इनसे सीखें: रोजाना ढाई हजार गरीबों का पेट भर रहे अशोक घोष
शहर के विभिन्न संस्थानों में बचे हुए भोजन को बटोरकर हर दिन लगभग ढाई हजार गरीबों का पेट भरकर अशोक घोष ने मिसाल कायम की है। समाजसेवा इनके लिए जुनून है। गरीबों का पेट भरने में इन्हें तृप्ति मिलती...
शहर के विभिन्न संस्थानों में बचे हुए भोजन को बटोरकर हर दिन लगभग ढाई हजार गरीबों का पेट भरकर अशोक घोष ने मिसाल कायम की है। समाजसेवा इनके लिए जुनून है। गरीबों का पेट भरने में इन्हें तृप्ति मिलती है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में साल 1964 में जन्मे अशोक घोष की माता स्व. नीलिमा रानी और पिता तारापदो घोष ने जिंदगी में दूसरों के लिए जीने का संदेश दिया था, जो उनके दिल में घर कर गया। इसके बाद से आज तक ये गरीबों की सेवा में जुटे हुए हैं।
सात सौ सक्रिय सदस्य
अशोक घोष वर्ष 1997 से ही रक्तदान और कपड़ा दान में जुटे हुए हैं। इसके अलावा उन्होंने गरीबों की मदद के लिए हेल्पिंग हार्ट्स फाउंडेशन का गठन किया। इसमें लगभग सात सौ सदस्य हैं, जो चांडिल से लेकर घाटशिला तक फैले हुए हैं। हर सदस्य अपनी क्षमता के अनुसार बचे हुए भोजन का संग्रह करते हैं और गरीबों के बीच बांटते हैं।
सभी देते हैं सहयोग
शहर में 28 ऐसे प्वाइंट हैं, जहां से बचे हुए भोजन को बटोरा जाता है। इसमें शहर के बड़े-बड़े होटल, मैरिज पार्टी, एक्सएलआरआई कैंटीन के अलावा कुछ सदस्य ऐसे हैं, जो हर दिन एक मुठ्ठी चावल या आटा गरीबों के नाम पर निकालकर रख देते हैं।
मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
गरीबों की सेवा के नाम पर घोष को राष्ट्रीय विशेष पुरस्कार भी मिल चुका है। ये अभी तक लगभग 95 बार रक्तदान भी कर चुके हैं।
दूसरे शहरों में शुरू हुई सेवा
इस संबंध में हेल्पिंग हार्ट्स फाउंडेशन के संस्थापक अशोक घोष ने बताया कि जमशेदपुर में पहली बार हेल्पिंग हार्ट्स फाउंडेशन का गठन कर गरीबों की सेवा आरंभ की तो दिल्ली और दूसरे शहरों में भी इस तरह की सेवा आरंभ हो गई। हर शहर में लोग प्रेरित होकर इस तरह की सेवा आरंभ कर रहे हैं, जोकि सुखद है।