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सीआरपीएफ जनजातीय बच्चों में जगा रहा राष्ट्रप्रेम का जज्बा

जिले के पेशरार प्रखंड स्थित वनांचली-पहाड़ी गांव केकरांग में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। गरीबी और अशिक्षा का खाद-पानी पाकर यहां कभी नक्सलवाद की फसल लहलहाती थी। लेकिन, अब हालात बदल रहे हैं। दूर-दराज...

सीआरपीएफ जनजातीय बच्चों में जगा रहा राष्ट्रप्रेम का जज्बा
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Apr 2015 08:38 PM
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जिले के पेशरार प्रखंड स्थित वनांचली-पहाड़ी गांव केकरांग में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। गरीबी और अशिक्षा का खाद-पानी पाकर यहां कभी नक्सलवाद की फसल लहलहाती थी। लेकिन, अब हालात बदल रहे हैं। दूर-दराज के इस इलाके में सीआरपीएफ 158 बटालियन के जवान न सिर्फ उग्रवादियों से लोहा लेने में जुटे हैं बल्कि गांव-गिरावं के बच्चों को बहुआयामी शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारने में भी अपना योगदान दे रहे हैं।

केकरांग में सीआरपीएफ पुलिस पिकेट ऐसे स्थान पर है,जहां न दुकानें हैं,न बिजली और पानी। उग्रवाद के चंगुल में फंसे भोले-भाले ग्रामीणों का जीवन बेहतर बनाने को लेकर जब एसीओ अशोक यादव ने चिंतन-मनन शुरू किया तो उन्हें इलाके के नौनिहालों में आशा की किरण दिखाई दी।
 
इसके बाद सीआरपीएफ के जवानों ने केकरांग, जावाखाड़, झमटवार, जहाजीटांड़, बंजारी, पुलुंग जैसे गांवों में सम्पर्क कर स्कूल जाने लायक बच्चों को प्रेरित किया। उन्हें खेल सामग्री दी गई और खेलेंगे-कूदेंगे,पढ़ेंगे-लिखेंगे का मंत्र भी। इन गांवों के बच्चे अब रोज सीआरपीएफ कैंप आते हैं और आधुनिक किताबी ज्ञान के साथ अनुशासन, राष्ट्रप्रेम, नैतिक तथा आध्यात्मिक शिक्षा की खुराक ग्रहण करते हैं।

सीआरपीएफ के जवान बताते हैं कि यहां आनेवाले बच्चे पढ़ाई-लिखाई के बाद राष्ट्रगान और ईश भजन में सामूहिक रूप से हिस्सा लेते हैं। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े इन बच्चों के लिए सीआरपीएफ की यह पहल मील का पत्थर साबित हो रही है। बच्चों में आया परिवर्तन उनके माता-पिता और परिजनों को भी बदलाव के लिए प्रेरित कर रहा है। इलाके में शिक्षा के उजाले से गरीबी और उग्रवाद का अंधेरा दूर होने की उम्मीद जगने लगी है।

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