाटा स्टील परिसर में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। फिर राष्ट्रीय गान, सिक्योरिटी गार्ड और डॉग स्कवायड की परेड मार्च और सलामी हुई। इस मौके पर टाटा स्टील के पूर्व एमडी जेजे ईरानी, कंपनी के सभी वाइस प्रेसिडेंट, टाटा वर्कर्स यूनियन के सभी पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में कंपनी कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य उपस्थित थे।

बड़े निवेशकों को सुविधाएं दे सरकार
समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान टीवी नरेंद्रन ने बताया कि टाटा स्टील ने ओडिशा और जमशेदपुर 50 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश किया है। एक मिलियन टन स्टील के उत्पादन में छह हजार करोड़ का निवेश होता है। ऐसे में केंद्र व राज्य सरकार को भी बड़े निवेशकों को अतिरिक्त सुविधाएं देकर प्रोत्साहित करना चाहिए।

नोवामुंडी संकट का पड़ेगा असर
नरेंद्रन ने कहा कि नोवामुंडी से डिस्पैच बंद होने का असर टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट पर पड़ रहा है क्योंकि कंपनी का 50 प्रतिशत आयरन ओर वहीं से आता है। डिस्पैच परमिट के लिए राज्य सरकार 421 करोड़ रुपये मांग रही है। इसके लिए हमने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। पूर्व में भी ऐसी समस्या आई थी, लेकिन उस समय बाजार में इतनी मंदी नहीं थी। टाटा स्टील वर्तमान में स्टील उत्पादन के लिए एनएमडीसी से आयरन ओर ले रही है और जरूरत पड़ी तो पूर्व की तरह आस्ट्रेलिया से भी आयात किया जाएगा। इससे उत्पादन लागत भी बढ़ेगी और इसका असर कंपनी, कर्मचारियों सहित शेयरधारकों पर भी पड़ेगा।

दिसंबर से शुरू होगा केपीओ में उत्पादन
नरेंद्रन ने बताया कि टाटा स्टील के कलिंगानगर प्रोजेक्ट में दिसंबर से उत्पादन शुरू हो जाएगा। कोक-ओवन में हीटिंग का काम शुरू हो गया है। केपीओ में पहले चरण में तीन मिलियन टन और दूसरे चरण में छह मिलियन टन स्टील का उत्पादन होगा।

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