झारखंड भी रहा है धर्मांतरण का केंद्र
झारखंड किसी समय धर्मांतरण का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। यहां जनजातीय समुदाय की बड़ी आबादी का धर्म परिवर्तन हो चुका है। ईसाई धर्मावलंबियों के झारखंड में आने के बाद यह काम काफी तेजी से फैला। इसके विरोध...
झारखंड किसी समय धर्मांतरण का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। यहां जनजातीय समुदाय की बड़ी आबादी का धर्म परिवर्तन हो चुका है। ईसाई धर्मावलंबियों के झारखंड में आने के बाद यह काम काफी तेजी से फैला। इसके विरोध में हिन्दू संगठनों ने भी धर वापसी का कार्यक्रम चलाया। फिलहाल इस तरह का काम बंद है। लेकिन सरना आदिवासियों का ईसाई समुदाय में धर्मांतरण का काम निरंतर चल रहा है।
रांची के अलावा, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, सिमडेगा, गुमला, पलामू, लातेहार, कोल्हान और संतालपरगना के कुछ जिलों झारखंड में धर्मांतरण का इतिहास बहुत पुराना है। इन जिलों मे जनजतायी आबादी अपेक्षाकृत ज्यादा है।
इस तरह की घटना को लेकर हिन्दू संगठनों का विरोध प्रदर्शन भी होता रहा है। फिलहाल उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण (घर वापसी) और इसे लेकर संसद में हंगामे के बाद झारखंड में कोई प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई नहीं हुई है। झारखंड में सब जग फिलहाल शांति है।